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    Bihar Election 2025: झारखंड के मंत्री संजय यादव का श्रम नहीं आया काम, कहलगांव के रण में पुत्र रजनीश की करारी हार

    By Mritunjay PathakEdited By: Mritunjay Pathak
    Updated: Fri, 14 Nov 2025 07:39 PM (IST)

    Bihar Election 2025: झारखंड के श्रम मंत्री और गोड्डा के राजद विधायक संजय यादव के पुत्र रजनीश यादव उर्फ रजनीश भारती को बिहार विधानसभा में हार का सामना करना पड़ा है। वे भागलपुर जिले के कहलगांव विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे थे। वे राष्ट्रीय जनता दल के प्रत्याशी थे। जदयू प्रत्याशी शुभानंद मुकेश ने उन्हें 50 हजार से ज्यादा मतों के बड़े अंतर से पराजित किया।  

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    अपने पुत्र और कहलगांव विधानसभा सीट से राजद प्रत्याशी रजनीश यादव के साथ झारखंड के श्रम मंत्री संजय यादव।

    जागरण संवाददाता, गोड्डा। बिहार विधानसभा चुनाव–2025 में झारखंड के श्रम मंत्री संजय यादव के पुत्र और राजद प्रत्याशी रजनीश यादव उर्फ रजनीश भारती को कहलगांव विधानसभा सीट पर करारी हार का सामना करना पड़ा है। अपने पुत्र की जीत सुनिश्चित करने के लिए झारखंड के मंत्री ने कहलगांव विधानसभा क्षेत्र में प्रचार के दौरान खूब श्रम किया था। 

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    बिहार के भागलपुर जिले की चर्चित कहलगांव सीट पर जदयू के शुभानंद भारती ने 50 हजार से अधिक मतों के अंतर से रजनीश को पराजित कर निर्णायक जीत दर्ज की। चुनाव परिणाम आने के बाद यह सीट राजनीतिक विश्लेषणों और चर्चाओं के केंद्र में आ गई है।

    मतगणना के अनुसार, जदयू प्रत्याशी शुभानंद मुकेश ने कुल 1,30,767 मत प्राप्त किए, जबकि राजद उम्मीदवार रजनीश को 80,655 मत मिले। इस तरह शुभानंद ने 50,112 मतों के भारी अंतर से जीत हासिल की। शुरुआती रुझानों में रजनीश आगे चल रहे थे, जिससे उनके समर्थकों में उत्साह का माहौल था, लेकिन कुछ ही घंटों में तस्वीर बदल गई और जदयू प्रत्याशी ने लगातार बढ़त बनाते हुए मुकाबले को एकतरफा बना दिया।

    रजनीश भारती की उम्मीदवारी को लेकर शुरुआत से ही काफी चर्चाएं थीं। झारखंड के गोड्डा से राजद विधायक और हेमंत सोरेन सरकार में श्रम मंत्री संजय यादव ने अपने पुत्र को राजनीति में स्थापित करने के लिए काफी मेहनत की थी।

    बताया जाता है कि उन्होंने राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के चेहरे तेजस्वी यादव से अपने संबंधों का उपयोग कर बेटे के लिए टिकट सुनिश्चित कराया था। टिकट मिलने के बाद संजय यादव पिछले पखवाड़े से कहलगांव में कैंप किए हुए थे और लगातार जनसंपर्क कर रहे थे।

    पिता की सक्रियता और पुत्र की युवा छवि को देखते हुए शुरुआती रुझानों में यह माना जा रहा था कि रजनीश मुकाबले को कड़ा बनाकर रखेंगे और जीत की संभावना भी मजबूत है। लेकिन अंतिम चरणों की मतगणना में जदयू के पक्ष में तेजी से वोट ट्रांसफर हुआ और रुझान बदलते चले गए।

    उधर, पूरे बिहार में इस चुनाव का परिणाम भाजपा-जदयू गठबंधन के पक्ष में गया है। राज्य की 243 विधानसभा सीटों में से लगभग 200 पर भाजपा-जदयू ने विजय हासिल की है। इस प्रचंड जीत ने राज्य में नया राजनीतिक माहौल तैयार कर दिया है।

    कहलगांव में राजद–कांग्रेस के बीच ‘दोस्ताना संघर्ष’

    कहलगांव सीट इस बार एक और कारण से चर्चा में रही। राजद और कांग्रेस के बीच हुए दोस्ताना संघर्ष ने इसे खास बना दिया। गठबंधन में रहने के बावजूद दोनों दलों ने यहां अपने-अपने प्रत्याशी उतारे। कांग्रेस ने प्रवीण सिंह को टिकट दिया था, जिन्हें 10,083 मत मिले और वे चौथे स्थान पर रहे।

    राजद और कांग्रेस के उम्मीदवारों के आमने-सामने आने से जदयू को सीधा फायदा मिलता दिखा। विश्लेषकों के अनुसार, कांग्रेस और राजद के संयुक्त मत यदि एक साथ रहते तो मुकाबला अधिक दिलचस्प हो सकता था, लेकिन दोनों दलों के अलग-अलग चुनाव लड़ने के कारण जदयू को बड़ी जीत का रास्ता साफ मिलता गया।

    नतीजों ने बढ़ाई राजनीतिक हलचल

    कहलगांव के परिणाम ने झारखंड और बिहार दोनों राज्यों के राजनीतिक गलियारों में हलचल बढ़ा दी है। रजनीश भारती की पहली चुनावी कोशिश असफल रही, लेकिन इस चुनाव ने उन्हें व्यापक पहचान दी है। वहीं जदयू उम्मीदवार शुभानंद भारती की जीत ने उन्हें जिले की राजनीति में मजबूत स्थिति में ला खड़ा किया है।