चुनाव समाचार
- elections
- rajasthan
- madhya pradesh
- elections
- elections
- elections
- elections
Madhya Pradesh: सनातनी और सहानुभूति कार्ड खेल रहे दिग्विजय, मतदाताओं को पत्र लिखकर की भावुक अपील
elections- elections
- elections
उत्तर 24 परगना जिले की बनगांव लोकसभा सीट 2009 में अस्तित्व में आई थी। इससे पहले यह क्षेत्र बारासात संसदीय क्षेत्र के तहत आता था, लेकिन परिसीमन 2009 की रिपोर्ट में बनगांव को अलग से लोकसभा क्षेत्र घोषित किया गया। इस संसदीय क्षेत्र का कुछ हिस्सा नादिया जिले में भी आता है। सात विधानसभा सीट इस संसदीय सीट के अस्तित्व में आने के बाद से यहां तृणमूल का ही बर्चस्व रहा है। इस संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत सात विधानसभा सीटें हैं जिनमें कल्याणी, हरिनघाटा, बाग्दा, बनगांव उत्तर, बनगांव दक्षिण , गोघाट और स्वरूपनगर शामिल हैं। 2014 के लोकसभा चुनावों में चुने गए सांसद कपिल कृष्ण ठाकुर के निधन के बाद 2015 में इस सीट पर उपचुनाव हुए जिसमें तृणमूल कांग्रेस की ही उम्मीदवार ममता ठाकुर जीतने में कामयाब रहीं। डेमोग्राफी अभी तक यहां तीन ही लोकसभा चुनाव देखने को मिले हैं। सभी सात विधानसभा सीटें अनुसूचित जातियों के लिए सुरक्षित हैं। अनुसूचित जनजाति की हिस्सेदारी क्रमश: 42.56 और 2.8 फीसदी है। बांग्लादेश से सटे होने के कारण इस संसदीय क्षेत्र में दोनों देशों की सांस्कृतिक झलक देखने को मिलती है। यहां की आबादी कृषि पर सर्वाधिक निर्भर है। जातिगत आधार पर कुछ जगहों पर अल्पसंख्यक समुदाय का वर्चस्व है। सीट के लिए मतुआ समुदाय की भूमिका काफी अहम है। बनगांव लोकसभा क्षेत्र में 50 फीसदी से ज्यादा मतुआ समुदाय के लोग हैं। यह समुदाय 1947 में देश विभाजन के बाद शरणार्थी के तौर पर यहां आया था। बंगाल में इनकी आबादी लगभग तीस लाख है और उत्तर व दक्षिण 24-परगना जिलों की कम से कम पांच सीटों पर ये निर्णायक स्थिति में हैं। मतुआ समुदाय मुख्य रूप से बांग्लादेश से आए छोटी जाति के हिंदू शरणार्थी हैं और इन्हें लगभग 70 लाख की जनसंख्या के साथ बंगाल का दूसरा सबसे प्रभावशाली अनुसूचित जनजाति समुदाय माना जाता है। यही वजह है कि सभी दल इनको लुभाने की जुगत में हैं। विकास का हाल इस संसदीय सीट ने तीन बार चुनाव देखा है। बनगांव लोकसभा सीट के पहले सांसद तृणमूल कांग्रेस के गोविंद चंद्र नास्कर बने थे। क्षेत्र में कृषि आधारित विकास कार्यों पर अधिक फोकस करने का दावा किया जाता है। स्थानीय मुद्दे यह वह इलाका है जिस पर भारतीय जनता पार्टी की निगाह बनी हुई है। सभी राजनीतिक दलों की नजर मतुआ समुदाय पर है। पेट्रापोल बोर्डर बांग्लादेश से सटा हुआ है। यद्यपि अब सीमा पर सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त है लेकिन गो तस्करी यहां के लिए बड़ा मुद्दा है। रोजगार के अभाव में लोगों का शहरों की ओर पलायन भी प्रमुख मुद्दा है। बनगांव की खास बातें बनगांव लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र पश्चिम बंगाल के 42 संसदीय क्षेत्रों में से एक है। यह संसदीय क्षेत्र 1952 में देश के लिए हुए पहले लोकसभा चुनावों में अस्तित्व में नहीं था। भारत के परिसीमन आयोग की सिफारिशों के बाद 2008 में इसे संसदीय क्षेत्र बनाया गया। 2009 में यहां पहली बार लोकसभा निर्वाचन के लिए मतदान हुआ। यह क्षेत्र पश्चिम बंगाल में उत्तर 24 परगना जिले का हिस्सा है। नगर पालिका होने के साथ ही यह क्षेत्र बंगाल उपखंड का मुख्यालय भी है। इस क्षेत्र के प्रमुख शैक्षिक संस्थानों में पश्चिम बंगाल राज्य विश्वविद्यालय, दीनबंधु महाविद्यालय प्रमुख हैं।
बनगांव, पश्चिम बंगाल के विजेता
- पार्टी :भारतीय जनता पार्टी
- प्राप्त वोट :687622
- वोट %83
- पुरुष मतदाता876159
- महिला मतदाता828450
- कुल मतदाता1704632
- निकटतम प्रतिद्वंद्वी
- पार्टी
- प्राप्त वोट576028
- हार का अंतर111594
LIVE अपडेट
राजनीतिनामा
Amit Shah: तेलंगाना के लिए भाजपा का प्लान तैयार, शाह ने समझाया आरक्षण की नीति पर कैसे होगा काम
politics- politics
- politics
- politics
- gujarat
- politics
रिजल्ट
- पार्टीरिजल्टवोट %
- बीजेपी6277
- बीएसपी1012
- अन्य810
- महिला मतदाता67,055,997
- पुरुष मतदाता79,070,809
- कुल मतदाता146,126,806