संयुक्त राष्ट्र में भारत ने पाकिस्तान को उसी की भाषा में दिया जवाब
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने संयुक्त राष्ट्र में भारत के खिलाफ जहर उगला जिसका जवाब देना जरूरी था। भारत ने पाकिस्तान को उसी भाषा में जवाब दिया। पाकिस्तान शांति का ढोंग करते हुए अपने दागदार दामन को छिपा नहीं सकता। वह आतंकी संगठनों को पालने-पोसने का काम कर रहा है। अलकायदा सरगना ओसामा बिन लादेन को शरण देने वाले पाकिस्तान ने टीआरएफ का बचाव किया था।
अपने सेनाध्यक्ष आसिम मुनीर के साथ अमेरिकी राष्ट्रपति से मुलाकात करने के बाद पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने संयुक्त राष्ट्र में भारत के खिलाफ जो विषवमन किया, उसका जवाब देना जरूरी था। यह अच्छा हुआ कि संयुक्त राष्ट्र में भारत की प्रतिनिधि ने पाकिस्तान को उसी भाषा में जवाब दिया, जो उसे समझ में आती है।
पाकिस्तान को शर्मसार करते हुए यह रेखांकित करना अनिवार्य था कि वह शांति का ढोंग करते हुए अपने दागदार दामन को छिपा नहीं सकता। पाकिस्तान पहले की ही तरह किस्म-किस्म के आतंकी संगठनों को पालने-पोसने का काम कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ओर से प्रतिबंधित आतंकियों की सूची में पाकिस्तानी आतंकियों की गिनती करना मुश्किल है। भारत ने यह याद दिलाकर अच्छा किया कि अलकायदा सरगना ओसामा बिन लादेन को शरण देने वाले पाकिस्तान ने अभी हाल में पहलगाम में बर्बर हमले को अंजाम देने वाले आतंकी संगठन टीआरएफ का बचाव किया था।
टीआरएफ और कुछ नहीं, पाकिस्तान पोषित आतंकी संगठन लश्करे तोइबा का मुखौटा संगठन है। पहलगाम हमले के बाद जब संयुक्त राष्ट्र में इस संगठन की कारगुजारी का उल्लेख हुआ तो पाकिस्तान ने इसके लिए हरसंभव जतन किए कि इस हमले के लिए इस आतंकी संगठन को जिम्मेदार न कहा जाए। वह इसमें सफल तो हो गया, लेकिन बाद में अमेरिका ने ही उसे पहलगाम आतंकी हमले के लिए जिम्मेदार माना।
यह बात और है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप अपने संकीर्ण स्वार्थों के चलते पाकिस्तान की पैरवी करने में लगे हुए हैं। इसी कारण उन्होंने आपरेशन सिंदूर के बाद जिहादी सोच वाले पाकिस्तानी सेनाध्यक्ष आसिम मुनीर को अमेरिका बुलाकर आवभगत की थी। उन्होंने एक बार फिर ऐसा ही किया। इस बार उनके साथ पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी थे।
अब इसमें संदेह नहीं कि पाकिस्तान की सत्ता की असली कमान आसिम मुनीर के पास ही है और शहबाज शरीफ उनके सहायक की भूमिका में हैं। इसकी पुष्टि पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ने यह कहकर की कि हमारे यहां हाइब्रिड किस्म का शासन है। शहबाज शरीफ अपने सेनाध्यक्ष के सहायक की भूमिका में चीन में आयोजित एससीओ शिखर सम्मेलन के समय भी दिखे थे और अब अमेरिका में भी।
अमेरिकी राष्ट्रपति पाकिस्तान को खुश करने के लिए उसके यहां तेल और दुर्लभ खनिज के भंडार होने के जो दावे कर रहे हैं, उनका एकमात्र उद्देश्य भारत की चिंता बढ़ाना है। भारत को चिंतित होना भी चाहिए, क्योंकि अब इसका अंदेशा बढ़ गया है कि पाकिस्तान अमेरिका की शह पाकर अपनी भारत विरोधी गतिविधियां तेज कर सकता है। यह आवश्यक है कि भारत अपनी रक्षा तैयारियों को आगे बढ़ाए और पाकिस्तान से उभर रहे खतरे को लेकर सावधान रहे।
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