पीएम मोदी का जन्मदिन: 24 साल में कितनी बार ली शपथ, कौन-कौन-से रिकॉर्ड हैं उनके नाम?
चुनाव समाचार
- elections
आदर्श आचार संहिता क्या है? झारखंड और महाराष्ट्र में आज से हो सकती है लागू; इससे क्या बदल जाएगा
elections- elections
- elections
'मैं ईश्वर की शपथ लेता हूं कि..', क्यों और किसलिए होती है पद ग्रहण से पहले शपथ? क्या हैं इसके नियम
elections- elections
- elections
- elections
- elections
- elections
फेज: 7
चुनाव तारीख: 19 मई 2019
यूं तो इंदौर में संसदीय लोकतंत्र का इतिहास 71 वर्ष पुराना है क्योंकि यहां पहला लोकसभा चुनाव 1952 में हुआ था, किंतु आज देश के सबसे बड़े दल भाजपा को यहां जड़ें जमाने के लिए ‘भगवान राम’ का आशीष ही फला था। वह 1989 का दौर था, जब देश में रामजन्म भूमि आंदोलन गति पकड़ चुका था। कांग्रेस ने इंदौर से प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कद्दावर नेता प्रकाशचंद सेठी को प्रत्याशी बनाया, तो भाजपा ने एकदम नए चेहरे सुमित्रा महाजन को मैदान में उतारा। उस वर्ष राजवाड़ा चौक पर एक शाम राम के नाम नामक विराट कवि सम्मेलन हुआ था।
इंदौर के कवि और वरिष्ठ भाजपा नेता सत्यनारायण सत्तन के नेतृत्व में कवियों ने राम जन्मभूमि आंदोलन और अयोध्या पर जोश भर देने वाली कविताएं सुनाईं। इससे माहौल बना और राम लहर ने कांग्रेस के मजबूत गढ़ को छीनकर भाजपा की झोली में डाल दिया। महाजन ने इंदौर से चुनाव जीतकर यहां भाजपा की नींव मजबूत कर दी। 1998 में भी जब महाजन के सामने कांग्रेस ने पंकज संघवी को उतारा, तो भाजपा ने अटलजी की सभा रखी। सभा बेहद सफल रही और अटल की वाणी के जादू से सम्मोहित इंदौर ने लोकसभा सीट फिर भाजपा के खाते में डाल दी। इसके बाद तो यहां भाजपा की जड़ें इतनी गहरी जम गईं कि इसे भाजपा का गढ़ कहा जाने लगा।
इंदौर ने सुमित्रा महाजन को अपनी ताई मानकर लगातार आठ बार लोकसभा में भेजा। बीते लोकसभा चुनाव 2019 में भले ताई मैदान में न थीं, किंतु इंदौर ने फिर भाजपा को आशीर्वाद दिया और शंकर लालवानी को रिकार्ड मतों से जिताकर नया इतिहास रचा। अब तो भाजपा मानो इंदौर की रगाें में लहू बनकर दौड़ती है। हाल ही में विधानसभा चुनाव में इंदौर ने नौ की नौ सीटें भाजपा को दीं। भाजपा ने भी बीते तीन दशक में इंदौर की तस्वीर ही पलटकर रख दी है।
जब जनता चौक पर सो गए अटल जी
आज की राजनीति भले सुविधा संपन्न है, किंतु गुजरे जमाने में बड़े नेता भी किस सादगी से कर्तव्य को महत्व देते थे, यह अटलबिहारी वाजपेयी ने इंदौर में बताया था। हुआ यूं था कि 1984 के चुनाव में अटल जी इंदौर आए थे। ट्रेन तय समय से काफी देरी से पहुंची। इतनी रात को किसी कार्यकर्ता के घर न जाते हुए, वे खजूरी बाजार के पास बने जनता चौक पहुंच गए। उन्हें वहीं पर सभा को संबोधित करना था। वे वहीं एक चबूतरे पर सो गए। यह जानकारी जब भाजपा के वरिष्ठ नेता नारायण राव धर्म और राजेंद्र धारकर तक पहुचीं, तो वे पहुंचे और अटल जी से घर चलने का आग्रह किया। अटलजी ने रात अधिक होने का हवाला दिया, तब उन्हें तत्कालीन भाजपा कार्यालय ले जााय गए और वहां ठहरने की व्यवस्था की।
टिकट कटा भी तो संगठन के लिए जुटे रहे
वर्तमान दौर में संगठन, साधन और कार्यकर्ताओं की लंबी फौज वाली भाजपा के लिए एक दौर ऐसा भी था जब पार्टी के पास केवल एक मोटरसाइकिल थी। वह भी वरिष्ठ नेता राजेंद्र धारकर की। बाद में नारायण राव धर्म और शिव वल्लभ शर्मा ने एक पुरानी जीप का इंतजाम किया और उससे 84 व 89 के चुनाव में प्रचार किया। 1989 के चुनाव में जब वरिष्ठ भाजपा नेता धारकर का टिकट काटकर सुमित्रा महाजन का नाम तय किया, तब धारकर एक अखबार के कार्यालय में बैठे थे। वहीं पर फैक्स से सूचना मिली कि उनका टिकट बदल दिया गया है। इस पर धारकर ने वहां मौजूद कार्यकर्ताओं से मुस्कुराकर कहा- चलो, अब सुमित्रा का चुनाव प्रचार करना है। खूब मेहनत करनी है, सब लोग जुट जाओ।
