आपदा और सुख आश्रय के बीच एक वर्ष: चुनैतियों से भरा रहा साल फिर भी चमकी सुक्खू सरकार; OPS लागू करने सहित कई काम किए पूरे
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार 11 दिसंबर को एक वर्ष पूरा कर रही है। इसके आसपास ही मंत्रिमंडल के तीन पद भी भरे जाने की चर्चा यौवन पर है। अब क्योंकि पांच राज्यों के चुनाव परिणाम आ चुके हैं और कांग्रेस से राजस्थान और छत्तीसगढ़ छिटक गए हैं तेलंगाना ही उसकी प्राप्ति है इसलिए अब मंत्री बनाए जा सकते हैं।
नवनीत शर्मा। किसी कहानी के नायक एक गुरु जी का स्मरण हो आया। उनके आश्रम में कई शिष्य शिक्षित-दीक्षित होते थे। गुरु जी सुबह ही शिष्यों को जगा कर कहते थे-जाओ पानी भर लाओ, फिर आराम से चटाई पर विश्राम करना। जैसे ही पानी आ जाता था, गुरु जी का आदेश होता था-बेटा, पहले पानी गर्म करके स्नान कर लो, फिर आराम से चटाई पर बैठना।
स्वाभाविक है कि पानी गर्म करने के लिए लकड़ी जलाना अनिवार्य था। इस सब से मुक्त होकर शिष्य जब गुरु जी के पास आते थे तो नया आदेश तैयार होता था- जाओ अब पूजा-अर्चन कर के भोजनादि की व्यवस्था कर लो, फिर चटाई पर विश्राम करना। सारांश यह कि सूर्यास्त तक एक के बाद एक कार्य जारी रहते थे और शिष्यों को चटाई मिलती थी, न विश्राम।
सुक्खू सरकार के एक साल पूरा होने पर भरेंगे मंत्रिमंडल के तीन पद?
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार 11 दिसंबर को एक वर्ष पूरा कर रही है। इसके आसपास ही मंत्रिमंडल के तीन पद भी भरे जाने की चर्चा यौवन पर है। मंत्रिमंडल की चटाई में तीन रिक्त स्थान भरने की चर्चा लगभग पूरा वर्ष ही रही है पर अब संभवत: यह भर जाएंगे क्योंकि मुख्यमंत्री ने बीते कुछ दिनों में यह बात जोर देकर कही है। जयराम सरकार ने भी कुछ पद रिक्त रखे थे और लंबे समय तक रखे थे। वे लोकसभा चुनाव, उपचुनाव, नगर निगम चुनाव और कोरोना आदि के बाद ही भरे गए थे। सुक्खू सरकार को तो एक ही वर्ष हुआ है।
मंत्रिमंडल के पद भरने की ये है वजह
अब क्योंकि पांच राज्यों के चुनाव परिणाम आ चुके हैं और कांग्रेस से राजस्थान और छत्तीसगढ़ छिटक गए हैं, तेलंगाना ही उसकी प्राप्ति है, इसलिए अब मंत्री बनाए जा सकते हैं। परिणामों के बाद की चर्चा और दहलीज पर खड़े लोकसभा चुनाव को देखते हुए स्वाभाविक है कि उन क्षेत्रों को महत्व मिलेगा, जहां अभी प्रतिनिधित्व कम है या नहीं है। यह कांगड़ा भी होगा। जो हो, अंतत: मंत्रिमंडल का विस्तार सरकार या संगठन के आंतरिक प्रबंधन का विषय है, जिसके अंतर्गत समीकरण साधे जाते हैं और मानक रहते हैं-क्षेत्र, जाति, निष्ठा और उपयोगिता।
एक साल में सुक्खू सरकार ने पूरे किए कई काम
बहरहाल, धर्मशाला के पुलिस मैदान में 11 दिसंबर को प्रियंका गांधी की उपस्थिति में सरकार एक वर्ष का जश्न मनाएगी। विपक्ष का कहना है कि जश्न जैसी कोई बात नहीं है। किंतु यह पूरा सच नहीं है। एक वर्ष में पुरानी पेंशन योजना लागू करना, अनाथों को स्पर्श देती सुख आश्रय योजना शुरू करना और संसाधनों के लिए प्रयास करने जैसे काम महत्वपूर्ण हैं। राजस्व विभाग में इंतकाल जैसे दशकों से लटके कार्य भी युद्धस्तर पर निपटाए जा रहे हैं। सरकारी विभागों में इलेक्ट्रिक वाहनों पर जोर है, जिसमें परिवहन विभाग ने 80 लाख रुपये बचाए हैं।
