पश्चिम बंगाल के दौरे पर गए प्रधानमंत्री मोदी ने वहां जो अनेक मुद्दे उठाए, उनमें से एक यह भी रहा कि ममता सरकार घुसपैठियों को बचाने का प्रयत्न कर रही है। उन्होंने यह आरोप ऐसे समय पर लगाया, जब बांग्लादेश के हालात खराब होते जा रहे हैं और वहां से घुसपैठ का खतरा बढ़ गया है। इसी कारण बांग्लादेश सीमा पर चौकसी बढ़ा दी गई है।

वैसे तो प्रधानमंत्री ने बंगाल सरकार पर घुसपैठियों को बचाने का जो आरोप मढ़ा, उसका संदर्भ मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण यानी एसआईआर को लेकर हो रहे विरोध से है, लेकिन यह समझा जाए कि जितनी आवश्यकता एसआईआर की प्रक्रिया को सही तरह पूरा करने की है, उतनी ही बांग्लादेश से होने वाली घुसपैठ को रोकने की भी।

यह सही है कि एसआईआर के कारण बंगाल में रह रहे तमाम बांग्लादेशी वापस लौट रहे हैं, लेकिन इसमें संदेह है कि इस प्रक्रिया के चलते सभी अवैध नागरिक वापसी कर लेंगे। संदेह का कारण यह है कि चुनाव आयोग एसआईआर के जरिये नागरिकता जांचने का काम नहीं कर सकता। यह उसका काम है भी नहीं। इन स्थितियों में बंगाल के साथ-साथ पूर्वोत्तर के सीमावर्ती राज्यों में रह रहे बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान के लिए एनआरसी जैसी प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए।

यह काम गृह मंत्रालय का है। उसे इस दिशा में प्रयत्न ही करने चाहिए। इसी के साथ उसे बांग्लादेश से होने वाली घुसपैठ को रोकने के लिए भी कमर कसनी चाहिए। इसलिए और भी, क्योंकि उसका आरोप है कि बंगाल सरकार घुसपैठियों को आधार कार्ड देकर उन्हें छिपाने-बचाने का काम करती है। इन स्थितियों में घुसपैठ रोकने के लिए और अधिक तत्परता दिखानी होगी।

यह कहना कठिन है कि बांग्लादेश से होने वाली घुसपैठ रुक गई है। घुसपैठ न रुकने का एक कारण यह है कि सीमा पर बाड़बंदी का काम पूरा नहीं हो सका है। बंगाल में बांग्लादेश के साथ लगने वाली 2,216.7 किलोमीटर लंबी सीमा में से अभी तक 1,647.696 किमी पर ही कंटीले तारों की बाड़ लग सकी है। शेष 569.004 किमी हिस्से पर बाड़ और अन्य बुनियादी ढांचे का काम बाकी है।

इस काम के बाकी रहने की एक वजह बंगाल सरकार की ओर से जमीन न उपलब्ध कराया जाना है। कुछ ही समय पहले कलकत्ता उच्च न्यायालय ने इस पर नाराजगी जताई थी। हो सकता है कि उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के चलते बंगाल सरकार बाड़बंदी के लिए जमीन उपलब्ध कराने को तैयार हो जाए, लेकिन इसकी अनदेखी नहीं की जानी चाहिए कि इसके बाद भी बांग्लादेश से लगती करीब सौ किमी सीमा ऐसी है, जिस पर बाड़बंदी संभव नहीं है।

ऐसे में घुसपैठ रोकने के लिए अतिरिक्त चौकसी बरतने के अलावा और कोई उपाय नहीं। घुसपैठियों की पहचान के साथ ही घुसपैठ को रोकने के काम को सर्वोच्च प्राथमिकता देने में अब और देर नहीं की जानी चाहिए।