ओडिशा के बालेश्वर जिले में हाल के इतिहास के सबसे भीषण ट्रेन हादसे में तीन सौ के करीब रेल यात्रियों की मौत राष्ट्रीय शोक की घड़ी है। यह दिल दहलाने वाला हादसा है। ऐसे भयावह हादसे की कल्पना भी नहीं की जाती, क्योंकि दो यात्री ट्रेनों समेत तीन ट्रेनें एक साथ दुर्घटना की चपेट में आ गईं। इसी कारण इतनी बड़ी संख्या में रेल यात्री असमय काल के गाल में समा गए और एक हजार से अधिक घायल हो गए। एक झटके में सैकड़ों परिवार दुख के सागर में डूब गए। कोई भी संवेदना और मुआवजा उनके दुख को कम नहीं कर सकता। जिन लोगों ने अपने प्रियजनों को खोया है, वे जीवन भर इस हादसे को भूल नहीं पाएंगे।

ईश्वर किसी को भी ऐसे दिन न दिखाए, जैसे दुर्घटनाग्रस्त कोरोमंडल एक्सप्रेस और यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस में जान गंवाने वाले यात्रियों के स्वजनों को देखना पड़ रहा है। इस दुर्घटना की भयावहता का पता इससे चलता है कि उसने देश ही नहीं, दुनिया का भी ध्यान अपनी ओर खींचा है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शोक संवेदनाओं का तांता लगा है तो यह स्वाभाविक ही है। यह भी स्वाभाविक है कि रेल मंत्री के साथ प्रधानमंत्री भी दुर्घटनास्थल पर पहुंचे।

बालेश्वर में एक ऐसे समय हृदयविदारक रेल हादसा हुआ, जब ट्रेनों के सुरक्षित संचालन के उपाय अपना असर दिखा रहे थे और उनके चलते रेल दुर्घटनाओं में कमी भी आ रही थी। इस भयानक दुर्घटना ने सुरक्षित रेल संचालन के सवाल को फिर से सतह पर ला दिया है। फिलहाल दुर्घटना के कारणों की तह तक नहीं पहुंचा जा सका है, लेकिन यह सहज ही समझा जा सकता है कि या तो यह किसी तकनीकी खामी का भयावह नतीजा है या फिर मानवीय भूल का। यह ध्यान रहे कि मानवीय भूल प्रायः लापरवाही का परिणाम होती है।

जो भी हो, यह शुभ संकेत नहीं कि प्रारंभिक जांच में यह सामने आ रहा है कि कोरोमंडल एक्सप्रेस लूप लाइन में खड़ी मालगाड़ी से जा टकराई और उसकी बोगियां उस ट्रैक पर जा गिरीं, जिससे यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस गुजर रही थी। लगता है इस दूसरी ट्रेन के ड्राइवर को संभलने का कोई मौका ही नहीं मिला।

वास्तव में क्या हुआ, इसका पता जांच से ही चलेगा। यह ठीक है कि उच्चस्तरीय जांच के आदेश दे दिए गए हैं, लेकिन गहन जांच होने के साथ होती हुई दिखनी भी चाहिए और जैसा प्रधानमंत्री ने कहा, दोषियों को सख्त सजा देना भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए। इसी के साथ सुरक्षित रेल संचालन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए और उस कवच सिस्टम से सभी ट्रेनों को लैस करने के काम को तेजी से आगे बढ़ाया जाए, जो दुर्घटनाओं को रोकने का काम करता है। बालेश्वर हादसा राष्ट्र को शोकाकुल करने वाला है। दुख की इस घड़ी में संवेदना जताने के नाम पर सस्ती राजनीति के लिए कहीं कोई गुंजाइश नहीं।