जागरण संपादकीय: संकट में बांग्लादेशी हिंदू
भारत को यह आभास होना चाहिए कि बांग्लादेश में प्रताड़ित हो रहे हिंदुओं को लेकर उसकी ओर से व्यक्त की जा रही चिंता मात्र से बात बनने वाली नहीं है। इस मामले में भारत को अंतरराष्ट्रीय समुदाय का सहयोग एवं समर्थन भी लेना होगा।
HighLights
मंत्रालय ने दीपू चंद्र दास की हत्या की निंदा की
भारत को बांग्लादेश पर दबाव बनाना होगा
कट्टरपंथी भारत के खिलाफ माहौल बना रहे हैं
यह अच्छा हुआ कि विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बांग्लादेश में हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की बर्बर तरीके से हत्या करने वालों को न्याय के कठघरे में खड़ा करने और वहां के सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की आवश्यकता पर बल दिया, लेकिन इतना ही पर्याप्त नहीं। भारत को बांग्लादेश पर इसके लिए दबाव भी बनाना होगा कि वहां अल्पसंख्यकों और विशेष रूप से हिंदुओं के जान-माल की रक्षा सुनिश्चित हो सके।
इससे संतुष्ट नहीं हुआ जा सकता कि दीपू चंद्र दास को पीट-पीटकर मारने और उसके शव को भीड़ के सामने जलाने वालों को गिरफ्तार कर लिया गया है, क्योंकि यह गिरफ्तारी तब हुई जब रोंगटे खड़े कर देने वाली इस वहशी घटना का वीडियो वायरल हो गया।
बांग्लादेश के हिंदू इसलिए कट्टरपंथियों के निशाने पर हैं, क्योंकि पदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भारत में शरण ले रखी है और इस बहाने कट्टरपंथी ताकतें भारत के खिलाफ माहौल बनाने में जुटी हुई हैं। इस माहौल का सबसे बुरा असर वहां के हिंदुओं पर पड़ रहा है। बांग्लादेश के हिंदू एक लंबे समय से खतरे में हैं। जब बांग्लादेश बना तब वहां करीब 15-16 प्रतिशत हिंदू थे, लेकिन आज उनकी संख्या आठ प्रतिशत से भी कम रह गई है।
यह एक तथ्य है कि पूर्वी पाकिस्तान में भी हिंदुओं का उत्पीड़न हुआ और इस पाकिस्तानी क्षेत्र के बांग्लादेश बन जाने के बाद भी। चूंकि वहां उत्पीड़न का सिलसिला कायम है, इसलिए उनका पलायन भी थम नहीं रहा है। यदि यही हालत रही तो बांग्लादेश के हिंदुओं की वही दयनीय दशा हो सकती है जो पाकिस्तान में है।
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार भले ही हिंदुओं समेत सभी अल्पसंख्यकों की रक्षा का वादा करती रहती हो, लेकिन तथ्य यह है कि शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद वहां हिंदुओं पर अत्याचार का जो सिलसिला कायम हुआ, वह अंतरिम सरकार गठित होने और उसकी कमान मोहम्मद यूनुस की ओर से संभालने के बाद भी थमा नहीं। पिछले 16 महीनों में बांग्लादेश में हिंदुओं को निशाना बनाने की तमाम घटनाएं घट चुकी हैं।
उनकी जान-माल के साथ उनके मंदिरों को भी निशाना बनाया जा रहा है। ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि जो कट्टरपंथी ताकतें यह सब कर रही हैं, उन्हें अंतरिम सरकार का सहयोग एवं संरक्षण प्राप्त है। ऐसी कुछ ताकतें तो इस सरकार को अपना समर्थन भी दे रही हैं। इनमें से वह जमाते इस्लामी भी है, जो भारत विरोध के लिए कुख्यात है। भारत को यह आभास होना चाहिए कि बांग्लादेश में प्रताड़ित हो रहे हिंदुओं को लेकर उसकी ओर से व्यक्त की जा रही चिंता मात्र से बात बनने वाली नहीं है। इस मामले में भारत को अंतरराष्ट्रीय समुदाय का सहयोग एवं समर्थन भी लेना होगा।













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