Congress Manifesto 2024: कांग्रेस के वादे, रोजगार और पुरानी पेंशन योजना जैसे मुद्दों पर चुप्पी
Congress Manifesto 2024 क्या यह उचित नहीं होता कि वह अपने घोषणा पत्र के जरिये यह भी बताती कि वह निजी क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ाने और कृषि पर जरूरत से ज्यादा निर्भर लोगों को रोजगार देने के लिए क्या कदम उठाएगी? यह अच्छा है कि कांग्रेस को यह समझ आ गया कि पुरानी पेंशन योजना को बहाल करना मुश्किल है।
चुनावी तैयारियों और सहयोगी दलों से सीटों के तालमेल में पिछड़ी कांग्रेस ने न्याय पत्र नाम से अपना घोषणा पत्र जारी करने में तो बढ़त हासिल कर ली, लेकिन उसने उसमें जो तमाम लोक-लुभावन वादे किए, वे यही रेखांकित कर रहे हैं कि वह समाजवादी सोच से बाहर निकलने को तैयार नहीं। कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में जाति जगनणना कराने के साथ आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक करने का वादा किया है।
साफ है कि वह यह समझने को तैयार नहीं कि जाति एवं आरक्षण की राजनीति की अपनी सीमाएं हैं और यह समय आरक्षण की मौजूदा व्यवस्था की समीक्षा का है, ताकि यह जाना जा सके कि उन वर्गों का उत्थान कैसे हो, जो इतने वर्षों से आरक्षण जारी रहने के बाद भी अभी तक सामाजिक एवं आर्थिक रूप से कमजोर बने हुए हैं।
यह निराशाजनक है कि कांग्रेस को अभी भी यह लगता है कि कर्ज माफी के जरिये खेती और किसानों की स्थिति को सुधारा जा सकता है। यह तब है, जब यह बार-बार प्रमाणित हो चुका है कि कर्ज माफी से किसानों का भला नहीं होता। कांग्रेस ने स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप एमएसपी की गारंटी वाला कानून बनाने का भी वादा किया है। क्या यह वही कांग्रेस नहीं, जिसने मनमोहन सरकार के समय इस आयोग की सिफारिशों को लागू करने से इन्कार करने के साथ एमएसपी की गारंटी वाला कानून बनाने की आवश्यकता नहीं समझी थी?
कांग्रेस ने एक बार फिर गरीबी हटाओ पर जोर दिया, लेकिन उसका घोषणा पत्र निर्धनता निवारण के कारगर उपायों पर मौन है। इसके बजाय उसने जिस तरह सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में संविदा भर्तियों की जगह नियमित भर्तियां करने और मौजूदा संविदा कर्मियों को नियमित करने का आश्वासन दिया है, उससे तो यही लगता है कि वह सार्वजनिक उपक्रमों को नौकरियां बांटने का माध्यम बनाना चाहती है।
कांग्रेस यह समझे तो अच्छा कि यह युग घाटे वाले सार्वजनिक उपक्रमों को चलाने का नहीं, बल्कि निजी क्षेत्र को सशक्त करने का है, ताकि वे उत्पादकता बढ़ाने के साथ रोजगार देने का जरिया बन सकें। कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में यह वादा तो कर दिया कि केंद्र सरकार में 30 लाख पदों को भरने का काम किया जाएगा, लेकिन यह नहीं बताया कि क्या इतनी नौकरियां पर्याप्त होंगी?
क्या यह उचित नहीं होता कि वह अपने घोषणा पत्र के जरिये यह भी बताती कि वह निजी क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ाने और कृषि पर जरूरत से ज्यादा निर्भर लोगों को रोजगार देने के लिए क्या कदम उठाएगी? यह अच्छा है कि कांग्रेस को यह समझ आ गया कि पुरानी पेंशन योजना को बहाल करना मुश्किल है, लेकिन और भी अच्छा होता कि वह यह समझती कि वादों को न्याय कहना ही पर्याप्त नहीं होता। उन्हें पूरा करने की ठोस रूप रेखा भी चाहिए होती है। इसका घोषणा पत्र में अभाव ही दिखता है।
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