'आपदा के समय केंद्र से नहीं कोई मदद'
कई गारंटियां पूरी नहीं हुई हैं पर सत्तापक्ष का कहना है कि होंगी। इस सबके बीच, बरसात लगभग आपदा में बीती है, प्रदेश उससे भी उबर रहा है। आपदा के बाद से भाजपा कह रही है कि केंद्र ने बहुत सहायता की है जबकि मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री कहते हैं कि कोई एक रुपये की सहायता का कागज दिखा दो। मुख्यमंत्री ने अपनी बचत से 51 लाख रुपये भी आपदा राहत के लिए दिए हैं। संदेह नहीं कि अगले चार वर्ष केवल संसाधनों पर जोर देना होगा। आत्मनिर्भर हिमाचल प्रदेश का सपना डॉ. यशवंत सिंह परमार से लेकर सुखविंदर सिंह सुक्खू तक सबने देखा है। सबने अपने सामर्थ्य के अनुसार योगदान दिया।
दो राज्यों की हार से सबक ले रही कांग्रेस
यह समय सुखविंदर सिंह सुक्खू का है, इसलिए अपेक्षाएं उनसे हैं। सचिवालय की गोपनीयता और अधिकारियों पर प्रभाव तो प्रतीत होता है। यही लय अगले चार वर्ष भी बनी रहनी चाहिए। हालांकि, मंत्रिमंडल के तीनों स्थान भर जाएंगे, यह कहना कठिन है। संभव है ताक पर रखा हुआ एक अनार....भविष्य में पद के तलबगारों की मिजाजपुर्सी के काम आता रहे। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में मिली हार के बाद संगठन ने कुछ स्वर उठाए हैं।
सीएम सुक्खू और डिप्टी सीएम के लिए लोकसभा चुनाव कठिन
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष प्रतिभा सिंह का कहना था कि नेताओं को सम्मान मिलना चाहिए। संगठन जब भी सम्मान की बात करे तो राजनीतिक शब्दकोष में उसका अर्थ बोर्ड, निगम की कुर्सी या अन्य समायोजन ही होता है। मुख्यमंत्री कहते हैं कि समय आने पर सब होगा और तालमेल का कोई अभाव नहीं है। लोकसभा चुनाव चार सीटों पर होगा पर मुख्यमंत्री सुक्खू और उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री के लिए अपने संसदीय क्षेत्र हमीरपुर में विशेष परीक्षा होगी क्योंकि वह भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा और सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर का भी संसदीय क्षेत्र है।
कांग्रेस को आगे बढ़ने के लिए केंद्र से समन्वय जरुरी
इस समय देखना यह आवश्यक है कि प्रदेश का सम्मान किसमें है। केंद्र पर आश्रित रहने में या आत्मनिर्भरता के लिए उठ रहे कदमों को तेज करने में? पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हाराव ने एक बार हिमाचल प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री से पानी की रायल्टी के विषय पर कहा था कि पार्टियों की सरकारें होती हैं पर सरकारों की कोई पार्टी नहीं होती। इस दृष्टि से प्रदेश को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक है कि केंद्र से भी समन्वय हो और जनता में अंतिम व्यक्ति तक सरकार का स्पर्श पहुंचे।














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