आखिरकार भारत जनसंख्या के मामले में चीन को पीछे छोड़कर विश्व का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार अब भारत की आबादी एक अरब 42 करोड़ 86 लाख हो गई है। निःसंदेह यह कोई उपलब्धि नहीं है, क्योंकि चीन के मुकाबले भारत का क्षेत्रफल कहीं अधिक कम है। यह सही है कि भारत की जनसंख्या वृद्धि दर में गिरावट आ रही है, लेकिन वह इतनी धीमी है कि अभी कुछ वर्षों तक जनसंख्या बढ़ती रहेगी। इसे देखते हुए यह आवश्यक है कि भारत जनसंख्या के स्थिरीकरण के लिए आवश्यक उपाय करे। यह सभी की सहभागिता से ही संभव है।

अब जब भारत दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया है, तब फिर जनसंख्या नियोजन के भी उपाय किए जाने चाहिए। इससे इन्कार नहीं कि इस दिशा में कुछ कदम उठाए गए हैं, लेकिन उन्हें पर्याप्त नहीं कहा जा सकता। हमारे नीति-नियंता इससे अनभिज्ञ नहीं हो सकते कि यदि जनसंख्या का नियोजन सही तरह से न हो तो फिर अधिक आबादी एक बोझ का रूप ले लेती है। ऐसा न होने पाए, इसके लिए तत्काल प्रभाव से आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए।

चूंकि देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा युवाओं का है इसलिए उसके अपने लाभ भी हैं, लेकिन ये लाभ तभी अर्जित किए जा सकते हैं, जब इस युवा आबादी को समुचित शिक्षा के साथ रोजगार के अवसर मिल सकें। इसके लिए हमें अपनी शिक्षा व्यवस्था पर विशेष ध्यान देना होगा, ताकि ऐसे युवा तैयार हो सकें जो देश की प्रगति में सहायक बन सकें।

इसकी अनदेखी नहीं की जानी चाहिए कि विभिन्न औद्योगिक संगठन इसकी शिकायत करते रहते हैं कि उन्हें जैसे कुशल और दक्ष युवाओं की आवश्यकता है, वैसे उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं। इसका प्रमुख कारण शिक्षा व्यवस्था में व्याप्त खामियां हैं। यह अच्छी बात है कि मोदी सरकार ने युवा आबादी को ध्यान में रखकर कौशल विकास की पहल की है, लेकिन अभी इस दिशा में बहुत कुछ किए जाने की आवश्यकता है। कौशल विकास के जो भी कार्यक्रम चल रहे हैं, वे कसौटी पर खरे नहीं उतर पा रहे हैं।

बढ़ती आबादी को देखते हुए हमें इसके भी जतन करने होंगे कि युवाओं को उनकी योग्यता और क्षमता के हिसाब से काम दिया जा सके। यह तब संभव होगा, जब उद्योग-धंधों के विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी। यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि सभी युवाओं को चाहकर भी सरकारी नौकरियां प्रदान नहीं की जा सकतीं। यह एक शुभ संकेत है कि तकनीक आधारित नए-नए उद्योग-धंधे बढ़ रहे हैं और उनमें अच्छी-खासी संख्या स्टार्टअप की है, लेकिन इसकी अनदेखी भी नहीं की जानी चाहिए कि एक बड़ी संख्या में हमारी आबादी उस कृषि पर निर्भर है, जिसकी उत्पादकता कम है। स्पष्ट है कि कृषि पर निर्भर आबादी को उद्योग-धंधों में खपाने की आवश्यकता है।