डॉ. जयंतीलाल भंडारी। ट्रंप की टैरिफ चुनौतियों और वैश्विक व्यापार के मोर्चे पर अनिश्चितताओं के बीच भारत के निर्यात में बढ़ोतरी का रुझान दिखा है। नवंबर 2024 से नवंबर 2025 के बीच भारत का कुल निर्यात 64.05 अरब डालर से बढ़कर 73.99 अरब डालर हो गया। निर्यात में 15.52 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि हुई है। इसके पीछे मुक्त व्यापार समझौतों यानी एफटीए की अहम भूमिका मानी जा रही है। नए वर्ष में अमेरिका, यूरोपीय संघ और कई अन्य देशों के साथ एफटीए के आकार लेने से भारत का निर्यात नई ऊंचाई पर होगा तथा भारत की व्यापार घाटे की चिंताएं कम होंगी।

इसी पृष्ठभूमि में 19 दिसंबर को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत-न्यूजीलैंड एफटीए को मंजूरी दी है। दोनों देशों ने 14 साल पहले एफटीए पर बातचीत शुरू की थी। इस एफटीए से जहां वस्तुओं और सेवाओं में व्यापार के साथ-साथ निवेश प्रवाह को बढ़ाने और आपूर्ति शृंखला को मजबूत करने में मदद मिलेगी। इससे कृषि, खाद्य प्रसंस्करण, नवीकरणीय ऊर्जा, फार्मा, शिक्षा और सेवाओं जैसे क्षेत्रों में नए अवसर बनने की भी उम्मीद है।
इससे पहले ही 18 दिसंबर को ओमान के साथ एफटीए पर हस्ताक्षर हुए हैं। इस एफटीए को आधिकारिक तौर पर समग्र आर्थिक भागीदारी समझौता (सीपा) कहा गया है।

इस एफटीए के तहत भारत के 98 प्रतिशत निर्यात को ओमान में शून्य दर पर पहुंच मिलेगी। इसमें ओमान को होने वाले 99 प्रतिशत से अधिक निर्यात शामिल हैं। इससे भारत के कपड़ा, रत्न-आभूषण, दवाई, वाहन, कृषि उत्पाद और चमड़ा उद्योग को बड़ा फायदा होने की उम्मीद है। खासतौर से भारत से करीब 3.64 अरब डालर के निर्यात पर ओमान में फिलहाल लगने वाला पांच प्रतिशत शुल्क शून्य हो जाएगा। इसके बदले में भारत ने ओमान से आने वाले विभिन्न उत्पादों पर आयात शुल्क में कमी सुनिश्चित की है। भारत ने अपनी करीब 78 प्रतिशत टैरिफ लाइन पर शुल्क में उदारता की पेशकश की है। ऐसे में मूल्य के लिहाज से ओमान से भारत में 95 प्रतिशत उत्पादों के शुल्क कम होंगे। इनमें खजूर, मार्बल और पेट्रोकेमिकल उत्पाद शामिल हैं। निश्चित रूप से इस एफटीए के तहत भारत के हित में कई अहम बातें हैं।

भारत ने घरेलू हितों की रक्षा के लिए कुछ सख्त कदम भी उठाए हैं। पेशेवर आवाजाही पर भी एफटीए में भारत के हित हैं। पहली बार ओमान ने भारतीय पेशेवरों की आवाजाही पर व्यापक रियायतें दी हैं। ‘इंट्रा-कारपोरेट ट्रांसफरीज’ का कोटा 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया गया है। टेंडर के आधार पर सेवा प्रदान करने वाली कंपनियों के लिए समय की अवधि को 90 दिनों से बढ़ाकर दो साल कर दिया गया है। आइटी, बिजनेस सर्विसेज, आडियो-विजुअल, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में भारतीय कंपनियां अब ओमान में 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश कर सकेंगी। एफटीए लागू होने के बाद भारत के उत्पाद और सेवा निर्यात ओमान में बढ़ सकेंगे और भारत का प्रतिकूल व्यापार असंतुलन कम होगा। ओमान के आधुनिक बंदरगाहों के उपयोग से पूर्वी यूरोप तक माल पहुंचाने में लगने वाले समय और खर्च में भारी कमी आएगी, जिससे भारतीय निर्यातकों की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता भी बढ़ेगी।

मोदी सरकार के दौरान मारीशस, संयुक्त अरब अमीरात और आस्ट्रेलिया के साथ एफटीए पर प्रगति हुई है। एक अक्टूबर से भारत और चार यूरोपीय देशों आइसलैंड, स्विट्जरलैंड, नार्वे और लिंचेस्टाइन के समूह यूरोपियन फ्री ट्रेड एसोसिएशन (एफ्टा) के बीच भी एफटीए लागू हो गया है और एफ्टा देशों को निर्यात बढ़ने लगे हैं। इसी क्रम में भारत और ब्रिटेन का एफटीए भी महत्वपूर्ण है। अब नए वर्ष 2026 में अमेरिका, यूरोपीय यूनियन पेरू, चिली, आसियान, मेक्सिको, कनाडा, दक्षिण अफ्रीका, इजरायल, भारत-गल्फ कंट्रीज काउंसिल सहित अन्य प्रमुख देशों-पक्षों के साथ भी एफटीए आकार लेते हुए दिखाई देंगे। इन देशों के साथ एफटीए में सिर्फ उत्पाद निर्यात ही शामिल नहीं होंगे, वरन सेवा सेक्टर परिदृश्य से संबंधित निर्यात भी शामिल होंगे। चूंकि सेवा निर्यात में भारत की विशेषज्ञता बढ़ती जा रही है, इसलिए जहां भारत के प्रशिक्षित श्रमिकों एवं पेशेवरों के लिए एफटीए वाले देशों में काम के मौके बढ़ेंगे, वहीं भारत की सेवा निर्यात से कमाई की ऊंची संभावनाएं बढ़ेंगी।

भारत के लिए एफटीए के लाभों के मद्देनजर एक अप्रैल से लागू होने वाले नए श्रम कानून मील का पत्थर साबित होंगे। केंद्र सरकार ने जिन बहुप्रतीक्षित चार नई श्रम संहिताओं को अधिसूचित किया है, उनसे श्रमिकों के साथ उद्योग-कारोबारों को भी राहत मिलेगी। ये श्रम कानून स्वतंत्रता के बाद से सबसे व्यापक और प्रगतिशील श्रम-उन्मुख सुधार हैं। नए श्रम कानून भविष्य के लिए एक ऐसे इकोसिस्टम का निर्माण करेंगे, जो श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करेगा और इससे उद्योग-कारोबार को एफटीए के अधिकतम लाभ हासिल होने की उम्मीद बनी है।

नए वर्ष 2026 में भारत दुनिया के प्रमुख देशों के साथ एफटीए को तेजी से आकार देने की डगर पर आगे बढ़ेगा। उम्मीद करें कि नए साल में होने वाले एफटीए भारत को निर्यात, सेवा, निवेश, तकनीकी सहयोग और पेशेवरों की आवाजाही की नई आर्थिक शक्ति बनाते हुए देश को वर्ष 2027 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और वर्ष 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने की डगर पर आगे बढ़ाएंगे।

(लेखक अर्थशास्त्री हैं)