राहुल लाल। Chinese Apps Banned In India स्मार्टफोन से लेकर एप्स के क्षेत्र में भारत में चीन की धमक बीते दिनों व्यापक रूप से बढी है। इसके कई गंभीर दुष्परिणाम सामने आने लगे थे। ऐसे में भारत ने चीनी एप पर प्रतिबंध लगाकर दुनिया को भी संकेत दिया है कि चीनी एप से सभी सावधान हो जाएं। इससे यह संदेश भी जा रहा है कि दुनिया भर की सरकारें अपने यहां चीनी एप की जांच करवाएं कि कहीं ऐसे एप्स राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा तो नहीं। भारत ने चीन को भी यह संदेश दे दिया है कि अगर वो भारत के खिलाफ गलत कदम उठाएगा, तो उसे सैन्य मोर्चे के साथ-साथ आर्थिक मोर्चे पर भी करारा जवाब दिया जाएगा।

लद्दाख में चीन के साथ जारी तनातनी के बीच सरकार ने चीन के खिलाफ कठोर कार्रवाई करते हुए चीन से संबंध रखने वाले 59 मोबाइल एप पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस सूची में लोकप्रिय एप टिकटॉक, यूसी ब्राउजर, हेलो, शेयर इट जैसे एप्स भी शामिल हैं। केंद्र सरकार ने कहा है कि ये एप्स देश की संप्रभुता, अखंडता और राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से खतरनाक हैं। इन चाइनीज एप्स के सर्वर भारत से बाहर मौजूद हैं। इनके जरिये यूजर्स का डाटा चुराया जा रहा था।

दरअसल भारत की एप आधारित अर्थव्यवस्था में चीनी एप के वर्चस्व में अप्रत्याशित वृद्धि हो रही थी। वर्ष 2017 में गूगल एप में दर्ज भारत में 100 सबसे ज्यादा प्रयोग होने वाले एप्स में से केवल 18 चीन के थे। लेकिन उसके बाद महज साल भर के भीतर यानी 2018 में भारत के टॉप रेटेड 100 एप्स में चीन के एप्स की संख्या 44 तक पहुंच गई थी। सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी कानून सेक्शन 69ए के तहत इन चीनी एप्स को प्रतिबंधित किया है। पिछले कुछ दिनों से 130 करोड़ भारतीयों की प्राइवेसी और डाटा सुरक्षा को लेकर चिंता जाहिर की जा रही थी। साथ ही सरकार को मिल रही शिकायतों से स्पष्ट था कि एंड्रॉयड और आइओएस प्लेटफॉर्म पर मौजूद कुछ चीनी मोबाइल एप्स का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है।

ये एप्स गुपचुप और अवैध तरीके से यूजर का डाटा चोरी कर भारत के बाहर मौजूद सर्वर पर भेज रहे थे। भारत पिछले कई वर्षों से डाटा स्थानीयकरण पर जोर देता रहा है। पहले भी आरबीआइ का प्रयास रहा है कि सभी वित्तीय डाटा को देश में ही रखा जाए। ऐसे में सरकार के इस नए फैसले से डाटा स्थानीयकरण की भारतीय अवधारणा पहले से अधिक विस्तृत हो जाएगी। इंडियन साइबर क्राइम कॉर्डिनेशन सेंटर ने भी गृह मंत्रालय को खतरनाक चीनी एप्स को तुरंत बैन करने की अनुशंसा की थी। कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम को भी डाटा चोरी और प्राइवेसी के खतरे की शिकायतें मिली थी। सरकार का कहना है कि विश्वसनीय सूचनाओं के आधार पर ही मोबाइल और गैर मोबाइल इंटरनेट सक्षम उपकरणों में उपयोग लाए जाने वाले कुछ एप के इस्तेमाल को बंद करने का निर्णय लिया गया है।

भारत दुनिया का सबसे बड़ा एप बाजार : टेलिकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार भारत में करीब 75 करोड़ स्मार्टफोन यूजर्स हैं। यही कारण है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा एप बाजार है। बीते साल दुनिया भर में सबसे ज्यादा एप भारत में इंस्टॉल किए गए थे। शुरुआती तीन माह में साढे चार अरब से ज्यादा बार एप डाउनलोड किए गए, जिनमें सबसे ज्यादा टिकटॉक था। भारत में टिकटॉक को करीब 60 करोड़ बार डाउनलोड किया जा चुका है।

भारत में इसके कम से कम 20 करोड़ यूनिक यूजर्स हैं। इसके कुल यूजर्स का 30 फीसद हिस्सा भारत में है। रेवेन्यू के मामले में टिकटॉक भले ही फेसबुक से पीछे था, लेकिन यूजर्स बेस के मामले में इसने फेसबुक जैसी दिग्गज कंपनियों को पीछे छोड़ दिया। टिकटॉक के विशालकाय भारतीय बाजार द्वारा ही इसकी मास्टर कंपनी बाइट डांस फेसबुक को चुनौती देने का सपना देख रही थी। अक्टूबर से दिसंबर 2019 के बीच महज तीन माह में इस एप से कंपनी को 25 करोड़ का राजस्व मिला था, जबकि इस वर्ष जुलाई से सितंबर के बीच कंपनी ने 100 करोड़ रुपये राजस्व का लक्ष्य रखा था, जो अब सपना बन चुका है। इस एप की कमाई का 10 फीसद हिस्सा केवल भारत से था।

चीन के एप कई बार भारत सरकार की निगरानी के दायरे में आए हैं। खास तौर से 2017 में चीन के साथ डोकलाम विवाद के दौरान और फिर 2019 के आम चुनावों के दौरान। दिसंबर 2017 में भारत के रक्षा मंत्रालय ने सैन्य बलों को निर्देश दिया था कि वो अपने यहां से 42 चीनी एप्स को हटा दें, क्योंकि भारत सरकार को लग रहा था कि इन एप्स में जासूसी करने वाले स्पाइवेयर या वायरस डाले हुए हैं।

चीनी एप्स से जुड़ा विवाद : चीन के मोबाइल एप्स लंबे समय से विवादों के दायरे में रहे हैं। नवंबर 2019 में चीन से दो बड़ी एवं अभूतपूर्व जानकारियां लीक हुई थी। इनसे पता चला था कि चीन अपने शिंजियांग सूबे में वीगर मुसलमानों को बड़ी संख्या में नजरबंद करके रख रहा है। कई खुफिया एजेंसियों का कहना है कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने वीगर मुसलमानों की शिनाख्त करने और उन्हें निशाना बनाने के लिए दो लोकप्रिय एप्स जपया और वीचैट की मदद ली थी। इसी तरह चीन का स्टार्टअप मेगावी पिछले साल की शुरुआत में तब चर्चा में आया था जब अमेरिका के वाणिज्य विभाग ने इस कंपनी को ब्लैक लिस्ट कर दिया था। अमेरिका का आरोप था कि इस कंपनी की चेहरे की पहचान करने वाली तकनीक फेस को चीन की सरकार इस्तेमाल कर रही है, ताकि वीगर मुसलमानों की निगरानी कर सके। फेस के ग्राहकों में लोकप्रिय फोटो एडिटिंग एप कैमरा 360 आदि भी हैं जो भारत में लोकप्रिय रहे हैं।

टिकटॉक पर अमेरिकी सेना की पाबंदी : अमेरिकी सेना ने साइबर हमले की आशंका के चलते, आर्मी स्टाफ को फोन से टिकटॉक हटाने के निर्देश पिछले वर्ष दिए हैं। अमेरिकी नौसेना ने भी अपने स्टाफ के मोबाइल फोन से इसे हटाने का आदेश दिया था। फरवरी 2020 में अमेरिका के ट्रांसपोर्ट सर्विस एडमिनिस्ट्रेशन ने भी अपने कर्मचारियों को टिकटॉक हटाने का आदेश दिया था। भारत में भी पिछले वर्ष मद्रास हाई कोर्ट ने टिकटॉक पर कुछ दिनों के लिए प्रतिबंध लगाया था, लेकिन बाद में इस फैसले को वापस ले लिया था।

केवल टिकटॉक ने जुलाई से सितंबर 2020 के बीच 100 करोड़ राजस्व भारतीय बाजार से संग्रहित करने का लक्ष्य रखा था। यूसी ब्राउजर देश में गूगल क्रोम के बाद सबसे बड़ा ब्राउजर बन गया है। टिकटॉक के अलावा शेयर इट, यूसी न्यूज, हेलो, लाइकी, क्लीन मास्टर जैसे एप के लिए भी भारत बड़ा बाजार था। इस दृष्टि से चीन को भारत सरकार के इस निर्णय से हजारों करोड़ का नुकसान हुआ है। भारत सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में पहले से ही सिरमौर रहा है। इसलिए इन चीनी एप्स का भारतीय विकल्प भी लोगों को जल्द ही मिल जाएगा। डाटा सुरक्षा के क्षेत्र में सरकार का यह निर्णय काफी महत्वपूर्ण कदम है। लेकिन अभी इसके लिए सरकार को कुछ और कदम उठाने की जरूरत है। डाटा चोरी का आरोप चीनी की मोबाइल कंपनियों पर लगता रहा है।

