संजय मिश्र। कोरोना ने अनेक परिवारों को कभी न भूलने वाला दर्द दिया है। इसने कई परिवारों को पूरी तरह समाप्त कर दिया है तो हजारों परिवार ऐसे भी हैं जिनके सिर से मुखिया का साया उठ गया है। छोटे बच्चों को छोड़कर माता-पिता दोनों चले गए तो कई जगह मासूम बच्चों के साथ मां अकेले बच गई है। भरण-पोषण का पूरा दारोमदार उसके कंधे पर आ गया है। चाहे सरकारी कर्मचारी हों या आम आदमी, सब पर यह विपदा समान रूप से कहर बरपा रही है। सहानुभूति के शब्द जितने कहे जाएं, लेकिन यह सच है कि इससे दुखों पर पहाड़ खत्म नहीं होता। इसके लिए जरूरी है कि संबल और सहयोग के लिए सरकार और समाज दोनों खडे हों। हमारी सामाजिक संरचना में यह जिम्मेदारी है। अच्छी बात यह है कि प्रदेश सरकार ने इस जिम्मेदारी को स्वीकार किया है। पहली बार कोरोना योद्धा का दायरा बढ़ाकर उन छोटे सरकारी या अर्धसरकारी या सहकारी कर्मचारियों को भी जोड़ा गया है जो किसी भी रूप में इसकी परिभाषा में नहीं आते थे।

यह एक तथ्य है कि कोरोना संक्रमण की कड़ी को तोड़ने के लिए दिन-रात मोर्चा संभाल रहे कर्मचारी भी लगातार संक्रमित हो रहे हैं। शिक्षक, ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी, पुलिसकर्मी, स्वास्थ्यकर्मी, सहकारी संस्थाओं के साथ कई अन्य विभागों के अनेक कर्मचारी कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने के प्रयास में जिंदगी की जंग हार गए। उनके न रहने पर परिवार पर विपत्ति का पहाड़ टूट पड़ा है, लेकिन इनमें से अधिकतर संवर्गों की मदद का कोई इंतजाम नहीं था। उन्हें न कोरोना योद्धा की सुविधाएं मिल पा रही थीं और न कोई अन्य सहायता। चौतरफा संकट से घिरे इन परिवारों की सुध अब राज्य सरकार ने ली है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पहल पर इन परिवारों के लिए पहली बार सरकार ने नीतिगत व्यवस्था करके अन्य राज्यों के लिए भी उदाहरण पेश किया है। कोरोना के कारण माता-पिता के निधन से बेसहारा हुए बच्चों के लिए सरकार ने पांच हजार रुपये मासिक पेंशन योजना की शुरुआत करने का निर्णय लिया है। यह पेंशन उन्हें 21 साल की उम्र तक मिलती रहेगी। महामारी के दौर में यह अपनी तरह की पहली योजना है, जो निचले स्तर तक लोगों में भरोसा पैदा करेगी। यदि ऐसे परिवार की महिला रोजगार के लिए कोई काम-धंधा शुरू करना चाहती है तो सरकार अपनी गारंटी पर बैंक से बिना ब्याज का कर्ज दिलाएगी।

कोरोना संक्रमण से लड़ने में सेवा देने वाले गैर सरकारी कर्मचारियों का एक बड़ा वर्ग भी है जिन्हें मदद की गारंटी नहीं थी। कोरोना संक्रमण से सीधे मुकाबला कर रहे इस संवर्ग के अनेक कर्मचरियों की जान जा चुकी है। उनके निधन से परिवार के सामने भविष्य का संकट खड़ा हो गया है। उन्हें मदद किस तरह दी जाए यह तय नहीं हो पाया था। कोरोना योद्धा योजना में इस मुद्दे पर स्पष्टता का अभाव था। इसकी वजह से कर्मचारी सशंकित थे कि यदि उन्हें कुछ हो जाता है तो परिवार का क्या होगा। कर्मचारी संगठन लगातार सरकार के सामने कर्मचारी की मृत्यु होने पर पाल्य को अनुकंपा नियुक्ति के साथ परिवार को र्आिथक सहायता देने की कानूनी व्यवस्था करने की मांग उठा रहे थे। सरकार के सामने यह बड़ा विषय बन गया कि ऐसे कर्मचारियों को राहत दी जाए तो कैसे।

आखिरकार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विचार-विमर्श के बाद चार दिन पूर्व जो योजना प्रस्तुत की उसने कर्मचारियों को सुकून दे दिया। उन्होंने कोरोना संक्रमण की वजह से जान गंवाने वाले कर्मचारियों के स्वजन को अनुकंपा नियुक्ति देने के लिए मुख्यमंत्री कोविड विशेष अनुकंपा नियुक्ति योजना लागू करने की घोषणा की है। इसके दायरे में वे सभी कर्मचारी भी आएंगे जो नियमित नहीं हैं अथवा सहकारी संवर्गों से आते हैं और कोरोना के खिलाफ लड़ाई में सरकार के साथ कदमताल कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कोरोना के कारण जान गंवाने वाले कर्मचारी के पात्र आश्रितों को पांच लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की भी घोषणा की है। यह राशि एकमुश्त दी जाएगी। सभी कर्मचारी संगठनों ने इस निर्णय की सराहना की है।

पिछले साल कोरोना की पहली लहर के दौरान संक्रमण की रोकथाम में लगे अधिकारियों-कर्मचारियों के लिए सरकार ने मुख्यमंत्री कोविड-19 योद्धा कल्याण योजना लागू की थी। यह 31 अक्टूबर 2020 तक लागू रही। इसमें कोरोना संक्रमण की वजह से जान गवाने वाले कर्मचारियों के स्वजन को 50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने का प्रविधान किया गया था। इसमें यह बाध्यता थी कि जिलों के कलेक्टर अपने स्तर पर पात्रता का निर्धारण करेंगे। कर्मचारी संगठन इसमें भेदभाव का आरोप लगा रहे थे। वे बाकायदा सरकार को पत्र लिखकर सवाल उठा रहे थे कि इस योजना के तहत एक साल में कितने मृतक कर्मचारियों के परिजनों को 50 लाख रुपये की सहायता दी गई इसका आंकड़ा सरकार क्यों जारी नहीं कर रही है।

कोरोना की दूसरी लहर के शुरू होने के बाद सरकार ने एक अप्रैल 2021 से 31 मई 2021 तक की अवधि के लिए इसी योजना को फिर से लागू कर दिया, लेकिन स्वास्थ्य, नगरीय विकास सहित कुछ ही विभागों के कर्मचारी इसके दायरे में आ रहे थे। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के कर्मचारियों को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई थी। सहकारी समितियों के कर्मचारी, ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी सहित कई संवर्गों के कर्मचारी भी इससे वंचित थे। अंतत: सरकार ने ऐसी योजना प्रस्तुत कर दी जो हर संवर्ग को लाभ देने वाली है। इसके दायरे में तकरीबन उन सभी कर्मचारियों को ले लिया गया है, जो कोरोना संक्रमण की रोकथाम के काम में दिन-रात जान जोखिम में डालकर मैदानी मोर्चे पर डटे हुए हैं।

[स्थानीय संपादक, नवदुनिया, भोपाल]