15 दिनों तक चले स्वच्छता ही सेवा अभियान में करोड़ों लोगों के सम्मिलित होने और 8.5 लाख से अधिक स्थानों पर सफाई किए जाने का आंकड़ा उत्साहित करने वाला है। यह यही बताता है कि स्वच्छता को लेकर लोग जागरूक हो रहे हैं और साफ-सफाई को लेकर अपने दायित्वों को समझ रहे हैं।

15 दिनों के स्वच्छता अभियान के अंतर्गत गांधी जयंती के एक दिन पहले यानी 1 अक्टूबर को साफ-सफाई के लिए एक घंटा देने की प्रधानमंत्री ने जो अपील की थी, वह भी प्रभावी दिखी। इस अपील के चलते जिस तरह देश भर में नेताओं, अधिकारियों के साथ आम लोगों और विशेष रूप से छात्रों समेत करोड़ों लोगों ने सार्वजनिक स्थलों पर साफ-सफाई में सहयोग दिया, उससे यही पता चलता है कि प्रधानमंत्री की बात लोगों को प्रभावित और प्रेरित करती है। इससे उनकी लोकप्रियता भी रेखांकित होती है।

स्वच्छता ही सेवा अभियान का प्राथमिक उद्देश्य साफ-सफाई को लेकर सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देना और स्वच्छ पड़ोस, गांव, कस्बे एवं नगर के महत्व को बल देना था। इस अभियान का एक अन्य उद्देश्य सफाई कर्मचारियों यानी सफाई मित्रों के कल्याण पर विशेष ध्यान देना भी था। निःसंदेह सफाई कर्मचारी सराहना और सम्मान के पात्र बनने चाहिए। वे एक बड़ी जिम्मेदारी का निर्वाह करते हुए देश को स्वच्छ बनाने का काम कर रहे हैं। उनके कल्याण को लेकर जितना सजग संबंधित विभागों और सरकारों को रहना चाहिए, उतना ही समाज को भी।

यह ठीक है कि स्वच्छता ही सेवा अभियान में लोगों ने साफ-सफाई को लेकर रुचि दिखाई, लेकिन यह समझा जाना चाहिए कि स्वच्छता के प्रति सदैव सजग रहने की आवश्यकता है। वास्तव में यह सामूहिक दायित्व है और उसका परिचय केवल किसी विशेष दिन अथवा सप्ताह या पखवाड़े में ही नहीं दिया जाना चाहिए। यह हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा बनना चाहिए। इसकी आवश्यकता इसलिए है, क्योंकि अभी बहुत से लोग यह मानते हैं कि सार्वजनिक स्थलों पर साफ-सफाई की जिम्मेदारी तो नगर निकायों की है।

यह सही है कि कचरा निस्तारण की जिम्मेदारी नगर निकायों की है और इस दिशा में अभी काफी कुछ किया जाना शेष है, लेकिन हमारे सार्वजनिक स्थल साफ-सुथरे रहें, इसकी चिंता देश के हर नागरिक को करनी होगी और उन्हें इसमें अपना योगदान देने के लिए भी तत्पर रहना चाहिए। अभी औसत भारतीय अपने घर के भीतर और बाहर सफाई को लेकर जितना सचेत रहता है, उतना सार्वजनिक स्थलों को स्वच्छ रखने के प्रति सजग नहीं दिखता।

दुनिया के जो भी देश साफ-सफाई के लिए जाने जाते हैं, उनकी सफलता का राज यही है कि वहां के आम नागरिक सार्वजनिक स्थलों पर गंदगी न फैलाने को लेकर सचेत रहते हैं। वे न तो स्वयं गंदगी फैलाते हैं और न ही किसी अन्य को ऐसा करने देते हैं। यह आदत हम भारतीयों को भी अपनानी होगी। इसी से भारत स्वच्छ बनेगा और तमाम बीमारियों से भी बचा रहेगा।