जागरण संपादकीय: फजीहत कराता विपक्ष, पी. चिदंबरम का बयान शर्मनाक
आपरेशन सिंदूर जैसी साहसिक कार्रवाई की चर्चा तो अब भी हो रही है और संसद में भी हो रही है। विपक्ष को संसद में भी फजीहत का ही सामना करना पड़े तो हैरानी नहीं। आपरेशन सिंदूर पर संसद में विपक्ष की ओर से जैसे सवाल पूछे जा रहे हैं वे उसकी अपरिपक्वता को ही बयान करते हैं।
विपक्षी नेता किस तरह अपने ही आचरण से अपनी फजीहत कराने में लगे हुए हैं, इसका ताजा और शर्मनाक उदाहरण है कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम का यह बयान कि पहलगाम में हमला करने वाले आतंकियों के पाकिस्तान से आने का प्रमाण दिया जाना चाहिए। चिदंबरम केंद्र में गृहमंत्री ही नहीं रह चुके हैं, बल्कि वे सुप्रीम कोर्ट में वकील भी हैं। आखिर वे इतना बेतुका बयान कैसे दे सकते हैं?
पहलगाम में आतंकी हमले और आपरेशन सिंदूर के संदर्भ में उनकी ओर से पूछे गए सवालों पर जो हंगामा मचा, उसके लिए वही जिम्मेदार हैं। उनकी इस सफाई का कोई मतलब नहीं कि उनके बयान का गलत मतलब निकाला गया। अच्छा हो कि वे अपने ही कथन को खुद सुन लें। वे पहले भी बेतुके बयान देकर विवादों में आ चुके हैं। ऐसा लगता है कि बिना विचारे ज्यादा बोल जाना उनकी आदत है।
जो भी हो, चिदंबरम विपक्ष के एकमात्र ऐसे नेता नहीं जो पहलगाम, आपरेशन सिंदूर अथवा अन्य विषयों पर पाकिस्तान को रास आने वाले बयान दे चुके हैं। यह काम राहुल गांधी समेत अन्य अनेक नेता करने में लगे हुए हैं। किसी के लिए भी यह समझना कठिन है कि कांग्रेस और कुछ अन्य दलों के नेता अपने बेजा बयानों से यह बताने की कोशिश में क्यों लगे हैं कि पहलगाम के बर्बर आतंकी हमले में पाकिस्तान का कहीं कोई हाथ नहीं।
कम से कम कांग्रेस के नेताओं को तो पाकिस्तान की पक्षधरता करने वाले बयान देने में शर्म आनी चाहिए। आखिर वे पाकिस्तान को क्लीन चिट देकर किसे खुश करना चाहते हैं? कौन हैं वे लोग जो पाकिस्तान की तरफदारी करने वाले उनके बयानों से प्रसन्न होकर उन्हें वोट देना पसंद करेंगे?
कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दल यह साबित करने की भी कोशिश कर रहे हैं कि मोदी सरकार पाकिस्तान प्रेरित-प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ उतनी सख्त नहीं, जितना उसे होना चाहिए। पाकिस्तान के खिलाफ सख्ती की कोई सीमा नहीं हो सकती, लेकिन सब जानते हैं कि मोदी सरकार के आदेश पर ही भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकियों के अड्डे पर बम बरसाए थे।
आपरेशन सिंदूर जैसी साहसिक कार्रवाई की चर्चा तो अब भी हो रही है और संसद में भी हो रही है। विपक्ष को संसद में भी फजीहत का ही सामना करना पड़े तो हैरानी नहीं। आपरेशन सिंदूर पर संसद में विपक्ष की ओर से जैसे सवाल पूछे जा रहे हैं, वे उसकी अपरिपक्वता को ही बयान करते हैं।
हमारे संविधान और राष्ट्र निर्माताओं ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि भारत की राजनीति इतनी अधिक सतही होगी। दुर्भाग्य से आज का यथार्थ यही है कि भारतीय राजनीति स्तरहीन होती चली जा रही है। यह संसद में भी देखने को मिल रहा है।
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