डॉ. जयंतीलाल भंडारी। नए साल 2026 की आर्थिक संभावनाओं पर प्रकाशित विभिन्न वैश्विक आर्थिक संगठनों की रिपोर्टों के अनुसार नव वर्ष भारत के लिए बेहतर आर्थिक संभावनाओं वाला होगा। केयर एज रेटिंग्स के अनुसार आगामी वित्तीय वर्ष 2026-27 में भारतीय अर्थव्यवस्था सात प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है। ऐक्सिस बैंक की रिपोर्ट के अनुसार आगामी वर्ष में भारत की विकास दर 7.5 प्रतिशत के ऊंचे स्तर पर पहुंचती दिख सकती है। जहां भारत वर्ष 2025 में 4.18 ट्रिलियन (लाख करोड़) डालर की जीडीपी के साथ दुनिया की चौथी सबसे बड़ी आर्थिकी बन गया है। नए साल में भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की डगर पर आगे बढ़ेगा। वैश्विक निवेश फर्म इन्वेसको का कहना है कि इस साल भी भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में अपनी स्थिति कायम रखेगा। हालांकि वैश्विक आर्थिक अनिश्चिताओं के बीच भारत को आर्थिक और वित्तीय सुधारों को गति भी देनी होगी।

नए वर्ष में घरेलू बाजार की मजबूती भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए मजबूत आधार बनी रहेगी। इस दौरान भारत का घरेलू बाजार 10 प्रतिशत से अधिक की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ेगा और इस तेज गति से वर्ष 2030 तक भारत का घरेलू बाजार लगभग 237 अरब डालर की ऊंचाई पर पहुंच सकता है। 2026 में महंगाई घटने, टैक्स सुधार और ब्याज दर में कमी से घरेलू बाजार को रफ्तार से बढ़ने के आधार मिलेंगे। रिजर्व बैंक का कहना है कि 2026 में महंगाई में नरमी बनी रहेगी। गत वर्ष जीएसटी की दरों में सुधारों की जो पहल शुरू हुई है, उसके फल इस साल और व्यापक रूप से मिलने शुरू होंगे। नए वर्ष में मनेरगा की जगह लागू वीबी-जी राम जी से भी ग्रामीण रोजगार और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।

एक अप्रैल से लागू किया जाने वाला नया इनकम टैक्स कानून महज कुछ धाराओं के बदलाव ही नहीं, बल्कि पूरी टैक्स व्यवस्था के कायापलट के साथ आर्थिकी को आगे बढ़ाया है। इससे मध्यम वर्ग के लोगों की क्रय शक्ति बढ़ेगी। इससे मांग बढ़ेगी और निजी निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा। रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में कटौती का जो सिलसिला शुरू किया, उसके इस साल भी जारी रहने के ही आसार हैं। इससे भी मांग और खपत में तेजी आएगी। वैश्विक वित्तीय सलाहकार फर्म ग्लोबल वेल्थ मैनेजर की नई रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2026 खपत के स्तर में सुधार के मामले में भारत दुनिया का सबसे आकर्षक बाजार होगा। बढ़ते उद्योग-कारोबार, सर्विस सेक्टर, बुनियादी ढांचा, शेयर बाजार और मध्यम वर्ग की क्रय शक्ति के कारण देश में जीएसटी और इनकम टैक्स संग्रहण में तेज वृद्धि होगी। वित्त वर्ष 2025-26 में अप्रैल से नवंबर 2025 के बीच जीएसटी संग्रह गत वर्ष की इसी अवधि से बढ़कर 14.75 लाख करोड़ रुपये हो गया है। इसी प्रकार मौजूदा वित्त वर्ष 2025-26 में बीते हुए वर्ष से अधिक आयकर रिटर्न और अधिक आयकर प्राप्ति का परिदृश्य उभरकर दिखाई दे रहा है। चालू वित्त वर्ष 2025-26 के लिए दिसंबर तक 8.44 करोड़ आयकर रिटर्न दाखिल किए गए हैं।

भारत द्वारा ब्रिटेन, ओमान और न्यूजीलैंड के साथ किए गए मुक्त व्यापार समझौते इस साल अमल में आएंगे। साथ ही अमेरिका, यूरोपीय संघ, पेरू, चिली, आसियान, मेक्सिको, कनाडा, दक्षिण अफ्रीका, इजरायल, गल्फ कंट्रीज काउंसिल सहित अन्य प्रमुख देशों के साथ भी एफटीए आकार लेते हुए दिखाई देंगे। नए वर्ष में मारीशस, संयुक्त अरब अमीरात यानी यूएई, आस्ट्रेलिया और चार यूरोपीय देशों आइसलैंड, स्विट्जरलैंड, नार्वे और लिकटेंस्टाइन के समूह यूरोपियन फ्री ट्रेड एसोसिएशन (एफ्टा) के बीच हुए एफटीए के लाभ भी पिछले वर्ष की तुलना में अधिक मिलेंगे। इन सबके साथ-साथ नए वर्ष 2026 में कई और अच्छी आर्थिक संभावनाएं दिखाई दे रही हैं।

वर्ष 2026 में भारतीय शेयर बाजार रफ्तार से आगे बढ़ेगा और बड़ी संख्या में विदेशी निवेशकों का रुझान भारत की ओर बढ़ेगा। एक अप्रैल 2026 से नए श्रम कानून लागू होने से उद्योग-कारोबार व निर्यात बढ़ने का परिदृश्य उभरकर दिखाई देगा। नि:संदेह वर्ष 2026 में भारत के लिए बेहतर आर्थिक संभावनाएं दिखती हैं, लेकिन भारत को अपनी मजबूत आर्थिक गति को बनाए रखने के लिए वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता के बीच घरेलू खपत बढ़ाने, रोजगार सृजन और राजकोषीय घाटे पर नियंत्रण के साथ आर्थिक सुधारों की डगर पर आगे बढ़ना होगा। इन सुधारों के तहत अगली पीढ़ी के सुधार, जीवन एवं कारोबारी सुगमता, बुनियादी ढांचा सुधार, प्रशासन को सशक्त बनाने और आर्थिकी को मजबूती देने संबंधी सुधार शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, देश को कृषि, बैंकिंग, परिवहन और दूरसंचार, बिजली, परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष, रक्षा, पेट्रोलियम, कोयला और अन्य खनिज आदि सुधारों को भी गति देना होगा।

आशा है कि सरकार नए साल में विश्व बैंक की वित्तीय क्षेत्र आकलन (एफएसए) समिति की उस रिपोर्ट को अवश्य ध्यान में रखेगी, जिसमें कहा गया है कि भारत को उद्योग-कारोबार के मजबूत विकास के लिए आर्थिक-वित्तीय क्षेत्र में तेज सुधारों के साथ निजी पूंजी जुटाने को बढ़ावा देना होगा। नए साल में विनिर्माण गतिविधियों को मजबूती मिलने की संभावना है। यह भी उम्मीद है कि आने वाले समय में डालर के मुकाबले रुपया मजबूत होगा और कर सुधार एवं ब्याज दर में कटौती से विकास दर को रफ्तार मिलेगी।

(लेखक अर्थशास्त्री हैं)