सुरक्षा को लेकर सतर्कता से इनकार, प्रोटोकॉल का पालन नहीं कर रहे राहुल गांधी
ताजा घटनाक्रम यह है कि वीवीआइपी सुरक्षा के प्रमुख ने राहुल गांधी द्वारा अपनी सुरक्षा को लेकर बरती जा रही लापरवाही के चलते कांग्रेस अध्यक्ष के साथ खुद राहुल गांधी को भी पत्र लिखा है। उन्होंने सुरक्षा प्रोटोकाल का पालन करने की उनसे अपील की है। ध्यान रहे कि राहुल गांधी को जेड प्लस की सुरक्षा मिली है।
सुरेंद्र किशोर। पिछले दिनों खबर आई कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी अपनी सुरक्षा संबंधी प्रोटोकाल का पालन नहीं कर रहे हैं। कांग्रेस ने इस संदर्भ में लिखी गई सीआरपीएफ की चिट्ठी की परवाह नहीं की, जबकि इतिहास में सुरक्षा मानकों का उल्लंघन करने के भयावह नतीजे के कई उदाहरण मौजूद हैं। तत्कालीन गृह मंत्री सरदार पटेल के विशेष आग्रह के बावजूद महात्मा गांधी ने सुरक्षा प्रोटोकाल का पालन करने से मना कर दिया था।
30 जनवरी, 1948 को हुई उनकी हत्या से सिर्फ 10 ही दिन पहले प्रार्थना स्थल यानी बिड़ला भवन के पास बम विस्फोट हो चुका था। इसके बाद सुरक्षाकर्मी सतर्क हो गए थे। दिल्ली के स्थानीय एसपी ने गांधी जी के पास जाकर उनसे आग्रह किया था कि वे प्रार्थना सभा में आने वाले लोगों की तलाशी लेने की अनुमति दें, पर गांधी जी नहीं माने। उसके बाद इसी उद्देश्य से क्षेत्रीय डीआइजी गांधी जी से मिले। उन्होंने भी उनसे इसी तरह का आग्रह किया। फिर भी वे नहीं माने।
जब सरदार पटेल ने खुद महात्मा गांधी से मिलकर उनसे बात की तो गांधी जी ने धमकी देते हुए कहा कि यदि प्रार्थना सभा में शामिल होने के लिए बिड़ला भवन आने वालों की तलाशी होने लगेगी तो मैं आमरण अनशन शुरू कर दूंगा। इसके बाद सरदार पटेल भला क्या करते! इससे नाथूराम गोडसे को अपने लिए अनुकूल माहौल मिल गया। उसने गांधी जी की निर्मम हत्या कर दी, पर गांधी जी की हत्या के बाद क्या हुआ? जब यह खबर फैली कि एक चितपावन ब्राह्मण ने गांधी जी की हत्या कर दी है तो कांग्रेसियों और कुछ अन्य लोगों ने महाराष्ट्र में सैकड़ों चितपावन ब्राह्मणों का संहार कर दिया।
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की भी ऐसी ही परिस्थितियों में हत्याएं हुई थीं। इन दोनों हस्तियों ने भी जानबूझकर अपनी सुरक्षा संबंधी नियमों का उल्लंघन किया। इंदिरा गांधी के समक्ष गांधी जी की हत्या का पूर्व उदाहरण था। राजीव गांधी के सामने गांधी जी और इंदिरा जी की हत्याओं के पूर्व उदाहरण थे। राहुल गांधी के समक्ष तो अपनी ही लापरवाही के कारण हो चुकी तीन-तीन हत्याओं के उदाहरण मौजूद हैं। यदि कई लोग कहते हैं कि इस देश के लोग इतिहास से नहीं सीखते तो ठीक ही कहते हैं।
