जागरण संपादकीय: तीसरे कार्यकाल का पहला साल, विकास और जनकल्याणकारी नीतियों की सफलता
मोदी के नेतृत्व वाला भारत ऐसी कठोर कार्रवाई करेगा इसकी कल्पना न तो पाकिस्तान ने की होगी और न ही विश्व समुदाय ने। मोदी सरकार ने देश और दुनिया को दिखाया कि भारत को आतंकवाद से लड़ना आता है। इसका एक और प्रमाण पाकिस्तान से किए गए सिंधु जल समझौते को स्थगित करना भी है।
मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला वर्ष जैसे राजनीतिक वातावरण में पूरा होने जा रहा है, वह इसलिए अधिक उल्लेखनीय है, क्योंकि जब इस सरकार ने अपनी तीसरी पारी शुरू की थी तब राजनीतिक माहौल बिल्कुल विपरीत था। ऐसा इसलिए था, क्योंकि भाजपा अपने बलबूते बहुमत हासिल नहीं कर सकी थी और उसे सरकार गठन के लिए सहयोगी दलों पर निर्भर होना पड़ा था।
इसके चलते यह माना गया कि मोदी सरकार अपने पहले और दूसरे कार्यकाल की तरह बड़े और साहसिक फैसले नहीं ले पाएगी और उसे कई विषयों पर गठबंधन के घटक दलों और विशेष रूप से जदयू और तेलुगु देसम के दबाव-प्रभाव का सामना करना पड़ सकता है।
एक साल के कार्यकाल ने इस धारणा को ध्वस्त करते हुए यही स्पष्ट किया कि भाजपा भले ही 240 सीटों तक सीमित रही हो, लेकिन मोदी सरकार अपने एजेंडे को लागू करने के लिए पहले की ही तरह प्रतिबद्ध है। इसका एक बड़ा उदाहरण वक्फ संशोधन विधेयक को कानून का रूप देना है।
भाजपा सहयोगी दलों को विश्वास में लेकर वक्फ कानून में संशोधन के अपने एजेंडे को लेकर आगे बढ़ी और उसे पूरा भी कर दिखाया। इसी तरह वह लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के अपने एजेंडे पर आगे बढ़ रही है। अब यह भी स्पष्ट हो गया है कि देश को अगले वर्ष मार्च तक माओवाद से मुक्त करा लिया जाएगा।
मोदी सरकार किस तरह साहसिक फैसले लेने में समर्थ है, इसका सबसे बड़ा उदाहरण है आपरेशन सिंदूर। पहलगाम में पाकिस्तान पोषित आतंकियों की ओर से 26 लोगों की जघन्य हत्या के बाद भारतीय सेना ने जिस तरह पहले पाकिस्तान के आतंकी अड्डों को तबाह किया और फिर उसके कई प्रमुख एयरबेस ध्वस्त कर दिए, वह सचमुच अकल्पनीय सैन्य कार्रवाई है। मोदी के नेतृत्व वाला भारत ऐसी कठोर कार्रवाई करेगा, इसकी कल्पना न तो पाकिस्तान ने की होगी और न ही विश्व समुदाय ने।
मोदी सरकार ने देश और दुनिया को दिखाया कि भारत को आतंकवाद से लड़ना आता है। इसका एक और प्रमाण पाकिस्तान से किए गए सिंधु जल समझौते को स्थगित करना भी है। तीसरे कार्यकाल का पहला साल पूरा होते-होते जिस तरह यह खबर आई कि भारत पिछले 11 वर्षों में 27 करोड़ लोगों को अति निर्धनता से उबारने में सफल रहा, वह इस सरकार की विकास और जनकल्याणकारी नीतियों की सफलता का ही परिचायक है।
इसके अतिरिक्त यह भी स्पष्ट है कि भारत विश्व की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने ही वाला है। इस सबका यह मतलब नहीं कि मोदी सरकार के समक्ष कहीं कोई चुनौती नहीं है और देश सभी समस्याओं से मुक्त हो चुका है, लेकिन इतना तो है ही कि विपक्ष और विशेष रूप से कांग्रेस को इस सरकार की रीति-नीति की आलोचना करते समय अपने घनघोर नकारात्मक रवैये का परित्याग करना होगा।














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