फेज: 5
चुनाव तारीख: 20 मई 2024
कोलकाता के उपनगरीय इलाकों में शुमार बैरकपुर संसदीय क्षेत्र उत्तर 24 परगना जिले में हुगली नदी के तट पर बसा है। बैरकपुर की पहचान राज्य के प्रमुख औद्योगिक केंद्र के तौर पर है। राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम के रचयिता बंकिम चंद्र चटर्जी का जन्म इसी संसदीय क्षेत्र के नैहाटी में हुआ था। स्वतंत्रता सेनानी मंगल पांडे ने सन् 1857 में प्रथम स्वाधीनता संग्राम का बिगुल इसी बैरकपुर की जमीन से फूंका था। कहा जाता है कि यहां आजादी के पहले सैनिकों की छावनी हुआ करती थी, जिस कारण इसका नाम बैरकपुर पड़ा। आज भी यहां सेना का कैंप है। जिले के इच्छापुर में राइफल फैक्ट्री है। क्षेत्र की पहचान जूट मिलों के लिए है। लोकसभा क्षेत्र के तौर पर 1952 में अस्तित्व में आए बैरकपुर में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी माकपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला रहा है। हालांकि ज्यादातर समय यहां से माकपा के सदस्य चुने जाते रहे हैं। राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद यहां से सांसद भी तृणमूल कांग्रेस का ही बना। दिनेश त्रिवेदी 2009 और इसके बाद 2014 में दूसरी बार सांसद चुने गए। त्रिवेदी केंद्र में रेल मंत्री भी रह चुके हैं। सातों विधानसभा सीटों पर तृणमूल का वर्चस्व इस संसदीय क्षेत्र में सात विधानसभा सीटें हैं, जिनमें आमडांगा, बीजपुर, नैहाटी, भाटपाड़ा, जगदल, नोआपाड़ा और बैरकपुर शामिल हैं। बैरकपुर से लेकर नदिया जिले से सटे बीजपुर विधानसभा सीट तक सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस का वर्चस्व है। डेमोग्राफी जिले में अधिकतर लोग कामकाजी हैं। यहां तकरीबन 35 फीसद आबादी हिंदीभाषी लोगों की है, जो यूपी-बिहार से ताल्लुक रखते हैं। इसके अलावा ओडि़शा और दक्षिण भारत के कुछ लोग भी यहां कामकाज के सिलसिले में बसे हुए हैं। क्षेत्र में कुछ जगहों पर अल्पसंख्यक वोट बैंक मायने रखता है। यहां की आबादी का करीब 40 फीसद हिस्सा शहरी क्षेत्रों में निवास करता है, जबकि बाकि लोग ग्रामीण इलाकों में खेती और कुटीर उद्योग से जुड़े हुए हैं। क्षेत्र में पिछले पांच साल में तृणमूल-माकपा कार्यकर्ताओं के बीच खूनी संघर्ष सुर्खियों में रहा है। बीते साल नोआपाड़ा में हुए विधानसभा उपचुनाव में जमकर हिंसा देखने को मिली थी। बीजपुर विधानसभा सीट के तहत पडऩे वाले हाजीनगर में दो साल पहले दुर्गापुजा और मोहर्रम एक साथ पडऩे के दौरान सांप्रदायिक तनाव भड़क उठा था। विकास का हाल बैरकपुर संसदीय क्षेत्र के विकास के लिए सांसद निधि के तहत 25 करोड़ रुपये आवंटित हैं। इसमें 22.47 करोड़ रुपये को मंजूर किया गया है, जिसमें 87.87 फीसद रकम खर्च करने का दावा किया जाता है। वैसे बुनियादी ढांचे को लेकर किया गया खर्च जमीनी स्तर पर दिखता भी है। स्थानीय मुद्दे यहां कमोबेश समस्याएं जूट मिलों से संबंधित ही हैं। चुनावों में नेता बंद पड़ी जूट मिलों को खुलवाने का दावा तो करते रहे हैं लेकिन धरातल पर इसके परिणाम नहीं दिखते। क्षेत्र में आबादी घनी है, लेकिन रोजगार इस अनुपात में कम है। सत्तारूढ़ तृणमूल के लिए विकास चुनावी मुद्दा है तो विपक्ष बेरोजगारी, राजनीतिक संघर्ष, बंद कारखानों को खुलवाने, अवैध बालू खनन और सिंडीकेट को मुद्दा बना सकता है। बैरकपुर की खास बातें बैरकपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र पश्चिम बंगाल के 14 संसदीय क्षेत्रों में से एक है। इस लोकसभा क्षेत्र में अमदांगा, बीजपुर, भाटपारा समेत सात विधानसभा क्षेत्रों को समाहित किया गया है। हुगली नदी के किनारे बसा यह क्षेत्र उत्तर 24 परगना जिले का हिस्सा है। सेना की छावनियां यहां होने के कारण इसका नाम बैरकपुर पड़ा। प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत यहीं से मंगल पांडे ने की थी। अंग्रेजों के खिलाफ आजादी का बिगुल बजाने वाले मंगल पांडे की याद में यहां उनका स्मारक और प्रतिमा स्थापित की गई है। यहां पर बड़ी संख्या में देशभक्त आते हैं और वीर मंगल पांडे को श्रद़धासुमन अर्पित करते हैं।
बैरकपुर, पश्चिम बंगाल के विजेता
- पार्टी :भारतीय जनता पार्टी
- प्राप्त वोट :472994
- वोट %77
- पुरुष मतदाता742305
- महिला मतदाता694097
- कुल मतदाता1436431
- निकटतम प्रतिद्वंद्वी
- पार्टी
- प्राप्त वोट458137
- हार का अंतर14857
राजनीतिनामा
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लोकसभा परिणाम 2024
- पार्टीरिजल्टसीट %
- एनडीए3645
- आइएनडीआइए4354
- अन्य11