जागरण संपादकीय: व्यापार समझौते की आशा, भारत-अमेरिका व्यापार समझौते से दोनों देशों को फायदा
भारत चाहेगा कि इस अवधि के खत्म होने के पहले दोनों देशों के बीच कोई अंतरिम व्यापार समझौता हो जाए लेकिन इसमें बाधा यह है कि अमेरिका अपने हितों को प्राथमिकता दे रहा है और स्वाभाविक रूप से भारत अपने हितों को। होना तो यह चाहिए कि दोनों देश एक-दूसरे का हित देखें और बीच का कोई रास्ता निकालें।
भारत और अमेरिका के बीच शीघ्र ही व्यापार समझौता होने की आशा जगी है। इस कारण जगी है, क्योंकि अमेरिका की ओर से कहा गया है कि दोनों देशों के बीच शीघ्र ही कोई अंतरिम व्यापार समझौता हो सकता है। विदेश मंत्री जयशंकर का भी यह कहना है कि भारत और अमेरिका के बीच होने वाले व्यापार समझौते पर नजर है। यह समझौता 8 जुलाई के पहले हो जाना चाहिए, अन्यथा अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की ओर से टैरिफ पर तीन माह की जो कथित मोहलत दी गई थी, उसकी अवधि खत्म हो जाएगी।
भारत चाहेगा कि इस अवधि के खत्म होने के पहले दोनों देशों के बीच कोई अंतरिम व्यापार समझौता हो जाए, लेकिन इसमें बाधा यह है कि अमेरिका अपने हितों को प्राथमिकता दे रहा है और स्वाभाविक रूप से भारत अपने हितों को। होना तो यह चाहिए कि दोनों देश एक-दूसरे का हित देखें और बीच का कोई रास्ता निकालें। दोनों देशों के संबंधों को आगे बढ़ाने में ऐसा ही करना होता है, लेकिन ट्रंप के बारे में यह कहना कठिन है कि उन्हें अपने और अमेरिका के हितों के आगे किसी अन्य देश और यहां तक कि मित्र देशों के हितों की परवाह है।
हाल में ट्रंप के विचित्र और एक तरह के भारत विरोधी रवैये को तब देखा गया था, जब उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय सेना के आपरेशन सिंदूर को थामने का श्रेय ले लिया था। यह अनावश्यक था और भारत ने इससे दो टूक इन्कार भी किया, लेकिन इसके बावजूद उनके सुर नहीं बदले। इतना ही नहीं, उन्होंने पाकिस्तान को अपना प्रिय देश बताना शुरू कर दिया। इससे भी बुरी बात यह हुई कि उन्होंने पाकिस्तान में पाले जा रहे आतंकियों की अनदेखी कर पाकिस्तानी सेनाध्यक्ष को अमेरिका बुला कर उनकी तारीफ की।
हो सकता है कि इसका कारण ईरान के खिलाफ पाकिस्तान की मदद लेना हो, लेकिन वह भारत की तो अनदेखी करते ही नजर आए। आतंकवाद के साथ-साथ व्यापार नीति और विशेष रूप से उनकी टैरिफ नीति भी भारतीय हितों के प्रतिकूल है। यह अच्छा हुआ कि कुछ दिनों पहले भारत ने यह कहने में संकोच नहीं किया था कि उसे अमेरिका के साथ अंतरिम व्यापार समझौते की कोई जल्दी नहीं है।
आगे भी उसे जल्दबाजी दिखाने से बचना होगा। भारत अपने हितों की रक्षा पर जोर देकर ही ट्रंप को मनमानी करने से रोक सकता है। ध्यान रहे कि उन्हें कुछ अन्य देशों के मामले में भी अपनी व्यापार नीति में फेरबदल करना पड़ा है। इससे यही पता चलता है कि उन्हें मनमानी करने से रोका जा सकता है। भारत ने पिछले दिनों जैसी दृढ़ता चीन के खिलाफ दिखाई, वैसी ही अमेरिका के खिलाफ भी दिखानी चाहिए और यह स्पष्ट कर देना चाहिए कि व्यापार समझौते में उसके भी हितों की रक्षा होनी चाहिए।
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