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फेज: 1
चुनाव तारीख: 11 अप्रैल 2019
बिहार-झारखंड की सीमा पर स्थित औरंगाबाद को मिनी चित्तौड़गढ़ कहा जाता है। यह सीट हमेशा सुर्खियों में रही है। अदरी नदी के तट पर स्थित इस शहर को पहले नौरंगा कहा जाता था। बाद में इसका नाम औरंगाबाद हो गया। 26 जनवरी 1973 को औरंगाबाद मगध प्रमंडल के गया जिले से हटकर स्वतंत्र जिला बना। जीटी रोड एवं औरंगाबाद-पटना रोड जिले की लाइफलाइन मानी जाती हैं। औरंगाबाद जिले में दो अनुमंडल-औरंगाबाद सदर एवं दाउदनगर है। इस जिले में 11 प्रखंड हैं। यहां की 70 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है। हालांकि यहां सिंचाई की मुकम्मल व्यवस्था नहीं हो सकी है। औरंगाबाद की सियासत में कांग्रेस का दबदबा रहा है। यहां की राजनीति बिहार विभूति अनुग्रह नारायण सिंह के परिवार के इर्द-गिर्द घूमती रही है। यहां के पहले सांसद सत्येंद्र नारायण सिंह थे। कांग्रेस पार्टी यहां से नौ बार विजयी रही है। पहली बार 1989 में सत्येंद्र नारायण सिन्हा के परिवार को हार का सामना करना पड़ा था, तब रामनरेश सिंह ने जनता दल के टिकट पर जीत दर्ज की थी। 2014 में इस सीट पर पहली बार भाजपा का खाता खुला और सुशील कुमार सिंह सांसद बने। 2019 में भी सुशील कुमार सिंह ने यहां से भाजपा को विजय दिलाई। विधानसभा सीटें और विकास औरंगाबाद लोकसभा सीट के तहत कुटुंबा,रफीगंज, इमामगंज, गुरुआ, टिकारी विधानसभा सीटें आती हैं। औरंगाबाद जिला नक्सल प्रभावित है। यहां 1987 से 2000 तक कई नरसंहार हुए। यहां की सिंचाई व्यवस्था अब भी अधूरी है। 1970 के दशक के शुरू सेउत्तर कोयल नहर परियोजना अब तक अधूरी है। हड़ियाही परियोजना का भी यही हाल है। शिक्षा एवं स्वास्थ्य की भी यही हालत है। औरंगाबाद रेल सेवा से अब तक नहीं जुड़ा है। प्रमुख घटनाएं और मुद्दे 2016 में नक्सलियों से मुठभेड़में सीआरपीएफ के दस जवान शहीद हो गए थे। 2019 में भाजपा विधान पार्षद के घर पर नक्सलियों की हत्या, दर्जन भर वाहन फूंके गए और उनके चाचा की हत्या की गई। औरंगाबाद-गया सीमा पर नक्सली हमले में सीआरपीएफ के सब इंस्पेक्टर शहीद हो गए। यहां के प्रमुख मुद्दों में उत्तर कोयल सिंचाई परियोजना एवं हड़ियाही सिंचाई परियोजना हैं। इनके अलावा पर्यटन स्थल देव को सूर्य सर्किट में शामिल करना,हड़ियाही सिंचाई परियोजना को पूर्ण करना,उमगा एवं पवई पहाड़ का सौंदर्यीकरण, नक्सलवाद, मेडिकल कॉलेज की स्थापना, औरंगाबाद को रेलमार्ग से जोड़ना आदि भी यहां के प्रमुख मुद्दे हैं।हालांकिउत्तर कोयल परियोजना का प्रधानमंत्री ने इसी साल शिलान्यास कर दिया है। यहांकुल मतदाताओं की संख्या13,76,323,जिले की कुल जनसंख्या25,40,073 और साक्षरता दर70.32 प्रतिशत है। औरंगाबाद की खास बातें औरंगाबाद बिहार का महत्वपूर्ण लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है। इस लोकसभा के अंतर्गत 6 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। प्राचीन काल में औरंगाबाद, मगध राज्य का हिस्स था। इस क्षेत्र के उमगा में एक वैष्णव मंदिर है। इसे उमगा मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यहां सूर्य देव मंदिर धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है। औरंगबाद में विद्युत उत्पादन के लिए एनटीपीसी का बड़ा प्लांट भी है। यहां सीमेंट उत्पादन, कालीन और कंबल बनाने के कारखाने भी हैं। यह क्षेत्र प्रदेश की राजधानी पटना से करीब 148 किलोमीटर दूर है, जबकि राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली से इस क्षेत्र की दूरी 993 किलोमीटर है।
औरंगाबाद, बिहार के विजेता
- पार्टी :भारतीय जनता पार्टी
- प्राप्त वोट :427721
- वोट %54
- पुरुष मतदाता920266
- महिला मतदाता822565
- कुल मतदाता1742883
- निकटतम प्रतिद्वंद्वी
- पार्टी
- प्राप्त वोट357169
- हार का अंतर70552
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