विचार: नेपाल के घटनाक्रम में निहित संदेश, जन शिकायतों का गलत ढंग से निपटारा जन आंदोलनों में बदल सकता है
आज लोकतंत्र अत्यंत गतिशील है। समाचार तेजी से फैलते हैं। ऐसे में नीतियों को समय की आवश्यकता के अनुसार बनाने और बदलने की आवश्यकता है। युवाओं के साथ नियमित रूप से जुड़ाव होना चाहिए। राष्ट्रों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि किसी भी प्रकार की जन शिकायत का गलत ढंग से निपटारा बड़े पैमाने पर जन आंदोलनों में बदल सकता है।
सृजनपाल सिंह। नेपाल में जेन-जी युवा विद्रोह अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक मुद्दा बन गया है। यह भारत के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह हमारे पड़ोस में हो रहा है और हमारे सैन्य एवं राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित कर रहा है। पिछले कुछ समय से वहां डिजिटल मीडिया पर भ्रष्टाचार, जमीन घोटालों और भाई-भतीजावाद को लेकर युवाओं में आक्रोश बढ़ रहा था। सार्वजनिक रूप से भ्रष्टाचार के जो मामले इंटरनेट मीडिया पर उजागर हो रहे थे, वे केपी ओली सरकार के लिए शर्मनाक थे।
भूमि घोटाले से लेकर रिश्वतखोरी तक सब कुछ एक ऐसे तंत्र की तस्वीर प्रस्तुत कर रहा था, जो सत्ता में बने रहने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। इससे युवाओं को यह अहसास हुआ कि सत्ता के शीर्ष पर बैठे लोग केवल स्वयं और अपने परिवार के लाभ के लिए हैं, न कि सामान्य युवाओं के लिए। इस सबके बीच नेपाल सरकार ने 26 प्रमुख डिजिटल मीडिया प्लेटफार्म जैसे-फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर प्रतिबंध लगा दिया। प्रदर्शनकारियों की समझ से यह प्रतिबंध मूल रूप से उनकी आवाज दबाने के लिए था। इससे प्रदर्शन और बढ़ गया और हिंसक हो गया। अंततः नेपाल सरकार गिर गई। यह लगभग बांग्लादेश की घटनाओं की पुनरावृत्ति की तरह है। नेपाल अब गहरे संकट की स्थिति में है।
नेपाल का घटनाक्रम एक बड़े वैश्विक बदलाव का हिस्सा लगता है, जिसमें युवा पीढ़ी व्यवस्था के खिलाफ खुलकर खड़ी हो रही है। 2019 में हांगकांग में एक विरोध प्रदर्शन हुआ था, जो पहले एक चीनी कानून के खिलाफ था, लेकिन बाद में यह वहां की लोकतांत्रिक स्वतंत्रता को बचाने की लड़ाई में बदल गया। चीन के बढ़ते प्रभाव के खिलाफ हांगकांग के युवाओं का यह आंदोलन दुनियाभर में प्रसिद्ध हो गया।
इंडोनेशिया में इन दिनों आर्थिक मुद्दों और निर्वाचित सदस्यों को मिलने वाले विशेष लाभ के विरोध में इसी तरह का विरोध प्रदर्शन हो रहा है। बीते दिनों फिलीपींस में भी प्राकृतिक आपदाओं के बाद राहत वितरण में भ्रष्टाचार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए। गत वर्ष बांग्लादेश की सरकार भी अचानक एक राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन के कारण गिर गई। श्रीलंका में भी ऐसा ही हो चुका है। सरकारों को अस्थिर करने वाले ये विरोध प्रदर्शन भारत के आसपास के देशों में हो रहे हैं। एक लोकतांत्रिक राष्ट्र के रूप में हमें इन्हें समझने और यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि ऐसी घटनाएं हमें प्रभावित न करें।
दुनिया में युवाओं के लिए डिजिटल मीडिया अहम मंच है। अगर सरकारें युवाओं को चुप करने की कोशिश करेंगी तो यह रुझान और अधिक प्रतिक्रियाओं को जन्म दे सकता है। सरकारों को पारदर्शिता और जवाबदेही का महत्व समझना होगा। नेपाल के आंदोलन का मुख्य कारण वह भ्रष्टाचार और परिवारवाद था, जो सत्ता के गलियारों में फल-फूल रहा था। दुनिया भर के युवा अब अपने निर्वाचित और सार्वजनिक पदाधिकारियों के प्रदर्शन के बारे में जानने के लिए उत्सुक हैं। अगर उन्हें सच्चे तथ्य और आंकड़े उपलब्ध नहीं कराए जाते, तो वे अपने पास मौजूद किसी भी स्रोत से अपनी व्याख्या बनाने से नहीं चूकेंगे।
अक्सर ये स्रोत डिजिटल मीडिया पर आधारित हो सकते हैं-जहां गलत सूचनाएं आसानी से फैल सकती हैं। इसलिए सरकारों को अपने कामकाज के बारे में सक्रिय रूप से पारदर्शी होने और जनता की प्रतिक्रिया और शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई करने के लिए तैयार रहने की आवश्यकता है। युवाओं की शक्ति को कम नहीं आंका जा सकता। इसलिए सरकारी नीतियां युवा-केंद्रित और युवाओं को लाभान्वित करने वाली होनी चाहिए। इनमें शिक्षा, रोजगार, न्याय और बेहतर जीवन स्तर पर ध्यान केंद्रित करना शामिल है।
वे अब भाई-भतीजावाद स्वीकार नहीं करेंगे। इसलिए योग्यता आधारित व्यवस्था जरूरी है। युवाओं को सिर्फ आंदोलनकारियों के रूप में नहीं, बल्कि एक जागरूक वर्ग के रूप में भी देखना होगा। अगर उन्हें उपेक्षित किया गया, तो वे सड़कों पर आकर बदलाव की मांग करेंगे। यह भी महत्वपूर्ण है कि सरकारें डिजिटल मीडिया और प्रौद्योगिकी के प्रभाव को समझें। नेपाल में इसने दिखाया कि तकनीक का इस्तेमाल आज की युवा पीढ़ी अपनी आवाज उठाने के लिए करती है। यह सरकारों के लिए एक चुनौती हो सकती है, लेकिन साथ ही यह एक अवसर भी है कि वे प्रौद्योगिकी का सही तरीके से उपयोग करें, ताकि जनता और सरकार के बीच संवाद बना रहे। नेपाल में हुआ आंदोलन सिर्फ एक उदाहरण है।
आज लोकतंत्र अत्यंत गतिशील है। समाचार तेजी से फैलते हैं। ऐसे में नीतियों को समय की आवश्यकता के अनुसार बनाने और बदलने की आवश्यकता है। युवाओं के साथ नियमित रूप से जुड़ाव होना चाहिए। राष्ट्रों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि किसी भी प्रकार की जन शिकायत का गलत ढंग से निपटारा बड़े पैमाने पर जन आंदोलनों में बदल सकता है। यह विरोधी देशों को हस्तक्षेप करने और अशांति को बढ़ावा देने का अवसर भी प्रदान कर सकता है। बाहरी ताकतें हमेशा किसी देश के अंदरूनी संघर्ष का फायदा उठाने की ताक में रहती हैं।
(लेखक कलाम सेंटर के सीईओ हैं)
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