चीन की मोबाइल निर्माता कंपनी शाओमी भारत में नंबर एक स्थान पर है। इसने देश के एक चौथाई से भी अधिक बाजार पर कब्जा किया हुआ है। चीन की ही दूसरी मोबाइल कंपनी वीवो का भारतीय बाजार पर 20 प्रतिशत कब्जा है। काउंटरप्वॉइंट रिसर्च की एक रिपोर्ट के अनुसार चीन की शाओमी, वीवो, ओप्पो और रीयलमी का भारतीय स्मार्टफोन बाजार पर करीब 66 प्रतिशत कब्जा है। चीनी मोबाइल कंपनियों पर भारत सरकार को सूक्ष्मता से ध्यान रखना होगा कि वे डाटा का ट्रांसफर नहीं कर सकें। शाओमी के ऊपर आरोप लगते रहते हैं कि वह चीनी कम्युनिस्ट पार्टी को मोबाइल के माध्यम से डाटा उपलब्ध कराता है। इसलिए मोबाइल के क्षेत्र में भी देश को आत्मनिर्भर बनना होगा।

चीनी एप्स से किया जा रहा साइबर हमला : चीन ने अपने एप्स को टूल बनाकर साइबर हमलों को भी अंजाम दिया है। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत-चीन के बीच चल रहे टकराव के बीच भारतीय इंटरनेट डोमेन का बचाव करने वाली एजेंसियां चीनी हैकर्स के साइबर हमलों का सामना कर रही हैं। भारत में लगभग हर सेक्टर और साइबर प्लेटफॉर्म पर चीन, उत्तर कोरिया और पाकिस्तान से हमला किया जा रहा है। इन तीनों देशों से किए जा रहे हैकिंग के प्रयास अलग-अलग कामों को अंजाम दे रहे हैं। चीनी एप्स के कारण चीन काफी आसानी से इस प्रकार के हमलों को अंजाम दे रहा है।

चीन एप्स के द्वारा इंटरनेट प्रॉटोकॉल हाइजैकिंग अटैक का प्रयोग कर रहा है। इसमें चीनी हैकर्स किसी वेबसाइट या इंटरनेट अकाउंट के ऑनलाइन ट्रैफिक को चीन डाइवर्ट करके टारगेट तक ले जाता है। इन एप्स पर रोक के बाद कम से कम इस प्रकार के साइबर हमले कम होने की उम्मीद है। इसके अतिरिक्त हैकर्स डिनायल ऑफ सर्विस अटैक के अंतर्गत एक अलग रणनीति का प्रयोग करते हैं। इसके अंतर्गत अगर किसी यूटिलिटी प्रोवाइडर वेबसाइट की केवल एक हजार लोगों की रिक्वेस्ट स्वीकार करने की क्षमता है, तो हैकर्स उसे हैक करने के लिए क्षमता को 10 लाख तक ले जाते हैं, ताकि पूरा सिस्टम क्रैश हो जाएं। चीन इस प्रकार के साइबर अटैक उत्तर कोरिया या पाकिस्तान से कराता है। इन सबके बीच अमेरिका और यूरोप के देशों को भी इस बारे में विचार करना चाहिए कि जब चीन की अनुचित हरकतों के कारण भारत उसके एप्स पर पाबंदी लगा सकता है, तो फिर वे ऐसा क्यों नहीं कर सकते हैं। इन देशों को भी इस बारे में सोचना शुरू कर देना चाहिए।

महाराष्ट्र साइबर विभाग के अनुसार पिछले एक सप्ताह में चीन के तरफ से भारत के बैंकिंग सेक्टर्स, आधारभूत संरचना, सूचना प्रौद्योगिकी सेक्टर्स में काफी संवेदनशील साइबर अटैक हुआ। पिछले चार-पांच दिनों में चीन ने 40 हजार से ज्यादा साइबर हमले किए हैं। इसके अतिरिक्त हैकर्स कोरोना के नाम का भी प्रयोग कर रहे हैं। इन हमलों में ज्यादातर अनधिकृत एक्सेस के जरिये डाटा का गलत इस्तेमाल और सिस्टम में रुकावट डालने की कोशिश की गई है। ज्यादातर हमलों में कॉविड-19 टैग के जरिये यूजर्स को टार्गेट किया गया।

निजी डाटा सुरक्षा की महत्ता : चीन के 59 एप्स पर प्रतिबंध मूलतः निजता के अधिकार का भी संरक्षण है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने निजता के अधिकार को मूल अधिकार के रूप में स्वीकार किया है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत संबद्ध किया है। अनुच्छेद 21 प्राण और दैहिक स्वतंत्रता प्रदान करता है। इस तरह गरिमामय जीवन जीने के साथ में निजता का अधिकार भी समाहित है। चीनी एप्स लगातार भारतीयों की निजता पर हमला कर रहा था। इस दृष्टि से यह निर्णय स्वागत योग्य है।

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