विचार: आतंक से मुक्त माओवादियों का गढ़, विकास, शांति और विश्वास की दिख रही रोशनी
देश अब माओवाद से मुक्त हो रहा है, क्योंकि मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति और सुरक्षा बलों की प्रभावी कार्रवाइयों ने यह स्थिति बनाई है। छत्तीसगढ़ में पिछले 22 महीनों में सुरक्षा बलों ने 487 से अधिक माओवादियों को मार गिराया है और 2240 ने आत्मसमर्पण किया है। सरकार की योजनाओं का जोर इन क्षेत्रों के विकास और स्थानीय लोगों के उत्थान पर है।
HighLights
मजबूत इच्छाशक्ति से माओवाद से मुक्त हो रहा देश
आत्मसमर्पण करने को मजबूर हो रहे माओवादी
विकास और विश्वास की रोशनी दमक रही
आभा मिश्रा। देश अब माओवाद से मुक्त हो रहा है। मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति और सुरक्षा बलों की प्रभावकारी कार्रवाइयों की वजह से यह स्थिति बनी है। प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व ने देश को माओवादी आतंक से मुकाबले के निर्णायक दौर तक पहुंचाने की दिशा दिखाई है।
ॉएक ओर राज्य पुलिस बल के साथ केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल कदमताल करते हुए माओवादियों के गढ़ में हुंकार भर रहे हैं, माओवादियों को आत्मसमर्पण करने को मजबूर कर रहे हैं तो दूसरी ओर सरकार की योजनाओं का पूरा जोर इन क्षेत्रों के विकास और स्थानीय लोगों के पुनरुत्थान पर केंद्रित है। नतीजन जिस लाल गलियारे में कभी हिंसा और असुरक्षा का साया मंडराता था, वहां आज विकास, शांति और विश्वास की रोशनी दमक रही है।
आंकड़े इसकी गवाही देते हैं कि छत्तीसगढ़ में पिछले 22 महीनों में सुरक्षा बलों ने 487 से अधिक माओवादियों को मार गिराया है, 2240 ने आत्मसमर्पण किया है और 1833 गिरफ्तार किए गए हैं। यह सफलता अपने आप में रिकार्ड है। जिन इलाकों में कभी गोलियों की गूंज सुनाई देती थी, आज वहां स्कूल, सड़कें, अस्पताल और मोबाइल टावर खड़े हैं। हाल में सेंट्रल कमेटी के बड़े माओवादी नेताओं-सुधाकर, बसवराजू और हिडमा के मारे जाने से छत्तीसगढ़ और इसकी सीमा से लगे अन्य राज्यों में माओवाद का ढांचा पूरी तरह हिल गया है। बीजापुर का कर्रेगुड़ा आपरेशन इस बदलाव का प्रतीक बन चुका है।
छत्तीसगढ़ सरकार ने आत्मसमर्पित माओवादियों एवं माओवाद प्रभावित लोगों को मुख्यधारा में लाने के लिए देश की सबसे आकर्षक पुनर्वास नीति लागू की है। पुनर्वास ही नहीं, राज्य सरकार की तरफ से आत्मसमर्पित माओवादियों को दी जाने वाली वित्तीय सहायता की भी इस लक्ष्य को पाने में महत्वपूर्ण भूमिका है। इसके तहत सभी आत्मसमर्पित माओवादियों को तीन वर्षों तक 10,000 रुपये मासिक सहायता की व्यवस्था की गई है। शहरी क्षेत्रों में आवासीय प्लाट और ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि भूमि का प्रविधान किया गया है।
सरकार की नीति में यह बड़ा सकारात्मक बदलाव है कि पहले सुरक्षा बलों को मिलने वाला इनाम अब आत्मसमर्पण करने वालों को दिया जा रहा है। और तो और, 80 प्रतिशत से अधिक सदस्यों के सामूहिक आत्मसमर्पण पर दोगुना इनाम घोषित किया गया है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने सरेंडर नीति में बदलाव करते हुए वित्तीय सहायता राशि में वृद्धि की है, जिसके परिणामस्वरूप माओवादियों के आत्मसमर्पण में तेजी आई है।