71 वर्षों से देवी अहिल्या के आदर्शों को जी रहा शहर
मां अहिल्या के इंदौर ने 1952 में पहला संसदीय चुनाव देखा। तब लोगों को चुनाव में बूथ तक लाना आसान नहीं था। किंतु इंदौर ने संवैधानिक व्यवस्था को तेजी से स्वीकारा और नंदलाल सूर्यनारायण जोशी को पहला सांसद चुना। तब कांग्रेस बेहद मजबूत थी, फिर भी इंदौर ने हमेशा व्यक्ति और उसके कार्यों को देखकर चुना। यही कारण रहा कि 1962 में हुए तीसरे चुनाव में ही भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार और मजदूर नेता होमी दाजी को सांसद चुन लिया।
इस परिवर्तन से इंदौर देशभर में राजनीतिक सुर्खियों में रहा। 1977 में इंदौर ने फिर बड़े दलों को किनारे करते हुए भारतीय लोकदल के कल्याण जैन को चुनकर फिर चौंकाया। इंदौर ने कर्मठ नेताओं को खूब प्यार भी दिया। मप्र के मुख्यमंत्री रहे प्रकाशचंद सेठी को चार बार सांसद चुना। फिर सुमित्रा महाजन को भी लगातार आठ बार सांसद बनाया।
एक किस्सा ऐसा भी
वरिष्ठ भाजपा नेता सत्यनारायण सत्तन बताते हैं, इंदौर राजनीतिक रूप से सदैव जागरूक रहा। यही कारण रहे कि शहर ने मजदूर व कम्युनिस्ट नेता होमी दाजी को चुनकर संसद भेजा। दाजी वाकचातुर्य के धनी थे। उनके बोलने के अंदाज की प्रशंसा तो तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू भी संसद में करते थे। बाद में जब जब प्रकाशचंद सेठी लगातार दो बार सांसद चुने गए, तब कुशाभाऊ ठाकरे ने मुझे सत्यनारायण सत्तन और निर्भयसिंह पटेल में से किसी एक को चुनाव लड़ने के लिए तैयार रहने को कहा था।
फिर उसी दौरान नए चेहरे को मैदान में उतारने की बात पर सहमति बनी और ताई को प्रत्याशी बनाया गया। फिर ताई ने मैदान संभाला और इंदौर को मूलभूत सुविधाएं दिलवाईं। तब तक इंदौर देश के अन्य शहरों से सड़क, रेल और हवाई मार्ग से ठीक से जुड़ा भी नहीं था। सबसे पहले इसी पर कार्य शुरू किया। फिर अच्छे स्कूल, कालेज खुलें, इसकी कोशिशें कीं।
होमी दाजी और लालवानी के रिकार्ड
इंदौर में सबसे कम मतों से जीत का रिकार्ड पूर्व सांसद होमी दाजी के नाम रहा। उन्होंने 1962 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में कांग्रेस के रामसिंह भाई वर्मा को छह हजार वोटों से हराया था, जबकि 2019 में भाजपा प्रत्याशी शंकर लालवानी ने कांग्रेस के पंकज संघवी को 5 लाख 47 हजार 754 वोटों से हराकर सबसे अधिक वोटो से जीतने का रिकार्ड बनाया।।
कुछ ऐसा है इंदौर लोकसभा क्षेत्र
- आठ विधानसभा हैं- क्रमांक एक, दो, तीन, चार, पांच के अलावा राऊ, देपालपुर व सांवेर।
- कुल मतदाता - 2475468
- पुरुष मतदाता - 1250586
- महिला मतदाता - 1224782
- थर्ड जेंडर मतदाता - 100
इंदौर, मध्यप्रदेश के विजेता
- पार्टी :भारतीय जनता पार्टी
- प्राप्त वोट :1068569
- वोट %69
- पुरुष मतदाता1208418
- महिला मतदाता1141982
- कुल मतदाता2350580
- निकटतम प्रतिद्वंद्वी
- पार्टी
- प्राप्त वोट520815
- हार का अंतर547754
राजनीतिनामा
Maharashtra CM: फडणवीस या शिंदे, कौन होगा महाराष्ट्र का असली बॉस? आज हो सकता है सीएम पर फैसला
maharashtraमहाराष्ट्र के नतीजे से सदमे में विपक्ष, उद्धव बोले- लहर नहीं सुनामी थी; राहुल ने कहा- ये अप्रत्याशित
maharashtra- maharashtra
Maharashtra Election Result: बेमेल चुनावी नैरेटिव... महाराष्ट्र में कांग्रेस की हार के 10 फैक्टर
politics- politics
महाराष्ट्र में इस वजह से उद्धव ठाकरे फैक्टर हुआ फेल? 'असली शिवसेना' और ' असली NCP' पर जनता की मुहर
politics
लोकसभा परिणाम 2024
- पार्टीरिजल्टसीट %
- एनडीए3645
- आइएनडीआइए4354
- अन्य11