विचार: विकसित भारत की ओर एक और बड़ा कदम, ब्रिटेन के साथ ट्रेड से अर्थव्यवस्था और रोजगार को मिलेगा बढ़ावा
पीयूष गोयल के अनुसार भारत और ब्रिटेन के बीच एक ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौता हुआ है जिससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और भारतीय व्यवसायों को वैश्विक पहचान मिलेगी। यह समझौता मोदी सरकार की 2047 तक भारत को विकसित बनाने की रणनीति का हिस्सा है। समझौते से कृषि निर्यात में वृद्धि होगी किसानों को लाभ होगा और सूचना प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में नए अवसर उत्पन्न होंगे।
पीयूष गोयल। भारत और ब्रिटेन के बीच ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौते यानी एफटीए पर सहमति बन गई है। भारत-यूके व्यापक आर्थिक एवं व्यापार समझौता (सीईटीए) के अस्तित्व में आने से रोजगार के असंख्य अवसर सृजित होंगे। भारतीय किसानों, मछुआरों, कारीगरों और व्यवसायों को नई वैश्विक पहचान मिलेगी। उच्च गुणवत्ता वाली वस्तुओं की किफायती दरों पर पहुंच भी सुनिश्चित होगी।
सीईटीए की संकल्पना आस्ट्रेलिया, संयुक्त अरब अमीरात और कुछ अन्य देशों के साथ हुए मुक्त व्यापार समझौतों के अनुरूप ही है। यह मोदी सरकार की भारत को 2047 तक विकसित बनाने की संकल्पना से जुड़ी रणनीति का एक हिस्सा है।
मोदी सरकार ने भारतीय अर्थव्यवस्था में वैश्विक विश्वास को फिर से स्थापित करने तथा इसे भारतीय और विदेशी निवेशकों के लिए आकर्षक बनाने के लिए एक दृढ़ रणनीति अपनाई है। विकसित देशों के साथ एफटीए इस रणनीति के केंद्र में है। ऐसे समझौते व्यापार नीतियों से जुड़ी अनिश्चितताओं को दूर करके निवेशकों का विश्वास बढ़ाते हैं।
पिछली यूपीए सरकार ने भारत के दरवाजे प्रतिद्वंद्वी देशों के लिए खोलकर भारतीय व्यवसायों को खतरे में डालने वाला रवैया अपनाया था। यूपीए सरकार में विकसित देश भारत के साथ व्यापार समझौते के अनिच्छुक थे, क्योंकि तब देश की गिनती दुनिया की पांच नाजुक अर्थव्यवस्थाओं में होने लगी थी। वहीं, प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में आर्थिकी की काया ही पलट गई। भारत का सकल घरेलू उत्पाद 2014 से लगभग तिगुना बढ़कर लगभग 331 लाख करोड़ रुपये हो गया है।
क्रांतिकारी सुधारों, कारोबारी सुगमता और प्रधानमंत्री के वैश्विक व्यक्तित्व ने भारत को एक आकर्षक आर्थिक गंतव्य के रूप में उभारने में मदद की है, जहां विपुल संभावनाएं हैं। आज दुनिया भारत की अद्भुत विकासगाथा का हिस्सा बनना चाहती है। प्रमुख देशों द्वारा एक के बाद एक एफटीए इसी मान्यता की पुष्टि करते हैं।
ब्रिटेन के साथ यह व्यापार समझौता बाजार पहुंच और प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त दिलाएगा। यह करीब 99 प्रतिशत टैरिफ समाप्त करता है, जो लगभग शत प्रतिशत व्यापार मूल्य को कवर करता है। यह 56 अरब डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार के लिए अपार अवसर बनाएगा, जिसके 2030 तक दोगुना होने का अनुमान है। इससे छोटे व्यवसाय समृद्ध होंगे, क्योंकि भारतीय उत्पादों को प्रतिद्वंद्वियों पर प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त हासिल होगी।
खेल उपकरण बनाने वाली कंपनियों के कारोबार में भारी विस्तार होगा। विश्व के एक आकर्षक बाजार में भारत की प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त चमड़ा और जूते, वस्त्र, समुद्री उत्पाद और रत्न एवं आभूषण जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों के लिए मददगार साबित होगी।
इन क्षेत्रों में, जहां कई छोटे व्यवसाय संचालित होते हैं, निवेश और रोजगार सृजन के अवसर पैदा होंगे। भारत के चमड़ा और जूता निर्यात में भारी वृद्धि होने की उम्मीद है। भारत वस्त्र, चमड़ा और जूते के क्षेत्र में ब्रिटेन के शीर्ष तीन आपूर्तिकर्ताओं में से एक बनने की बेहतर स्थिति में है।
इस समझौते के बाद 95 प्रतिशत से अधिक कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य टैरिफ लाइनों पर शून्य शुल्क लगेगा, जिससे कृषि निर्यात और ग्रामीण समृद्धि में तेज वृद्धि का मार्ग प्रशस्त होगा। इससे अगले तीन वर्षों में कृषि निर्यात में 20 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि का अनुमान है, जो 2030 तक भारत के 100 अरब डालर के कृषि-निर्यात के लक्ष्य को पूरा करने में योगदान देगा।
इससे भारतीय किसानों के लिए प्रीमियम ब्रिटिश बाजार के द्वार खुलेंगे, जो जर्मनी, नीदरलैंड और अन्य यूरोपीय संघ के देशों को मिलने वाले फायदे के बराबर या उससे भी अधिक होगा। हल्दी, काली मिर्च, इलायची, प्रसंस्कृत उत्पादों, अचार और दालों को भी शुल्क-मुक्त पहुंच मिलेगी। निर्यात बढ़ने से कृषि आय में वृद्धि होगी तथा गुणवत्ता, पैकेजिंग और प्रमाणन के लिए अधिक प्रोत्साहन मिलेगा। इससे कृषि मूल्य शृंखला में रोजगार के असंख्य अवसर सृजित होंगे।
घरेलू किसानों की सुरक्षा के लिए एफटीए में भारत के सबसे संवेदनशील कृषि क्षेत्रों को बाहर रखा गया है। भारत ने डेरी उत्पादों, सेब, जई और खाद्य तेलों पर कोई शुल्क रियायत नहीं दी है। यह मोदी सरकार की खाद्य सुरक्षा, मूल्य स्थिरता और कमजोर कृषक समुदायों को प्राथमिकता देने की रणनीति को दर्शाता है।
समझौते से भारतीय मछुआरों, विशेष रूप से आंध्र प्रदेश, ओडिशा, केरल और तमिलनाडु के मछुआरों की ब्रिटिश बाजार में पहुंच सुगम होगी। यह समझौता सूचना प्रौद्योगिकी एवं संबंधित सेवाओं, वित्तीय सेवा और शिक्षा सहित अन्य सेवाओं में भारतीयों के लिए नए अवसर बनाएगा।
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत के एफटीए वस्तुओं और सेवाओं से कहीं आगे तक जाते हैं। आस्ट्रेलियाई एफटीए के साथ भारत ने दोहरे कराधान का मुद्दा सुलझाया, जो आईटी कंपनियों की परेशानी बढ़ा रहा था। ब्रिटेन के साथ समझौते का एक अहम बिंदु दोहरे अंशदान से जुड़ा है। यह ब्रिटेन में नियोक्ताओं, अस्थायी भारतीय कर्मियों को तीन वर्षों के लिए सामाजिक सुरक्षा अंशदान से छूट देता है। इससे भारतीय सेवा प्रदाताओं की प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।
व्यापार समझौते प्रतिस्पर्धा बढ़ाते हैं, जिससे भारतीय उपभोक्ताओं को प्रतिस्पर्धी कीमतों पर उच्च-गुणवत्ता वाली वस्तुएं प्राप्त करने में मदद मिलती है। मोदी सरकार ने गुणवत्ता को प्रोत्साहित करने और बढ़ावा देने के लिए नीतिगत समर्थन प्रदान किया है। गुणवत्ता नियंत्रण आदेश जारी किए हैं और मुक्त व्यापार समझौतों पर बात आगे बढ़ाई है।
सरकार ने किसी भी मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर से पहले उद्योग जगत और अन्य हितधारकों के साथ गहन परामर्श किया है। यह जानकर खुशी होती है कि उद्योग जगत ने इन व्यापार समझौतों का व्यापक रूप से समर्थन एवं स्वागत किया है। इसी कड़ी में ब्रिटेन के साथ यह समझौता बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच न्यायसंगत और महत्वाकांक्षी व्यापार समझौतों के लिए एक मानक है।
यह हमारे मूल हितों से समझौता किए बिना, वंचित समुदायों के लिए आकर्षक वैश्विक अवसरों के द्वार खोलता है। यह इस बात का एक प्रखर उदाहरण भी है कि नया भारत व्यापार किस प्रकार करता है।
(लेखक केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री हैं)
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