अवधेश कुमार। जम्मू-कश्मीर को छोड़कर शेष देश पिछले लगभग एक दशक से आतंकी हमलों से करीब-करीब मुक्त था, लेकिन दिल्ली में लाल किले के निकट कार में हुए विस्फोट ने फिर से पुराने दौर की याद दिला दी, जब कुछ अंतराल पर एकल या शृंखलाबद्ध धमाकों से देश दहल जाता था। शेष देश में लंबे समय तक कोई बड़ी आतंकी घटना न घटने से आम लोग निश्चिंत थे कि अब आतंकी हमले नहीं कर सकेंगे, लेकिन पिछले कुछ समय से कश्मीर घाटी से लेकर उत्तर प्रदेश के सहारनपुर, हरियाणा के फरीदाबाद, गुजरात और दिल्ली तक बरामद विनाशकारी सामग्री तथा गिरफ्तार संदिग्ध आतंकवादियों के कारण उनकी चिंता फिर बढ़ गई है।

इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि पिछले कुछ समय से देश के कई हिस्सों से किसी न किसी आतंकी माड्यूल के पकड़े जाने की खबर आ रही है। पिछले दिनों ही गुजरात में हैदराबाद के एक डाक्टर को घातक रसायन बनाने की सामग्री और हथियारों के साथ पकड़ा गया। उसके दो साथी भी गिरफ्तार किए गए, जो उत्तर प्रदेश के हैं।

इस साल अप्रैल में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादियों ने जब धर्म पूछ कर 26 लोगों की हत्या की थी तो भारत ने इसके जवाब में आपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी समूहों के मुख्य अड्डों को ध्वस्त कर सीमा पार आतंकवाद पर अब तक का सबसे बड़ा आघात किया था। निश्चय ही उसी के बाद से वे बड़े प्रतिशोध का षड्यंत्र रच रहे होंगे। लाल किला विस्फोट के तरीके और अब तक सामने आए षड्यंत्र की कहानी में छह वर्ष पहले पुलवामा हमले की जिहादी आतंक की कड़ी दिखती है। यद्यपि छानबीन के बाद ही पूरी सच्चाई सामने आएगी, बावजूद इसके पीछे की घटनाएं एक-दूसरे से जुड़ी लगती हैं।

श्रीनगर में जैश-ए-मोहम्मद के समर्थन में पोस्टर लगने के बाद पुलिस ने आतंकवादियों के कुछ हमदर्द और पत्थरबाज गिरफ्तार किए। उनसे एक मौलवी का पता चला, जो संदिग्ध गतिविधियों में लिप्त था। उससे पूछताछ के बाद अनंतनाग के रहने वाले डा. आदिल को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से गिरफ्तार किया गया। पुलिस जब उसे लेकर श्रीनगर पहुंची और पूछताछ की तो अनंतनाग के सरकारी अस्पताल से उसके ठिकाने से असाल्ट राइफल मिली। पुलिस ने और पूछताछ की तो पुलवामा जिले के डा. मुजम्मिल का पता चला।

इससे मिली जानकारी के आधार पर पुलिस ने जब फरीदाबाद के धौज स्थित अल फलाह मेडिकल कालेज में कार्रवाई की तो उसे 360 किलोग्राम विस्फोटक, एक एके-47 राइफल और 84 कारतूस सहित टाइमर, जिलेटिन के छड़ और अन्य सामग्रियां मिलीं। उसके बाद जांच की कड़ियां पुलिस को फरीदाबाद के फतेहपुर तगा गांव तक ले गईं, जहां एक घर में विस्फोटक के ढेर देखकर उसके होश उड़ गए। धौज से फतेहपुर तगा गांव चार किलोमीटर दूर है। डा. मुजम्मिल ने मौलाना इश्तियाक से यह घर किराए पर ले रखा था। करीब 3000 किलो अमोनियम नाइट्रेट विस्फोटक बरामद होना सबसे बड़ी बरामदगियों में से एक है।

