विचार: पंचायतों तक पहुंची डिजिटल क्रांति, सबको मिलेगा फायदा
देशभर की 12800 से अधिक ग्राम पंचायतों ने इस नवाचारी उपकरण का प्रयोग करते हुए 21000 से ज्यादा वीडियो-आधारित कार्यवृत्त अपलोड किए। इस अवसर पर त्रिपुरा की लगभग सभी 1193 ग्राम पंचायतों और पारंपरिक स्थानीय निकायों ने ‘सभासार’ को अपनाकर सफलता का नया उदाहरण प्रस्तुत किया वहीं अन्य राज्यों ने भी सक्रिय भागीदारी निभाई।
डॉ. ऋतु सारस्वत। हाल में विशाखापत्तनम में ग्राम पंचायतों को डिजिटल सेवा में जमीनी स्तर की पहलों के लिए राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस पुरस्कार (एनएईजी) 2025 से सम्मानित किया गया। इस पुरस्कार के लिए 1.45 लाख से अधिक प्रविष्टियों का मूल्यांकन किया गया, जिसके परिणामस्वरूप चार ग्राम पंचायतों को ‘सेवा वितरण को गहन बनाने के लिए ग्राम पंचायतों में जमीनी स्तर की पहल’ श्रेणी में पुरस्कृत किया गया। इनमें से दो ग्राम पंचायतों की मुखिया महिलाएं हैं।
डिजिटल विभाजन केवल तकनीक तक पहुंच की कमी नहीं है, बल्कि यह सामाजिक-आर्थिक असमानताओं, लैंगिक मानदंडों और डिजिटल साक्षरता के अंतरालों में गहराई से निहित है। पंचायती राज संस्थाओं में महिला नेताओं को कई बाधाओं का सामना करना पड़ता है, जिनमें डिजिटल बुनियादी ढांचे तक सीमित पहुंच भी शामिल है, लेकिन पिछले एक दशक में मोदी सरकार के डिजिटल क्रांति के निरंतर आह्वान ने इस तस्वीर को बदल दिया है, जिसका परिणाम इन पुरस्कारों के रूप में सामने आया है। विजेता पंचायतों ने डिजिटल शासन, पारदर्शिता और सहभागी सेवा वितरण में नए मानक स्थापित किए हैं।
स्वर्ण पुरस्कार विजेता महाराष्ट्र की ‘रोहिणी ग्राम पंचायत’ पूरी तरह से पेपरलेस ई-आफिस प्रणाली अपनाने वाली राज्य की पहली ग्राम पंचायत बन गई है। यह पंचायत 1,027 आनलाइन सेवाएं प्रदान करती है और शत-प्रतिशत घरेलू डिजिटल साक्षरता सुनिश्चित करती है। तत्काल शिकायत निवारण और एसएमएस के माध्यम से सूचना पहुंचाने की व्यवस्था यह सुनिश्चित करती है कि प्रत्येक नागरिक शासन के निर्णयों से जुड़ा रहे।
वहीं रजत पुरस्कार विजेता त्रिपुरा की पश्चिमी मजलिशपुर ग्राम पंचायत नागरिक चार्टर-आधारित पंचायत शासन के एक माडल में तब्दील हो गई है। यहां जन्म, मृत्यु, विवाह प्रमाणपत्र, व्यापार लाइसेंस, संपत्ति रिकार्ड और मनरेगा जाब कार्ड जैसी सेवाएं आनलाइन उपलब्ध हैं। हर अनुरोध की डिजिटल निगरानी की जाती है, जिससे जवाबदेही, समयबद्धता और पारदर्शिता सुनिश्चित होती है।
जूरी पुरस्कार प्राप्त गुजरात की पलसाना ग्राम पंचायत ने क्यूआर/यूपीआइ-आधारित संपत्ति कर भुगतान, आनलाइन शिकायत निवारण और पारदर्शी कल्याणकारी वितरण को सक्षम करने के लिए ‘डिजिटल गुजरात’ और ‘ग्राम सुविधा’ जैसे पोर्टलों को एकीकृत किया है। दूसरी जूरी पुरस्कार विजेता ओडिशा की सुआकाटी ग्राम पंचायत ने ‘ओडिशा वन’ और ‘सेवा ओडिशा’ प्लेटफार्मों के माध्यम से आवश्यक सेवाओं का डिजिटलीकरण किया है, जिससे नागरिकों को 24 घंटे अपडेट मिल रहा है। यह दर्शाता है कि कैसे तकनीक सरकार और नागरिकों के बीच की दूरी को पाटती है।
राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना 2006 में शुरू की गई थी। इसके अंतर्गत पंचायती राज संस्थानों में ई-गवर्नेंस को मजबूत करने और ई-गवर्नेंस अनुप्रयोगों में शामिल जटिलताओं को कम करने के लिए ई-ग्रामस्वराज लांच किया गया। आज ‘पंचायत निर्णय एप’ के माध्यम से ग्राम सभा बैठकों सहित पंचायतों की बैठकों का प्रबंधन किया जा रहा है।
ग्राम सभाओं में नागरिकों की भागीदारी बढ़ाने के लिए एप में प्रविधान किया गया है, ताकि जब भी ग्राम सभा की बैठक निर्धारित की जाए या पंचायत द्वारा पंचायत निर्णय पोर्टल या मोबाइल एप पर बैठक का एजेंडा या मिनट अपलोड किया जाए, तो एप उपयोगकर्ता समस्त जानकारी को सहजता से प्राप्त कर सकें। कई राज्यों में पंचायतें अब इलेक्ट्रानिक तरीके से जन्म, मृत्यु, आय, विवाह, निवास प्रमाण पत्र जारी करने, निर्माण और व्यापार की अनुमति तथा संपत्ति और गृह कर आदि का भुगतान जैसी सेवाएं प्रदान कर रही हैं। महाराष्ट्र, झारखंड और छत्तीसगढ़ इलेक्ट्रानिक तरीके से सेवाएं प्रदान करने के लिए विकसित सर्विसप्लस एप्लीकेशन का उपयोग कर रहे हैं।
हाल में पंचायती राज मंत्रालय द्वारा शुरू ‘सभासार’ इसकी डिजिटल यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। एआइ और नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग पर आधारित यह स्मार्ट टूल ग्राम सभा और पंचायत बैठकों की आडियो/वीडियो रिकार्डिंग से मिनटों में सुव्यवस्थित मीटिंग का सारांश तैयार करता है। बीते 15 अगस्त को आयोजित विशेष ग्राम सभाओं में ‘सभासार’ का उपयोग उल्लेखनीय और उत्साहजनक रहा, जब देशभर की 12,800 से अधिक ग्राम पंचायतों ने इस नवाचारी उपकरण का प्रयोग करते हुए 21,000 से ज्यादा वीडियो-आधारित कार्यवृत्त अपलोड किए। इस अवसर पर त्रिपुरा की लगभग सभी 1,193 ग्राम पंचायतों और पारंपरिक स्थानीय निकायों ने ‘सभासार’ को अपनाकर सफलता का नया उदाहरण प्रस्तुत किया, वहीं अन्य राज्यों ने भी सक्रिय भागीदारी निभाई।
‘सभासार’ 13 भारतीय भाषाओं में उपलब्ध है। यह बहुभाषी नवाचार विविध भाषाई क्षेत्रों की पंचायतों के लिए समावेशिता सुनिश्चित करता है। साथ ही ग्राम पंचायतों में भागीदारी लोकतंत्र को सुदृढ़ बनाने, निर्णय प्रक्रिया के पारदर्शी दस्तावेजीकरण और तत्पश्चात कार्रवाई में गति सुनिश्चित करने की दिशा में एक दूरदर्शी पहल है। यह पहल पंचायत प्रतिनिधियों को बेहतर स्थानीय स्व-शासन और उत्कृष्ट सेवा प्रदायगी पर अधिक ध्यान केंद्रित करने का अवसर प्रदान करती है और अमृत काल में जमीनी लोकतंत्र को और सशक्त बनाने का मार्ग प्रशस्त करती है।
(लेखिका समाजशास्त्र की प्रोफेसर हैं)
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