15,000 प्रधानमंत्री आवास आत्मसमर्पित माओवादियों एवं माओवाद पीड़ित परिवारों के पुनर्वास के लिए निर्माणाधीन हैं। दूरस्थ गांवों में सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा, मोबाइल कनेक्टिविटी और आधारभूत सेवाएं पहले की अपेक्षा अब तेजी से पहुंच रही हैं। 403 गांवों में 81,090 आधार कार्ड, 49,239 आयुष्मान कार्ड, 5,885 किसान सम्मान निधि, 98,319 परिवारों को मुफ्त राशन मिल रहा है। 21 नई सड़कें, मोबाइल टावर, उप-स्वास्थ्य केंद्र और उचित मूल्य दुकानों ने जीवन बदल दिया है।
प्राकृतिक सुंदरता से सराबोर छत्तीसगढ़ का बस्तर मानो अभिशप्त था, लेकिन आज निवेश का नया गंतव्य बन रहा है। नई औद्योगिक नीति, 2024-30 के तहत स्थानीय संसाधनों पर आधारित उद्योग, स्टील, फूड प्रोसेसिंग, कृषि उद्योग, डेरी, पर्यटन और वेलनेस सेक्टर में 967 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश प्रस्ताव आए हैं। नगरनार स्टील प्लांट के आसपास 118 एकड़ में नया औद्योगिक क्षेत्र चिह्नित किया गया है।
एमएसएमई और सेवा क्षेत्र में 1000 करोड़ रुपये का निजी निवेश, नए उद्योगों से 2100 से अधिक रोजगार के अवसर खुल रहे हैं। जगदलपुर में 350 बिस्तरों वाला मल्टी-स्पेशियलिटी अस्पताल और मेडिकल कालेज स्थापित होने जा रहा है। कुल 700 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश वाले ये प्रोजेक्ट बस्तर को मेडिकल हब बनाने की दिशा में कदम हैं। इसके साथ ही रोजगार, कौशल और उद्यमिता का विस्तार, 90,273 युवाओं को कौशल प्रशिक्षण, 39,137 युवाओं का नियोजन, आइटी, आटोमोटिव, कंस्ट्रक्शन, सोलर आदि क्षेत्रों में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। आधुनिक राइस मिल, फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स और कोल्ड स्टोरेज किसानों की आय बढ़ा रहे हैं। एग्रीटेक परियोजनाएं कृषि को आधुनिक बना रही हैं।
जब कानून व्यवस्था दुरुस्त हो। सड़कें अच्छी हों। युवाओं को काम मिले तो किसी भी क्षेत्र की छवि दूसरे प्रदेशों के लोगों में सकरात्मक होती है। ऐसे में पर्यटन की संभावना बढ़ती है। बस्तर में भी यही हुआ है। अब पर्यटन के क्षेत्र में बस्तर की पहचान को वैश्विक मंच पर ले जाने का प्रयास हो रहा है। धुड़मारास को यूनाइटेड नेशन द्वारा सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांव घोषित किया गया है। इसके साथ ही चित्रकोट, तीरथगढ़, कांगेर घाटी में आधुनिक सुविधाओं का विस्तार किया गया है।
यहां एडवेंचर टूरिज्म, ग्लास ब्रिज, कनापी वाक, होम स्टे को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। पर्यटन से हजारों स्थानीय लोगों को रोजगार मिला है। साफ है कि सरकार अब केवल योजनाएं नहीं, बल्कि धरातल पर परिवर्तन ला रही है। जो माओवाद कभी भारत के भीतर सबसे बड़ी सुरक्षा चुनौती था, आज केंद्र और राज्य सरकार के समन्वित प्रयासों से सीमित क्षेत्र तक सिमट चुका है। अब विकास उसका स्थान ले रहा है।
(लेखिका पालिसी वाच इंडिया फाउंडेशन की निदेशक हैं)













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