अभी तक इस प्रकरण में गिरफ्तार लोग उच्च शिक्षा प्राप्त और संपन्न परिवार के हैं। डा. मुजम्मिल फिजिशियन है और फरीदाबाद के अल फलाह मेडिकल कालेज में पढ़ाता था और गिरफ्तार किए गए शोपियां के मौलवी इरफान अहमद, श्रीनगर के मकसूद अहमद डार, आरिफ निसार डार और यासिर उल अशरफ, गांदरबल के जमीर अहमद अहंगर में से कोई निर्धन, बेरोजगार या अनपढ़ नहीं है।

लाल किला विस्फोट में मारा गया डा. उमर नबी एमडी मेडिसिन डिग्री के साथ फरीदाबाद के अल फलाह मेडिकल कालेज में डाक्टर था। डा. आदिल उसका साथी है। इनकी एक साथी डा. शाहीन लखनऊ की है। उसकी कार से एक राइफल मिली थी। फरीदाबाद माड्यूल में कुछ और डाक्टर शामिल पाए जा सकते हैं। जांच से ही पता चलेगा कि इन्होंने क्यों आतंकवादी माड्यूल बनाया? किस तरह इतना विस्फोटक, हथियार इकट्ठे किए, कौन-कौन इसके पीछे थे और कहां-कहां विस्फोट करने की साजिश थी?

पिछले तीन दशकों की जिहादी घटनाओं के विश्लेषण के आधार पर निष्कर्ष यही निकलता है कि आतंकियों को लाल किला विस्फोट की प्रेरणा अपने कट्टर मजहबी सोच से मिली। इसी कारण यह जानते हुए कि विस्फोट में वे स्वयं भी मारे जाएंगे या पकड़े गए तो उन्हें मृत्युदंड मिलेगा, उन्होंने सब कुछ किया। इस सच को स्वीकार करना पड़ेगा कि सुरक्षा बलों की कार्रवाइयों से हम कुछ समय के लिए उन्हें कमजोर कर सकते हैं, पर दुनिया का इस्लामीकरण करने, काफिरों को सबक सिखाने के घातक मजहबी सोच को समाप्त करना आसान काम नहीं है।

फरीदाबाद में एक व्यक्ति किराए पर घर लेकर भारी मात्रा में विस्फोटक लाता रहा, लेकिन मकान मालिक या किसी अन्य ने उसे रोकने-टोकने या पुलिस को खबर करने की कोशिश नहीं की। संभव है इन आतंकियों को स्थानीय लोगों का सहयोग मिला हो। इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि भारत सहित विश्व में जितनी आतंकवादी घटनाएं हुई हैं, ज्यादातर में स्थानीय लोगों का सहयोग रहा है। जब पाकिस्तान के जिहादी जनरल आसिम मुनीर कहते हैं कि मुसलमान हिंदुओं के साथ नहीं रह सकते और मदीना के बाद कलमे की बुनियाद पर बनने वाली दूसरी रियासत पाकिस्तान है तथा कश्मीर हमारे गले की नस है तो यह समझना चाहिए कि आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष कितना कठिन है।

पाकिस्तान को अमेरिका और तुर्किये जैसे देशों का मिलता सहयोग आतंकवादियों के लिए प्रोत्साहन और समर्थन साबित हुआ है। सुरक्षा व्यवस्था से जुड़े एक-एक व्यक्ति के साथ भारत के सभी नागरिकों को हर क्षण जागरूक और सक्रिय रहने की आवश्यकता है। पता नहीं कौन हमारे आसपास जिहादी मानसिकता से लैस होकर भयानक हिंसा का षड्यंत्र रच रहा हो। एक राष्ट्र के नाते भारत का संकल्प आतंकवाद का समूल नाश करना है। इस संकल्प को बल तब मिलेगा, जब हर नागरिक आतंक के खिलाफ लड़ी जा रही लड़ाई में सजगता का परिचय देगा।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)