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भारत में चुनाव 2019 की सम्पूर्ण जानकारी
देश के लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए हर मतदाता का वोट अहम है। 2019 के लोकसभा चुनाव में करीब 90 करोड़ लोग अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। मतदाताओं को उनके वोट का महत्व समझाने के लिए चुनाव आयोग कई स्तरों पर लगातार कोशिश कर रहा है। जागरण ऑनलाइन आयोग की इस पहल में दे रहा है उसका साथ, ताकि आम लोग अपने पॉवर वोट से देश और समाज के साथ ही अपनी किस्मत भी बदल सकें।
जागरूकता अभियान
चुनाव आयोग एसवीईईपी नामक कार्यक्रम के जरिए मतदाताओं को उनके वोट का महत्व बताकर चुनाव प्रक्रिया में हिस्सा लेने के लिए उन्हें प्रेरित करता है। इसके तहत लोगों को चुनाव प्रक्रिया की सभी जरूरी जानकारियां दी जाती हैं, ताकि देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था और मजबूत हो और शासन व्यवस्था अधिक पारदर्शी बने।
वोटर कार्ड के लिए ऑनलाइन आवेदन
चुनाव आयोग ने मतदाताओं को वोटर कार्ड के लिए ऑनलाइन आवेदन करने का मौका दिया है। अब वोटर कार्ड के लिए उन्हें लाइन में लगने और समय बर्बाद करने की जरूरत नहीं है। आयोग की वेबसाइट पर जाकर आप आवेदन की प्रगति भी ट्रैक कर सकते हैं। यही कारण है कि आज देश के 99.3 फीसद मतदाताओं के पास वोटर कार्ड है। वोटर कार्ड की गलती सुधारने के लिए भी ऑनलाइन विकल्प उपलब्ध है।
अहम जानकारियां और डेटा
आयोग मतदाताओं से लेकर मीडिया तक के लिए चुनाव प्रक्रिया से जुड़ीं महत्वपूर्ण जानकारियां, फॉर्म या किसी फॉर्मेट में होने वाले बदलाव, संशोधन, आचार संहिता आदि की जानकारियां देता है। इनके अलावा राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों, उनके चुनाव चिन्ह, अभी तक हुए चुनावों के नतीजे समेत सभी चुनावी जानकारियां भी इसकी वेबसाइट पर उपलब्ध हैं।
वोटर हेल्पलाइन ऐप
आयोग ने एक कदम और आगे बढ़कर मतदाताओं को ‘वोटर हेल्पलाइन’नामक ऐप भी दी है। इस एंड्रॉयड ऐप को प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है। इसका मकसद मतदाताओं के साथ लगातार संवाद करना है, ताकि राजनीति और चुनाव के जुड़ी उनकी समझ बढ़े और लोकतांत्रिक प्रक्रिया मजबूत हो। ऐप से मतदाता इलेक्टोरल रॉल में अपना नाम वेरिफाई भी कर सकते हैं, नए वोटर्स अपना फॉर्म भर सकते हैं, अशुद्धियां दूर करवा सकते हैं और चुनाव सेवाओं से जुड़ी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
ईवीएम मशीन
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) भारतीय चुनाव प्रक्रिया के लिए किसी क्रांति से कम नहीं है। इसने मतदान और मतगणना की पूरी तस्वीर बदलकर रख दी। जो काम पहले कई दिनों में होता था, वह काम अब चंद घंटों में होने लगा है। देश में पहली बार 1999 में ईवीएम के जरिए कुछ सीटों पर मतदान कराया गया था। 2004 में ईवीएम को पूरे देश में लागू किया गया। ईवीएम नियंत्रण इकाई और मतदान इकाई के रूप में दो हिस्सों में बंटी होती है। नियंत्रण इकाई मतदान अधिकारी के पास रहती है, जबकि मतदान इकाई से वोट डाला जाता है।
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