जागरण संपादकीय: मौसम का बिगड़ा मिजाज, नया पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय
भारत में मौसम के बिगड़े मिजाज से होने वाली बाढ़ एवं भूस्खलन की घटनाओं से जन-धन हानि को रोकने का उपाय यही है कि आधारभूत ढांचे के निर्माण में तय मानकों का पालन किया जाए। अभी ऐसा नहीं हो रहा है। एक अन्य क्षेत्र भी ऐसा है जिस पर प्राथमिकता के आधार पर ध्यान देना होगा और वह है जल निकासी के उचित प्रबंध का।
मानसून के विदा लेने के बाद देश के विभिन्न हिस्सों में जिस तरह वर्षा हो रही है, वह केवल आश्चर्य का ही विषय नहीं, परेशानी का भी कारण है। मौसम विभाग के अनुसार अगले कुछ दिनों में देश के विभिन्न हिस्सों में अच्छी-खासी वर्षा के आसार हैं, क्योंकि बंगाल की खाड़ी में निम्न दबाव का क्षेत्र बन रहा है तो अरब सागर में शक्ति नामक तूफान के कमजोर होने से पहले नया पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हो गया है।
दशहरे के बाद दीवाली की प्रतीक्षा के बीच जब यह मान लिया जाता है कि वर्षा ऋतु का समय बीत गई, तब बारिश होना यही बताता है कि मौसम में परिवर्तन का चक्र तीव्र हो गया है। मौसम चक्र में बदलाव पिछले कई वर्षों से दिख रहा है, लेकिन अब बदलाव की गति कहीं अधिक तेज हो गई है। यह जलवायु परिवर्तन का परिणाम है।
विडंबना यह है कि जलवायु परिवर्तन को लेकर चिंता तो हर स्तर पर जताई जा रही है, लेकिन उसे रोकने के लिए जैसे सामूहिक प्रयास होने चाहिए, वैसे नहीं हो पा रहे हैं। यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय की विफलता है। कहना कठिन है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय जलवायु परिवर्तन को रोकने के अपने प्रयासों के प्रति कब गंभीरता का परिचय देगा? जब तक ऐसा नहीं होता, तब तक भारत को जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले दुष्प्रभावों से बचने के उपायों पर बल देना होगा।
यह ठीक है कि आपदा प्रबंधन के उपायों को पुष्ट किया गया है और उनका लाभ भी मिला है, लेकिन अब अतिवर्षा, बादल फटने, कम समय में अधिक बारिश होने के कारण जन-धन हानि की भारी क्षति देखने को मिलती है। इस वर्ष ऐसी घटनाओं के चलते पर्वतीय राज्यों के साथ-साथ मैदानी राज्यों में भी अच्छी खासी जन-धन हानि देखने को मिली।
इस हानि का एक बड़ा कारण कमजोर आधारभूत ढांचे का निर्माण और उसका सही तरीके से रखरखाव न किया जाना है। जलवायु परिवर्तन के कारण अत्यधिक वर्षा दूसरे देशों में भी होती है, लेकिन उनमें और विशेष रूप से विकसित और यहां तक कि कई विकासशील देशों में अपेक्षाकृत कम जन-धन हानि होती है।
भारत में मौसम के बिगड़े मिजाज से होने वाली बाढ़ एवं भूस्खलन की घटनाओं से जन-धन हानि को रोकने का उपाय यही है कि आधारभूत ढांचे के निर्माण में तय मानकों का पालन किया जाए। अभी ऐसा नहीं हो रहा है। एक अन्य क्षेत्र भी ऐसा है, जिस पर प्राथमिकता के आधार पर ध्यान देना होगा और वह है जल निकासी के उचित प्रबंध का।
बारिश के समय जनजीवन के बाधित होने का मुख्य कारण जगह-जगह जलभराव होना है। स्थिति यह है कि देश के बड़े महानगरों में भी थोड़ी सी ही बारिश जलभराव कर देती है और उसके चलते आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।