जसप्रीत बिंद्रा। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विशेष रूप से जेनरेटिव एआई हमारे युग की सबसे परिवर्तनकारी तकनीकों में से एक है। मानव के समान सामग्री बनाने से लेकर दवा खोज को तेज करने और व्यावसायिक बुद्धिमत्ता को बढ़ाने तक जेनरेटिव एआई अभूतपूर्व गति से उद्योगों को नया आकार दे रही है।

हालांकि जैसे-जैसे यह तकनीक अधिक शक्तिशाली होती जा रही है, वैसे-वैसे इसका पर्यावरणीय बोझ भी स्पष्ट होता जा रहा है। अब हमारे सामने जो प्रश्न है, वह तात्कालिक और आवश्यक, दोनों है। क्या हम जेनरेटिव एआई को अधिक टिकाऊ बना सकते हैं? बड़े पैमाने पर एआई माडल जैसे कि ओपनएआई के चैटजीपीटी-4, गूगल के जेमिनी या मेटा के लामा को प्रशिक्षित करने के लिए विशाल मात्रा में कंप्यूटिंग शक्ति की आवश्यकता होती है।

यह प्रक्रिया उतनी ही ऊर्जा खपत करती है, जितनी सैकड़ों घरों को लंबे समय तक चलाने में होती है। वर्ष 2019 में यूनिवर्सिटी आफ मैसाचुसेट्स, एमहर्स्ट के एक अध्ययन से पता चला कि केवल एक डीप लर्निंग माडल को प्रशिक्षित करने से उतना ही कार्बन उत्सर्जित हो सकता है, जितना पांच कारों के पूरे जीवनकाल चलाने में होता है। जैसे-जैसे एआई का दैनिक उपयोग बढ़ रहा है, वैसे-वैसे ऊर्जा खपत बढ़ रही है। यदि इस पर ध्यान न दिया गया तो इस कार्बन उत्सर्जन के और भी तेजी से बढ़ने की आशंका है।

सवाल है कि हम एआई को ग्रीन कैसे बना सकते हैं? एक अच्छी बात यह है कि एआई के बारे में सोचने-समझने वाला समुदाय इन चिंताओं से अनभिज्ञ नहीं है। इसके लिए तकनीकी, इन्फ्रास्ट्रक्चर और नियामक आदि विभिन्न रणनीतियां खोजी जा रही हैं, ताकि जेनरेटिव एआई प्रणालियों के पर्यावरणीय प्रभाव को कम किया जा सके। इस कड़ी में सबसे प्रमुख है-स्मार्ट और हल्के एआई माडल का निर्माण। डेवलपर्स अब माडल आर्किटेक्चर को अनुकूलित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।

माडल प्रूनिंग, क्वांटाइजेशन और नालेज डिस्टिलेशन जैसी तकनीकों को लागू करके एआई माडलों के आकार और जटिलता को उनके प्रदर्शन से समझौता किए बिना कम करना संभव है। इसके अलावा ट्रांसफर लर्निंग यानी पहले से प्रशिक्षित माडलों पर आधारित होकर नए माडल बनाना भी एक अच्छा उपाय है, जो गणनात्मक भार और संबंधित कार्बन उत्सर्जन को काफी हद तक कम करता है। एआई कंप्यूटिंग की रीढ़ डाटा सेंटर को लेकर भी नए सिरे से सोचा जा रहा है।

गूगल, माइक्रोसाफ्ट और एमेजोन जैसी कंपनियां कार्बन-न्यूट्रल या नवीकरणीय ऊर्जा से संचालित सुविधाओं में बड़े पैमाने पर निवेश कर रही हैं। इसके अलावा तरल शीतलन, स्मार्ट पावर आवंटन और डायनामिक लोड बैलेंसिंग जैसी नवाचार तकनीकों का उपयोग ऊर्जा दक्षता बढ़ाने और अपशिष्ट को कम करने के लिए किया जा रहा है।

जेनरेटिव एआई प्रणालियों के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने का एक अन्य उपाय ऊर्जा-दक्षता वाले हार्डवेयर और एज कंप्यूटिंग का निर्माण भी है। विशेषीकृत चिप्स जैसे कि टीपीयूज (टेंसर प्रोसेसिंग यूनिट्स) और एनविडिया के ग्रीन जीपीयूज को एआई वर्कलोड को अधिक कुशलता से संसाधित करने के लिए डिजाइन किया गया है, जो कम ऊर्जा खपत करते हुए उच्च प्रदर्शन की क्षमता बनाए रखते हैं।

इसके अतिरिक्त यदि एआई माडल पूरी तरह क्लाउड पर निर्भर रहने के बजाय स्मार्टफोन या आईओटी सेंसर जैसे एज डिवाइसेज पर संचालित किए जाएं, तो इससे ऊर्जा की खपत और विलंबता में उल्लेखनीय कमी आ सकती है, जो एआई को अधिक सुलभ, कुशल और पर्यावरण के अनुकूल बनाता है। इसके साथ-साथ कार्बन उत्सर्जन कम करने में नियमन और जिम्मेदार शासन भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

अर्थात तकनीकी सुधारों जितने ही महत्वपूर्ण नीतियां और शासन ढांचे भी हैं। विनियमों, कार्बन आफसेट प्रोत्साहनों और पर्यावरणीय आडिट मानकों के माध्यम से एआई की स्थिरता को प्रोत्साहित करना वैश्विक जलवायु लक्ष्यों के अनुरूप एआई विकास को बनाए रखने में महत्वपूर्ण होगा। एआई नैतिकता बोर्ड और स्थिरता रेटिंग तंत्र का निर्माण भी जिम्मेदार नवाचार को दिशा दे सकता

वास्तव में प्रगति और पर्यावरणीय स्वास्थ्य के बीच संतुलन बेहद आवश्यक है। जेनरेटिव एआई नवाचार में प्रेरक शक्ति बनी रहेगी, लेकिन इसका भविष्य टिकाऊ होना चाहिए। व्यवसायों और डेवलपर्स के लिए यह आवश्यक होता जा रहा है कि वे प्रदर्शन और बढ़ती जरूरतों को संभालने के लिए विस्तारण क्षमता जितनी ही प्राथमिकता ऊर्जा दक्षता और जलवायु प्रभाव को भी दें। स्थिरता अब एक गौण विचार नहीं रहनी चाहिए, बल्कि यह एआई विकास का मूल सिद्धांत होना चाहिए।

यदि रणनीतिक रूप से अपनाया जाए तो ग्रीन एआई कोई बाधा नहीं, बल्कि नवाचार, दक्षता और स्थिरता के लिए एक सुनहरा अवसर बन सकती है। ऐसा अवसर, जो शक्तिशाली, जिम्मेदार और समावेशी तकनीकों को बनाने का है, जो मानव प्रगति और पर्यावरणीय स्वास्थ्य दोनों की सेवा करे। आगे का मार्ग तकनीकी विशेषज्ञों, उद्यमों और नीति निर्माताओं के बीच सहयोग की मांग करेगा, लेकिन साझा उद्देश्य और नवाचार के साथ हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि एआई हमें उस कीमत पर न मिले, जो पृथ्वी को क्षति पहुंचाने वाली हो।

(लेखक एआई एंड बियांड के सह-संस्थापक हैं)