विचार: आवश्यक हुआ एआई को अपनाना, क्षमताओं से इतर विवेक पर करना होगा फोकस
2025 में एआई डेमो से आगे बढ़कर वास्तविक क्रियान्वयन और स्वायत्तता की ओर बढ़ा, एजेंटिक एआई प्रमुख अवधारणा बनी। इसने कोडिंग और ऊर्जा अवसंरचना को प्रभावित किया। डीपफेक्स जैसे स्याह पहलुओं के बावजूद, गूगल एक लीडर के रूप में उभरा। 2026 में रीजनिंग वेब और फिजिकल एआई का युग आएगा, जहां मानवीय विवेक और रचनात्मकता का महत्व बढ़ेगा। भारत के लिए भी यह एक निर्णायक क्षण होगा।
HighLights
जसप्रीत बिंद्रा। अगर 2024 वह साल था, जब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) ने बोलना सीखा तो 2025 वह साल रहा, जब एआई के हाथ बढ़े और उसका दायरा एवं प्रभाव बढ़ा। यह वह वर्ष रहा, जब एआई निर्णायक रूप से डेमो और पायलट प्रोजेक्ट्स से आगे निकलकर वास्तविक क्रियान्वयन, स्वायत्तता और बड़े पैमाने पर उपयोग में उतरा। चर्चा एआई टूल्स के इस्तेमाल से आगे बढ़कर एआई एजेंट्स के निर्माण पर आ गई।
जेनरेटिव एआई की जगह एजेंटिक एआई प्रमुख अवधारणा बन गई। एजेंटिक एआई ऐसे सिस्टम को कहते हैं, जो सिर्फ इंसानों को सलाह नहीं देते, बल्कि एंटरप्राइज साफ्टवेयर के भीतर बहु-चरणीय वर्कफ्लो को स्वयं अंजाम देते हैं। एजेंटिक ब्राउजर्स से लेकर ऑटोनॉमस कॉमर्स और वर्कफ्लो ऑटोमेशन तक, एआइ एक सहायक से बढ़कर जूनियर सहयोगी की तरह व्यवहार करने लगा। वर्ष 2025 आत्ममंथन का भी साल रहा।
कंपनियों ने दिखावटी प्रयोगों को छोड़कर ठोस और मापने योग्य रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट की मांग शुरू की। एआई को अपनाना अब अपवाद नहीं, बल्कि जरूरत बन गया। कोडिंग पहला ऐसा उपयोग क्षेत्र बना, जहां एआई का व्यापक पैमाने पर असर दिखा। क्लाड, कर्सर और कोपायलट जैसे एआइ टूल्स एंटरप्राइज स्तर पर 40 प्रतिशत से अधिक नया कोड तैयार करने लगे। इसके साथ ही साफ्टवेयर इंजीनियर की भूमिका भी बदलने लगी। अब वह सिर्फ कोड लिखने वाला नहीं, बल्कि मशीन श्रम का पर्यवेक्षक और सिस्टम आर्किटेक्ट बनता जा रहा है। सेमीकंडक्टर चिप बनाने वाली कंपनी एनवीडिया के सीईओ जेंसन हुआंग के शब्दों में कहें तो हम सॉफ्टवेयर एजेंट्स के लिए एचआर मैनेजर बन गए हैं।
इस गुजरते साल पर्दे के पीछे एआइ की भौतिक नींव भी तैयार हो रही थी। एटम्स फॉर एल्गोरिदम्स आंदोलन के तहत बड़ी टेक कंपनियों ने गीगावाट-स्तरीय डाटा केंद्रों को ऊर्जा देने के लिए परमाणु ऊर्जा की ओर रुख किया। एआइ ने सिर्फ सॉफ्टवेयर को नहीं बदला, बल्कि वैश्विक ऊर्जा अवसंरचना को भी नए सिरे से आकार देना शुरू कर दिया। इसी बीच चीन ने बिना शोर-शराबे के वर्ष 2025 में बढ़त बना ली। उसका फोकस एजीआई (आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस) की समय-सीमाओं की घोषणा करने के बजाय अनुप्रयोगों, ओपन-सोर्स नेतृत्व और ऊर्जा प्रचुरता पर रहा। एजीआई को मानव-स्तरीय एआई भी कहा जाता है।
