विचार: साकार हो रहे संविधान निर्माताओं के सपने: न्याय, समानता और जीवन में सुगमता सुनिश्चित करने में मोदी सरकार सबसे आगे
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा सामाजिक न्याय के मोर्चे पर इन उपलब्धियों के उल्लेख का यह उचित समय ही कहा जा सकता है क्योंकि 17 सितंबर को उनकी 75वीं जन्मतिथि है। इस अवसर पर उन्हें शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए हमें यह आशा करनी चाहिए कि उनके कार्यकाल के दौरान इन सभी योजनाओं का पूरा होना सुनिश्चित हो।
ए. सूर्यप्रकाश। भारत जैसे विकासशील देश में प्रत्येक सरकार स्वयं को ‘लोगों की सरकार’ के रूप में प्रस्तुत करती है। सरकारों की यह प्रतिबद्धता कल्याणकारी राज्य के विचार और आर्थिक एवं सामाजिक न्याय की गारंटी देने वाले एक न्यायपूर्ण समाज की स्थापना की कसौटी पर कसी जानी चाहिए। यह पैमाना संविधान निर्माण समिति के अध्यक्ष डा. आंबेडकर द्वारा दिए गए सुझाव के अनुरूप ही है। उन्होंने कहा था कि केवल राजनीतिक समानता पर्याप्त नहीं होगी। यदि राज्य सामाजिक और आर्थिक समानता सुनिश्चित नहीं करता तो भारत का लोकतंत्र संकट में पड़ जाएगा।
इस संदर्भ में संविधान निर्माताओं ने राज्य के नीति निर्देशक तत्वों के अंतर्गत व्यापक मार्गदर्शन प्रस्तुत किया और मौलिक अधिकारों के उलट संविधान के इस हिस्से को न्यायिक समीक्षा के दायरे से बाहर भी रखा। स्पष्ट है कि सरकारों से नीति निर्देशक तत्वों के अनुपालन की अपेक्षा की गई और उन्होंने इस राह पर चलने का प्रयास भी किया, लेकिन इस मोर्चे पर 2014 के बाद आई तेजी बिल्कुल साफ दिखती है। सरकार की नीतियों, लक्ष्यों को निर्धारित करने और उन्हें प्राप्त करने की प्रतिबद्धता को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने पूर्ववर्तियों की तुलना में बहुत अलग हैं। सामाजिक न्याय के संदर्भ में भारत के राष्ट्र निर्माताओं के सपनों को साकार करने की दिशा में वे बहुत आगे निकल गए हैं। कई तथ्य इस कथ्य को पुष्ट करते हैं।
मोदी सरकार ने कई कल्याणकारी योजनाएं आरंभ की हैं। जैसे 2015 में शुरू की गई पीएम आवास योजना के अंतर्गत 2.62 करोड़ घर बनाए गए। 2016 में शुरू की गई सब्सिडी वाली घरेलू गैस कनेक्शन की पीएम उज्ज्वला योजना ने 10.33 करोड़ घरों को कवर किया। नल के जरिये जल वाली योजना 2019 में शुरू हुई और जल जीवन मिशन ने 15.60 करोड़ घरों को कवर किया। शौचालय निर्माण के लिए 11 करोड़ घरों को सुविधा उपलब्ध कराई गई। पूरे परिवार के लिए स्वास्थ्य बीमा और दुर्घटना बीमा भी इन पहलों में शामिल हैं। यह सब नागरिकों के लिए जीवन की सुगमता सुनिश्चित करने से जुड़ी मोदी की प्रतिबद्धता का हिस्सा है।
जनकल्याणकारी योजनाओं की चर्चा खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम का उल्लेख किए बिना अधूरी रहेगी। मोदी सरकार ने 2028 तक हर महीने 81 करोड़ लोगों तक भोजन प्रदान करने की प्रतिबद्धता जताई है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी व्यक्ति बिना भोजन के न रहे। इसके लाभार्थियों की संख्या दक्षिण, उत्तर अमेरिका और यूरोप की जनसंख्या से कहीं अधिक है। यह योजना काफी पहले शुरू हुई थी, पर मोदी ने इसे व्यापक रूप से आगे बढ़ाया। यह योजना अनुच्छेद 47 के निर्देश के अनुरूप ही है, जिसमें उल्लेख है कि राज्य का प्राथमिक कर्तव्य लोगों के पोषण एवं जीवन स्तर को बढ़ाना है।
