प्रभांशु ओझा। E-Learning in Rural India: कोरोना संकट के दौर में आज तमाम शैक्षणिक गतिविधियां ऑनलाइन माध्यमों से हो रही हैं। केंद्र सरकार ने ऑनलाइन पढ़ाई के लिए कई सुविधाएं प्रदान की हैं। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने भारत पढ़े ऑनलाइन अभियान की शुरुआत की है। इस अभियान का मकसद है कि ऑनलाइन पढ़ाई को कैसे और बेहतर बनाया जा सकता है। इस पूरी कवायद का अर्थ ई-शिक्षा की राह में आने वाली बाधाओं से पार पाना है।

ई-शिक्षा ग्रामीण भारत और दूरदराज के क्षेत्रों में शिक्षा का प्रसार करने में बेहद कारगर और प्रभावी साबित हो सकती है। ग्रामीण भारत में शिक्षकों की कमी, लोगों की पढ़ाई के प्रति दिलचस्पी की कमी, गरीबी, बुनियादी ढांचे की कमी आदि प्रमुख कारण हैं जिसके चलते ग्रामीण शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति नहीं हो पाती। लेकिन ई-शिक्षा के उपयोग से इस स्थिति को बदला जा सकता है। ग्रामीण भारत ऑनलाइन शिक्षा का फायदा तभी उठा सकेगा जब वहां का डिजिटल ढांचा बेहद मजबूत हो। और यहीं पर सबसे बड़ी चुनौती खड़ी होती है।

ग्रामीण भारत में आज भी बिजली, ब्रॉडबैंड नेटवर्क कनेक्टिविटी, बैंकिंग आदि सुविधाओं की कमी है। ये सभी बातें एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं। व्यावहारिक तौर पर आज भी ग्रामीण इलाकों में अनेक घरों में बिजली नहीं पहुंच पाई है। बिना बिजली के ब्रॉडबैंड नेटवर्क की सुविधा का कोई अर्थ नहीं रह जाता। यह सही है कि इन दिनों स्मार्टफोन ई-शिक्षा का एक बड़ा माध्यम बनकर उभरे हैं, पर यह भी सच है कि भारत में आज भी सभी मोबाइल फोन उपभोक्ताओं के पास स्मार्टफोन उपलब्ध नहीं है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में। वहां इंटरनेट की समुचित व्यवस्था भी नहीं है। जाहिर है कि ऑनलाइन शिक्षा के लिए ग्रामीण भारत में आधारभूत ढांचे की कमी सबसे बड़ी चुनौती है।

ग्रामीण भारत में ई-शिक्षा के लिहाज से दूसरी बड़ी चुनौती डिजिटल संस्कृति का अभाव है। ग्रामीण भारत में शिक्षा का औपचारिक माध्यम स्थानीय भाषाएं हैं। ये बोलियां और भाषाएं शिक्षा के संप्रेषण और शिक्षण पद्धति का महत्वपूर्ण अंग होती हैं, लेकिन मोबाइल फोन और इंटरनेट के अन्य माध्यम अधिकांश रूप से अंग्रेजी भाषा के अनुकूल होते हैं जो गांवों में डिजिटल व्यवहार को प्रेरित नहीं करते। अगर ऑनलाइन शिक्षा को गांवों में सफल बनाना है तो स्थानीय भाषाओं से संचालित होने वाले डिजिटल माध्यमों के उपयोग को बढ़ावा देना होगा। इस तरह से ग्रामीण भारत में डिजिटल माध्यमों के प्रति कायम झिझक भी टूटेगी। अनेक अध्ययनों में यह जाहिर हुआ है कि भारत की ग्रामीण आबादी डिजिटल रूप से अशिक्षित है। डिजिटल व्यवहार में प्रयुक्त होने वाली भाषा को पढ़ने, लिखने, समझने और संप्रेषित करने तथा नई तकनीकों के प्रति अज्ञानता ऑनलाइन की राह में बाधा है।

वास्तव में इन आधारभूत दिक्कतों के बाद गांवों में ऑनलाइन शिक्षा की पैठ मजबूत करने के लिए संगठित प्रयास भी करने होंगे। ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा को पहुंचाने के लिए सबसे पहले अध्ययन सामग्री को छात्रों तक पहुंचाया जा सकता है और इसके बाद ऑनलाइन वीडियो के माध्यम से शिक्षकों के साथ पारस्परिक विचार-विमर्श किया जा सकता है। एक और विकल्प यह है जिसमें पाठ्यक्रम को रिकार्ड किया जा सकता है और इन कक्षाओं में शामिल नहीं होने वाले छात्रों को पढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। यह शिक्षा के लिए एक विस्तारित पहुंच बनाता है।

ग्रामीण शिक्षा के लिए ई-लर्निंग प्रौद्योगिकियों की आवश्यकता है। वास्तव में, ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी होती है और उसे ऐसे कामों में गैर सरकारी संगठनों की मदद लेनी चाहिए। ग्रामीण भारत का डिजिटलीकरण सुनिश्चित करने का सफर काफी लंबा है, क्योंकि इसके लिए वृहद स्तर पर काम करने की आवश्यकता है। वर्तमान संकट इन चुनौतियों से निपटने की तैयारी करने का एक सुनहरा मौका है।

(लेखक दिल्ली विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं)