जागरण संपादकीय: आतंकी साजिश विफल, भारत को सावधान रहना जरूरी
इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि अनेक पढ़े-लिखे युवा इस्लामिक स्टेट और अलकायदा जैसे आतंकी संगठनों में शामिल हो चुके हैं। चिंताजनक केवल यह नहीं है कि मुस्लिम युवक इस्लामिक स्टेट और अलकायदा सरीखे आतंकी संगठनों की बताई राह पर चलने के लिए तैयार हो जाते हैं बल्कि यह भी है कि वे ऐसे संगठनों से प्रेरित होकर अपना कोई आतंकी गुट तैयार कर लेते हैं।
दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा की ओर से एक आतंकी माड्यूल का भंडाफोड किया जाना और उससे जुड़े पांच आतंकियों की गिरफ्तारी यही बताती है कि आतंकी तत्वों का दुस्साहस खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। दिल्ली, झारखंड, मध्य प्रदेश आदि राज्यों से जिन आतंकियों को गिरफ्तार किया गया,वे दुनिया के सबसे खूंखार आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट से प्रेरित बताए जा रहे हैं।
गिरफ्तार आतंकी देश भर से अपने जैसे सोच वाले युवाओं को जोड़ने में लगे हुए थे और उनका इरादा देश में बड़े आतंकी हमलों को अंजाम देना था। दिल्ली पुलिस की ओर से गिरफ्तार सभी आतंकी उच्च शिक्षित बताए जा रहे हैं। इनमें से कुछ रसायनों के जरिये घातक विस्फोटक बनाने में समर्थ थे।
पुलिस ने इन आतंकियों के पास से ऐसे कुछ रसायन बरामद भी किए हैं, जिनका इस्तेमाल विस्फोटकों के रूप में किया जा सकता था। अब पढ़े-लिखे युवाओं का आतंकी बनना कोई हैरानी का विषय नहीं। देश और दुनिया में न जाने कितने आतंकी ऐसे पाए जाते हैं, जो पढ़े-लिखे भी होते हैं और आर्थिक रूप से संपन्न भी। स्पष्ट है कि इस धारणा में अब कोई दम नहीं रह गया है कि आर्थिक अभाव से दो-चार और अशिक्षित युवा कट्टरपंथ की चपेट में आते हैं।
पढ़े-लिखे युवाओं का आतंक की राह पर चलना देश-दुनिया के लिए चिंता का विषय है। इस चिंता से सरकारों के साथ समाज और विशेष रूप से मुस्लिम समाज को भी चिंतित होना चाहिए। उसे यह देखना-समझना ही होगा कि वे कौन से कारण हैं, जिनके चलते अच्छे-खासे पढ़े-लिखे युवा जिहादी बनने के लिए तैयार हो जाते हैं।
इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि अनेक पढ़े-लिखे युवा इस्लामिक स्टेट और अलकायदा जैसे आतंकी संगठनों में शामिल हो चुके हैं। चिंताजनक केवल यह नहीं है कि मुस्लिम युवक इस्लामिक स्टेट और अलकायदा सरीखे आतंकी संगठनों की बताई राह पर चलने के लिए तैयार हो जाते हैं, बल्कि यह भी है कि वे ऐसे संगठनों से प्रेरित होकर अपना कोई आतंकी गुट तैयार कर लेते हैं।
इसके पहले ऐसे कई आतंकी माड्यूल ध्वस्त किए जा चुके हैं। सच तो यह है कि देश के किसी न किसी हिस्से से ऐसे आतंकी माड्यूल में शामिल युवाओं की गिरफ्तारी के समाचार आते ही रहते हैं। इस तथ्य को ओझल नहीं किया जा सकता कि कुछ वर्ष पहले बिहार में पीएफआइ से जुड़े आतंकियों के एक ऐसे समूह का पर्दाफाश किया गया था, जो 2047 तक भारत को इस्लामी देश बनाने के सपने देख रहा था।
इसकी तह तक जाने की जरूरत है कि ऐसे सपने देखने की मानसिकता कैसे विकसित होती है और उसे कौन खाद-पानी देता है? जिहादी कट्टरपंथ एक विचारधारा है और उसका सामना विचारों के जरिये भी करने की आवश्यकता है।
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