चौतरफा विकास का रोड़मैप है आम बजट 2020, ग्रामीण क्षेत्रों पर भी काफी फोकस
आम बजट में इस बार हर क्षेत्र का बखूबी ध्यान रखा गया है। यही वजह है कि इस बजट से चौतरफा विकास की उम्मीद ज्यादा जताई जा रही है।
प्रमोद भार्गव। बजट ग्रामीण भारत के चौतरफा विकास का स्पष्ट संकेत देता है। इसमें सबसे अधिक घोषणाएं ग्राम, कृषि और किसान पर केंद्रित हैं। कृषि एवं ग्रामीण क्षेत्र एवं विकास के लिए 4.06 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इनमें से 2.83 लाख करोड़ रुपये कृषि के लिए और 1.23 लाख करोड़ रुपये ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज के लिए देने की घोषणा की गई है। 20 लाख किसानों को सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने के लिए प्रधानमंत्री कुसुम योजना के अंतर्गत धन उपलब्ध रहेगा। 2025 तक दुग्ध उत्पादन क्षमता दोगुनी करने का लक्ष्य है।
फिलहाल 108 लाख टन दूध और उसके सह-उत्पाद उत्पादित होते हैं। इसी तरह 2022-23 तक मत्स्य उत्पादन बढ़ाकर 200 लाख टन किया जाएगा। कृषि उत्पादनों को शीघ्र मंडियों तक पहुंचाने की दृष्टि से किसान रेल और हवाई-जहाज के भी प्रावधान किए गए हैं। ये सभी लक्ष्य ऐसे हैं, जो खेती-किसानी एवं पशु-पालन से आजीविका चलाने वाले लोगों को राहत देते हुए 2022 तक उनकी आमदनी दोगुनी कर सकते हैं। साफ है, वित्त मंत्री द्वारा संसद में प्रस्तुत किया गया यह वार्षिक लेखा-जोखा देश के धरातल को मजबूत करेगा। इसलिए यह बजट ग्रामवासियों के लिए आशाओं से भरा होने के साथ उम्मीद जगाने वाला है।
वित्त मंत्री ने महात्मा गांधी के उस कथन को फलीभूत करने की कोशिश की है, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है, इसलिए भारत का पहला लक्ष्य अंत्योदय का उत्थान होना चाहिए। इसका अर्थ है, जो जातियां हाशिये पर पड़ी गरीबी का दंश ङोल रही हैं, उनके उत्थान के उपाय सरकार की प्राथमिकता में हों।ग्राम आधारित इस बजट से उद्योग जगत को प्रसन्न होना चाहिए, क्योंकि अंतत: इन सभी योजनाओं की आपूर्ति उन्हीं के द्वारा संभव होगी।
इस बजट में एक नया उपाय दुग्ध उत्पादन दोगुना करना और मछुआरों को किसान का दर्जा देना है। साफ है, कृषि क्षेत्र को मिलने वाले सरकारी लाभ से ये मछुआरे भी जुड़ जाएंगे। इस बजट में नवाचारी प्रयोग करते हुए अन्नदाता को ऊर्जादाता बनाने का लक्ष्य भी रखा गया है। अब किसान अपनी बंजर भूमि में सौर ऊर्जा संयंत्र लगा सकेंगे। यदि किसान अपनी जरूरत से ज्यादा बिजली बनाते हैं तो उन्हें इसे बेचने का भी अधिकार होगा।इस समय देश में कृषि उत्पादन चरम पर है। वर्ष 2017-18 में करीब 290 मिलियन टन खाद्यान्न और करीब 325 मिलियन टन फलों व सब्जियों का उत्पादन हुआ था।
भविष्य में ये उत्पाद खराब न हों, इस नजरिये से दो नई योजनाओं ‘कृषि उड़ान’ और ‘किसान रेल’ के जरिये जल्दी खराब होने वाली उपजों को देशभर की मंडियों में पहुंचाने के प्रावधान किए हैं। कृषि उड़ान से विदेशों में भी कृषि उत्पाद बेचने की व्यवस्था होगी। भारतीय रेलवे जो किसान रेल पीपीपी आधार पर चलाएगी, उनसे दूध, मछली, फल व सब्जियां मंडियों तक पहुंचाईं जाएंगी। ये रेल वातानुकूलित होंगी। इस लिहाज से बजट यदि कृषि, किसान और गरीब को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रहा है तो यह सरकार की कृपा नहीं, बल्कि दायित्व है, क्योंकि देश की आबादी की आजीविका और कृषि आधारित उद्योग अंतत: किसानों द्वारा खून-पसीने से उगाई फसलों से ही गतिमान रहते हैं।
यदि ग्रामीण भारत पर फोकस नहीं किया गया तो जिस आर्थिक विकास दर को 7 से 9 प्रतिशत तक ले जाने की उम्मीद जताई जा रही है, वह संभव ही नहीं होगी। इस समय पूरे देश में ग्रामों से मांग की कमी दर्ज की गई है। नि:संदेह गांव और कृषि क्षेत्र से जुड़ी जिन योजनाओं की श्रृंखला को जमीन पर उतारने के लिए बजट के प्रावधान किए गए हैं, वह वाकई ईमानदारी से खर्च होता है तो गांव से शहर तक खुशहाली आनी तय है। ऐसे ही उपायों से शहरी और ग्रामीण भारत के बीच जो खाई चौड़ी होती जा रही है, वह संकरी होगी और देश समानता की ओर बढ़ेगा।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)
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