पीएम मोदी का जन्मदिन: 24 साल में कितनी बार ली शपथ, कौन-कौन-से रिकॉर्ड हैं उनके नाम?
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फेज: 3
चुनाव तारीख: 23 अप्रैल 2019
उत्तराखंड व नेपाल की सीमा से लगे इस संसदीय क्षेत्र में पहले आम चुनाव से लेकर वर्ष 1976 तक कांग्रेस का दबदबा रहा। इसके बाद 1977 में जनता पार्टी का उम्मीदवार यहां से जीता, लेकिन 80 के चुनाव में सीट फिर कांग्रेस की झोली में चली गई। वर्ष 1989 के चुनाव में मेनका गांधी ने यहां से पहली बार चुनाव लड़ा और भारी वोटों के अंतर से कांग्रेस प्रत्याशी को पराजित किया। परंतु 1991 में वह भाजपा प्रत्याशी के हाथों पराजित हो गई। इसके बाद 2004 तक सभी चुनाव में मेनका गांधी ने जीत दर्ज की। वर्ष 2009 के चुनाव में उन्होंने अपने बेटे वरुण गांधी को यहां से चुनाव लड़ाया। वरुण गांधी भी भारी बहुमत से जीत गए लेकिन वर्ष 2014 के चुनाव में मेनका गांधी फिर इसी सीट से चुनाव लड़ीं और कई लाख वोटों से विजय हासिल की। इसी सीट से 2019 में एक बार फिर वरुण गांधी ने चुनाव जीता। विधानसभा क्षेत्र और बड़ी घटनाएं जिले में पीलीभीत सदर, बरखेड़ा, पूरनपुर सुरक्षित व बीसलपुर विधानसभा क्षेत्र हैं। पिछले पांच साल में कोई बड़ी घटना तो नहीं हुई, लेकिन छिटपुट सांप्रदायिक विवाद होते रहे हैं। दो साल पहले शहर के जाटों वाला चौराहा पर सांप्रदायिक बवाल हो गया था, जिसे कुछ ही घंटों में काबू कर लिया गया। इससे पहले गांव चिड़ियादाह में एक धार्मिक स्थल पर आगजनी का मामला भी तूल पकड़ लिया था। पिछले साल के अंत में शहर के मुहल्ला देशनगर में भी सांप्रदायिक बवाल होने से बचा। इसी साल जनवरी में जहानाबाद थाना क्षेत्र के गांव बेनीपुर में जहर देकर पांच लोगों की हत्या की गई। विकास का हाल जिले में पांच साल के दौरान पीलीभीत-भोजीपुरा तक तथा पीलीभीत से टनकपुर तक ब्राडगेज का काम हो गया। इन रूटों पर ट्रेनें भी चलने लगी हैं लेकिन कोई एक्सप्रेस ट्रेन अब तक नहीं मिली। इसी अवधि में शहर के नौगवां क्रासिंग पर ओवरब्रिज का निर्माण हुआ। इसके अलावा विकास का कोई बड़ा कार्य नहीं हो सका है। स्थानीय मुद्दे पीलीभीत टाइगर रिजर्व घोषित हो जाने के बाद यहां के जंगल में बाघों की संख्या बढ़ गई है। इसके साथ ही मानव-बाघ संघर्ष की घटनाएं भी होने लगीं। अक्सर जंगल से निकलकर बाघ और तेंदुआ आबादी की ओर पहुंच जाते हैं। बाघ हमले में पांच साल के दौरान लगभग दो दर्जन लोग मर चुके हैं। साथ ही पांच बाघ-तेंदुआ भी मरे। स्थानीय लोगोें के लिए मानव-बाघ संघर्ष को रोकना बड़ा स्थानीय मुद्दा है। जिले के पूरनपुर क्षेत्र के ट्रांस शारदा क्षेत्र में हर साल करीब एक लाख की आबादी बाढ़ से प्रभावित होती है। कई गांवों का शारदा नदी ने अस्तित्व मिटा दिया है। हर साल हजारों लोग बाढ़ के दौरान विस्थापित होते हैं लेकन बाढ़ से बचाव का स्थाई इंतजाम अब तक नहीं हो सका है। वर्ष 2001 में शाहजहांपुर के 94 गांव पीलीभीत जिले में शामिल किए गए लेकिन इस गांवों में शिक्षा, चिकित्सा जैसी सुविधाओं का अकाल बना हुआ है। इस पर अभी तक ध्यान नहीं दिया गया है। पीलीभीत की खास बातें पीलीभीत उत्तर प्रदेश का लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है। ऐसा कहा जाता है कि पीलीभीत की मिट्टी पीली होने के कारण यहां का नाम पीलीभीत रखा गया है। इसे बरेली से अलग कर 1879 में एक अलग जिला बनाया गया था। मेनका गांधी यहां से 6 बार सांसद बन चुकी हैं। पीलीभीत लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत बहेड़ी, बरखेड़ा, बीसलपुर, पीलीभीत और पूरनपूर विधानसभा आती हैं।
पीलीभीत, उत्तर प्रदेश के विजेता
- पार्टी :भारतीय जनता पार्टी
- प्राप्त वोट :704549
- वोट %67
- पुरुष मतदाता948771
- महिला मतदाता812360
- कुल मतदाता1761207
- निकटतम प्रतिद्वंद्वी
- पार्टी
- प्राप्त वोट448922
- हार का अंतर255627
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