यह एक ऐसी कृत्रिम बुद्धिमत्ता है, जो लगभग सभी संज्ञानात्मक कार्यों में मानव क्षमताओं के बराबर या उनसे भी आगे निकल सकती है। ओपन-सोर्स का स्वामित्व एक बार फिर दीर्घकालिक रणनीतिक बढ़त साबित हुआ। बीत रहा वर्ष एआई के स्याह पहलुओं को भी उजागर कर गया। हम उनकी अनदेखी नहीं कर सकते। डीपफेक्स ने दुनिया भर में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के लिए खतरा पैदा किया, एआई कंपैनियंस ने अकेलेपन और मानवीय संबंधों को लेकर असहज सवाल खड़े किए और उद्योग एक डाटा सीमा से टकरा गया, जिससे सिंथेटिक डाटा की ओर झुकाव बढ़ा। इसके बावजूद इस साल के अंत तक गूगल एक अप्रत्याशित एआई लीडर के रूप में उभरा, जिसने चिप्स, माडल्स, डाटा और डिस्ट्रीब्यूशन में अपनी फुल-स्टैक ताकत का लाभ उठाया।
अगर वर्ष 2025 क्षमताओं का साल था तो 2026 विवेक का होगा। हम उस दौर में प्रवेश कर रहे हैं, जिसे रीजनिंग वेब का युग कहा जाता है, जहां सर्च इंजन लिंक दिखाने के बजाय सीधे उत्तर देने वाले इंजन बन जाएंगे और एआई ब्राउजर ज्ञान को समेटकर प्रस्तुत करेंगे। हालांकि इससे वेब की आर्थिक संरचना को नए सिरे से गढ़ना पड़ेगा, अन्यथा यह उन्हीं क्रिएटर्स को नुकसान पहुंचाएगा, जिन पर एआई निर्भर है। इसी समय एजेंट्स कोपायलट से आगे बढ़कर सहयोगी बन जाएंगे और हल्की मानवीय निगरानी में पूरे वर्कफ्लो चला सकेंगे।
वर्ष 2026 वह साल भी होगा, जब एआइ को शरीर मिलेगा। फिजिकल एआई यानी रोबोट्स और ऑटोनॉमस सिस्टम्स प्रयोगशालाओं से बाहर निकलकर वेयरहाउस, फैक्ट्रियों और शहरों की सड़कों तक पहुंचेंगे। सेल्फ-ड्राइविंग कारों का अलग-अलग शहरों और महाद्वीपों में विस्तार इस बात का संकेत है कि एंबेडेड इंटेलिजेंस अब कल्पना नहीं, बल्कि वास्तविक संचालन बन चुकी है। सेल्फ-ड्राइविंग कारें इंसानी हस्तक्षेप के बिना चल सकती हैं। अगले साल एआई वैल्यूएशंस में सुधार जरूर आएगा, लेकिन गिरावट नहीं, क्योंकि तकनीक ठोस है, इन्फ्रास्ट्रक्चर गहरा है और कैश फ्लो मजबूत है। इसके बजाय जो चीज सबसे मूल्यवान बनेगी, वह है मानवीय तत्व। जब एआई-जेनरेटेड कंटेंट इंटरनेट पर बाढ़ की तरह फैल जाएगा, तब सत्यापित मानवीय रचनात्मकता, विवेक और जुड़ाव एक तरह की लक्जरी बन जाएंगे।
कुल मिलाकर दुनिया के साथ-साथ भारत के लिए भी 2026 एआई के क्षेत्र में एक निर्णायक क्षण लेकर आएगा। संप्रभु एआई इन्फ्रास्ट्रक्चर, क्षेत्रीय भाषाओं में कंटेंट का विस्फोट और जीपीयू (ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट) तक पहुंच अब वास्तविक लगने लगी है। अगर 2025 ने हमें दिखाया कि एआइ क्या कर सकता है तो 2026 हमें यह तय करने पर मजबूर करेगा कि हम उसके साथ कैसे जिएं, काम करें और शासन करें। कच्ची बुद्धिमत्ता का युग पीछे छूट चुका है। अब विवेक का युग शुरू हो रहा है।
(लेखक एआई एंड बियांड के को-फाउंडर हैं)











-1766506006775.webp)

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।