अन्य योजनाओं की तरह पीएम किसान योजना भी 11 करोड़ किसानों के लिए वरदान साबित हुई है। इसके जरिये किसानों को आवश्यक मौद्रिक सहायता उपलब्ध कराई जा रही है। आधार के जरिये इसमें किसी तरह का कोई रिसाव नहीं और राशि सीधे लाभार्थियों के खाते में पहुंचती है। नीति निर्देशक तत्वों से जुड़ी संकल्पनाओं को साकार करने की दिशा में जनधन योजना मोदी सरकार की बहुत निर्णायक पहल साबित हुई है।
इसके अंतर्गत बैंक खातों की संख्या 56.29 करोड़ के स्तर तक पहुंच गई है। वित्तीय समावेशन की इस क्रांतिकारी योजना ने सबसे गरीब लोगों को भी बैंक खाते खोलने और संचालित करने में सक्षम बनाया है। इस संदर्भ में श्रम योगी मानधन योजना और लखपति दीदी जैसी कई अन्य योजनाएं भी हैं। मोदी सरकार की ये सभी कवायदें अनुच्छेद 38 और 39 में उल्लिखित निर्देशों के अनुरूप ही आगे आगे बढ़ रही हैं।
मोदी सरकार की ओर से महिलाओं और बच्चों के लिए किए जा रहे प्रयास भी उल्लेखनीय हैं। 2017 में मातृत्व लाभ अधिनियम में संशोधन किया गया ताकि कामकाजी महिलाओं को शिशु के जन्म के समय 26 सप्ताह का अवकाश मिल सके। यह कामकाजी वर्ग में महिलाओं के हितों को पोषित करने वाली एक क्रांतिकारी पहल रही, क्योंकि दुनिया के चुनिंदा देशों में ही ऐसे विस्तारित अवकाश का प्रविधान है। इसी तरह 2017 में शुरू की गई प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना ने अब तक 3.69 करोड़ महिलाओं को कवर किया है।
यह गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए स्वास्थ्य एवं पोषण में सुधार के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने के साथ ही वेतन क्षति की पूर्ति भी करती है। बच्चों के लिए एकीकृत बाल विकास योजना में करोड़ों स्कूली बच्चों को मध्याह्न भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। यह प्रयास अनुच्छेद 39 के अनुरूप ही है, जो कहता है कि पुरुष और स्त्री कामगारों के स्वास्थ्य और शक्ति तथा बच्चों की सुकुमार अवस्था का शोषण नहीं किया जाएगा। इस संदर्भ में अनुच्छेद 42 पर दृष्टि डालना भी समीचीन होगा, जिसके अनुसार राज्य कार्य की न्यायसंगत और मानवोचित दशाओं को सुनिश्चित करने के लिए प्रसूति सहायता के लिए उपबंध करेगा।
स्वास्थ्य क्षेत्र में भी कई परिवर्तनकारी पहल हुई हैं। इस संदर्भ में वंचित वर्ग से जुड़े परिवारों के लिए 2018 में आरंभ हुई आयुष्मान योजना किसी संजीवनी से कम नहीं, जो प्रत्येक परिवार को सालाना पांच लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा कवरेज प्रदान करती है। इससे पहले 2015 में शुरू की गई पीएम सुरक्षा बीमा योजना दुर्घटना बीमा कवरेज प्रदान करती है। इसके 51 करोड़ से भी अधिक कार्ड धारक हैं। यह अनुच्छेद 47 में उल्लिखित निर्देश के अनुरूप है, जो कहता है कि राज्य का प्राथमिक कर्तव्य सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार सुनिश्चित करना है।
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा सामाजिक न्याय के मोर्चे पर इन उपलब्धियों के उल्लेख का यह उचित समय ही कहा जा सकता है, क्योंकि 17 सितंबर को उनकी 75वीं जन्मतिथि है। इस अवसर पर उन्हें शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए हमें यह आशा करनी चाहिए कि उनके कार्यकाल के दौरान इन सभी योजनाओं का पूरा होना सुनिश्चित हो ताकि संविधान निर्माताओं द्वारा परिकल्पित सभी नागरिकों के लिए न्याय, समानता और जीवन में सुगमता की स्थिति प्राप्त हो सके।
(लेखक लोकतांत्रिक एवं संवैधानिक मामलों के जानकार हैं)
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