इंदिरा गांधी की हत्या के बारे में बहुत सारी बातें कही गई हैं। रा के प्रधान रहे आरएन काव ने प्रधानमंत्री आवास के संतरी बेअंत सिंह के संदेहास्पद होने के बारे में सुरक्षा एजेंसियों को सचेत किया था। वे प्रधानमंत्री इंदिरा के वरिष्ठ सुरक्षा सलाहकार भी थे। इसी आधार पर बेअंत का तबादला दिल्ली पुलिस की सशस्त्र इकाई में कर दिया गया। इंदिरा गांधी को जब यह पता चला कि उसकी अन्यत्र तैनाती हो गई है तो उन्होंने उसे वापस अपने आवास पर सुरक्षा में लगवा दिया। 31 अक्तूबर की उस काली सुबह प्रधानमंत्री पर सबसे पहले उसी ने गोलियां चलाई थीं।
ऐसे ही सुरक्षा मानकों की अनदेखी के चलते 21 मई, 1991 को तमिलनाडु के पेरंबदुर में एक मानव बम विस्फोट में राजीव गांधी की मौत हो गई। उस दिन के विस्फोट से पहले ‘ब्लू बुक’ में दर्ज राजीव गांधी की सुरक्षा के उपायों का पालन नहीं किया गया।
नियमों के तहत राजीव गांधी के पास जाने वालों की तलाशी होनी चाहिए थी, पर उस मानव बम की तलाशी नहीं हुई, क्योंकि खुद राजीव ने इसकी इजाजत सुरक्षाकर्मियों को नहीं दी। घटनास्थल पर तैनात पुलिस उपनिरीक्षक अनुसूया डेजी अर्नेस्ट ने मानव बम धनु को राजीव के पास पहुंचने से रोकने की एकाधिक बार कोशिश की थी, पर राजीव गांधी ने सुरक्षाकर्मियों से कहा कि ‘सबको मेरे पास आने दो।’
नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी न तो सदन के संचालन नियमावली का पालन करते हैं और न ही भाषण या बयान देने में कानूनी-गैर कानूनी टिप्पणियों का लिहाज करते हैं। नतीजतन वे तमाम कानूनी परेशानियां झेल रहे हैं। यहां तक कि अपनी निजी सुरक्षा के प्रति भी वे लापरवाह हैं। आठ अगस्त, 2017 को तत्कालीन गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में बताया था कि ‘गत दो साल में राहुल गांधी ने 121 नियोजित और अनियोजित यात्राएं की हैं। कई मौकों पर उन्होंने बुलेट प्रूफ कार का इस्तेमाल नहीं किया।’
ताजा घटनाक्रम यह है कि वीवीआइपी सुरक्षा के प्रमुख ने राहुल गांधी द्वारा अपनी सुरक्षा को लेकर बरती जा रही लापरवाही के चलते कांग्रेस अध्यक्ष के साथ खुद राहुल गांधी को भी पत्र लिखा है। उन्होंने सुरक्षा प्रोटोकाल का पालन करने की उनसे अपील की है। पत्र में कहा गया है कि राहुल गांधी ने हाल में कुछ ऐसे दौरे किए, जिनकी पूर्व जानकारी सुरक्षा एजेंसियों को नहीं दी गई। इस तरह की गतिविधियां उनकी सुरक्षा के लिए खतरा बन सकती हैं। पत्र में यह भी लिखा गया है कि सुरक्षा से जुड़े दिशा-निर्देश का पालन करना अनिवार्य है। ध्यान रहे कि राहुल गांधी को जेड प्लस की सुरक्षा मिली है।
महात्मा गांधी और इंदिरा गांधी की हत्याओं के बाद प्रतिशोधात्मक हिंसा में तमाम निर्दोष मारे गए थे। अच्छा हो कि सरकार सुरक्षा प्रोटोकाल का उल्लंघन करने वालों के लिए किसी तरह की कार्रवाई के बारे में गंभीरतापूर्वक विचार करे। यदि सुरक्षा प्रोटोकाल का पालन करना अनिवार्य है तो उसके उल्लंघन पर कोई सजा का प्रविधान भी होना चाहिए।
(लेखक राजनीतिक विश्लेषक एवं वरिष्ठ स्तंभकार हैं)
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