करीब ढाई साल पहले हिंसा की आग में बुरी तरह झुलसे मणिपुर में प्रधानमंत्री के दौरे ने पूरे देश का ध्यान आकर्षित किया। इस दौरे ने यह उम्मीद बढ़ाई है कि पूर्वोत्तर क्षेत्र का यह राज्य शांति की दिशा में तेजी से आगे बढ़ेगा और वह बैर भाव मिटेगा, जिसके चलते यहां लंबे समय तक अशांति बनी रही और जिसमें कई लोग मारे गए तथा तमाम विस्थापित हुए। यह मानने के पर्याप्त कारण हैं कि इसी लंबी अशांति के चलते प्रधानमंत्री के मणिपुर जाने में देरी हुई। हालांकि विपक्षी दलों ने इसे एक मुद्दा बना रखा था कि प्रधानमंत्री मणिपुर क्यों नहीं जा रहे हैं, लेकिन इसका मतलब नहीं था।

महत्वपूर्ण प्रधानमंत्री का मणिपुर जाना नहीं, बल्कि यह सुनिश्चित करना था कि यहां शांति कैसे स्थापित हो। यह विचित्र है कि अब जब प्रधानमंत्री मणिपुर पहुंच गए तो भी विपक्ष की ओर से तरह-तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं और राहुल गांधी तो यह कह रहे हैं कि मुद्दा प्रधानमंत्री का मणिपुर जाना नहीं, बल्कि वोट चोरी है। यह हास्यास्पद है। इसका अर्थ है कि प्रधानमंत्री के मणिपुर न जाने को बेवजह तूल दिया जा रहा था।

जो भी हो, प्रधानमंत्री का मणिपुर जाना इसका संकेत है कि वहां ऐसे उपाय कर लिए गए हैं, जिससे स्थायी शांति का मार्ग प्रशस्त हो। ऐसा ही हो, इसके लिए राज्य प्रशासन को भी सचेत रहना होगा और केंद्र सरकार को भी। इस सिलसिले में यह भी देखना होगा कि हिंसा और जातीय वैमनस्य के चलते बड़ी संख्या में जो लोग विस्थापित हुए, वे अपने घरों को लौट सकें।

मणिपुर में ऐसा माहौल बनाना सबकी प्राथमिकता होनी चाहिए, जिससे कुकी और मैतेई समुदाय के लोग एक-दूसरे के इलाकों में जा भी सकें और जरूरत पड़ने पर रह भी सकें। यह संतोषजनक है कि मणिपुर अब शांत है, लेकिन दोनों बड़े समुदायों कुकी और मैतेई में अभी भी मतभेद कायम हैं।

मणिपुर में स्थायी शांति के लिए म्यांमार से होने वाली घुसपैठ पर भी लगाम लगानी होगी और वहां से होने वाली मादक पदार्थों की तस्करी पर भी। चूंकि मणिपुर राजनीतिक स्थायित्व से वंचित है, इसलिए इसे भी दूर करने की चिंता करनी होगी। फिलहाल यहां राष्ट्रपति शासन लागू है और चूंकि विधानसभा निलंबित है, इसलिए भविष्य में सरकार गठित होने के आसार हैं, लेकिन सरकार ऐसी होनी चाहिए, जिसे सभी वर्गों का भरोसा हासिल हो। स्पष्ट है कि भावी सरकार के गठन में दलगत राजनीतिक हितों से अधिक मणिपुर की शांति को महत्व दिया जाना चाहिए। अब जब प्रधानमंत्री मणिपुर में शांति और विकास सुनिश्चित करने पर जोर दे रहे हैं, तब फिर यह भी आवश्यक है कि उन कारणों के निवारण की भी कोशिश हो, जिनके चलते इस राज्य में हिंसा भड़की थी।