जयंतीलाल भंडारी। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने अपनी नई रिपोर्ट में कहा है कि चालू वित्त वर्ष 2025-26 में वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं और व्यापार तनाव के चलते वैश्विक वृद्धि दर धीमी रही, फिर भी मजबूत घरेलू खपत के दम पर भारत 6.6 प्रतिशत विकास दर प्राप्त करते हुए दुनिया की उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक विकास दर की संभावनाएं रखता है। भारत की विकास दर चीन से भी अधिक अनुमानित है। इसी तरह एसबीआइ कैपिटल मार्केट्स की नई रिपोर्ट में कहा गया कि इस समय वैश्विक व्यापार की चुनौतियों और ट्रंप के 50 प्रतिशत टैरिफ के चलते भारत की अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हो रही है।

ऐसे में चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही यानी अक्टूबर से मार्च के बीच तेज घरेलू खपत और सरकार का पूंजीगत व्यय भारत की अर्थव्यवस्था के लिए मजबूत सहारा बनता हुआ दिख रहा है। यह भी उल्लेखनीय है कि दीवाली पर बिक्री रिकार्ड ऊंचाई पर रही है। ई-कामर्स ने दमदार उछाल दर्ज की। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में कमी के कारण जीएसटी बचत उत्सव का परिदृश्य दिखाई दिया। महंगाई में कमी और जीएसटी की दरें घटना देश के बाजारों की तेज बढ़त के लिए एक बड़ा आधार हैं।

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार सितंबर 2025 के दौरान खुदरा महंगाई घटकर 1.54 प्रतिशत रह गई। इससे पिछले महीने यह 2.07 प्रतिशत थी। यही खुदरा महंगाई दर सितंबर 2024 में 5.49 प्रतिशत थी। सितंबर 2025 में खुदरा महंगाई दर आठ साल में सबसे कम रही और यह आरबीआइ के अनुमानित लक्ष्य के भी निचले स्तर पर पहुंच गई है। इसके साथ-साथ सितंबर में थोक महंगाई दर भी तेजी से घटकर 0.13 प्रतिशत के स्तर पर आ गई।

महंगाई दर घटने के साथ 22 सितंबर से जीएसटी सुधारों के लागू होने से इस बार दीवाली के त्योहारी बाजार में खरीदारी को पंख लगे। जीएसटी दरों के साथ-साथ आयकर में कटौती से लोगों को लगभग 2.5 लाख करोड़ रुपये की बचत प्राप्त हुई है। यह भी महत्वपूर्ण है कि अक्टूबर 2025 में भारत का फाइनेंशियल वेलबीइंग इंडेक्स (एफडब्ल्यूबीआइ) 110.3 तक पहुंच गया है, जो वैश्विक औसत 103.6 से ज्यादा है। इसके साथ ही उपभोक्ता विश्वास भी पिछले साल से आठ अंक बढ़ा है, जो 2022 के बाद का सर्वोच्च स्तर है।

यह भी उल्लेखनीय है कि फेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स के मुताबिक जहां वर्ष 2023 में दीवाली के त्योहारी बाजार में 3.75 लाख करोड़ रुपये और वर्ष 2024 में 4.25 लाख करोड़ रुपये की खरीदारी हुई थी, वहीं इस बार त्योहारी सीजन के तहत खरीदारी पांच लाख करोड़ रुपये के अभूतपूर्व स्तर पर पहुंच गई।

देश में लोगों की क्रय शक्ति बढ़ने और अमेरिका में डालर की वैल्यू घटने से इस साल त्योहारी सीजन में चांदी और सोने के भाव भी रिकार्ड स्तर पर रहे और शेयर बाजार का ग्राफ भी बढ़ा। विदेशी मुद्रा भंडार भी 700 अरब डालर के स्तर पर है। इस सबके परिणामस्वरूप इस समय औद्योगिक उत्पादन बढ़ रहा है और मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर से लेकर सर्विस सेक्टर तक मांग का बढ़ता हुआ नया अध्याय दिखाई दे रहा है। मांग और उत्पादन बढ़ने से रोजगार के अवसरों में भी वृद्धि हो रही है।

देश की अर्थव्यवस्था के लिए घरेलू खपत के साथ-साथ कुछ और आर्थिक अनुकूलताएं भी उभरती दिख रही हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा 50 प्रतिशत टैरिफ लगाए जाने के बाद भारत ने रूस और चीन के साथ आर्थिक-वैश्विक कूटनीति और नए निर्यात बाजारों में आगे बढ़ने की जो रणनीति अपनाई, वह कारगर होती दिखाई दे रही है। इस नीति से ट्रंप टैरिफ के बीच पिछले अगस्त और सितंबर माह में अमेरिका को छोड़कर अन्य देशों में भारत के निर्यात बढ़े हैं।

हाल में रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने भारत को ट्रंप के ऊंचे टैरिफ से हो रहे नुकसान की पूर्ति के लिए भारत के साथ रूस के व्यापार असंतुलन को कम करने के लिए अपने कैबिनेट मंत्रियों को निर्देश दिए हैं। इस सबके साथ विभिन्न देशों के साथ तेजी से आकार लेते हुए दिखाई दे रहे भारत के मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) निर्यात के मद्देनजर मील का पत्थर साबित हो रहे हैं।

इस समय भारत मजबूत घरेलू खपत और नई वैश्विक आर्थिक अनुकूलताओं की उम्मीदों के साथ आगे बढ़ रहा है, लेकिन वर्ष 2047 तक विकसित देश बनने के लिए उसे कई अहम बातों पर ध्यान देना होगा। जीएसटी के बाद अब देश को अगली पीढ़ी के सुधारों की दिशा में आगे बढ़ने की जरूरत है। इन सुधारों के तहत जीवन सहजता, कारोबार सुगमता, बुनियादी ढांचा सुधार, प्रशासन को सशक्त बनाने और अर्थव्यवस्था को मजबूती देने संबंधी सुधार शामिल हैं।

देश को अब श्रम, बीमा, परिवहन, दूरसंचार, बिजली, परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष, रक्षा, पेट्रोलियम, कोयला और अन्य खनिज सुधारों की डगर पर आगे बढ़ना होगा। उम्मीद है कि प्रधानमंत्री मोदी के वोकल फार लोकल के मंत्र से प्रेरणा लेते हुए पूरे देश में और अधिक लोग स्वदेशी और स्थानीय उत्पादों के उपयोग को जीवन का मूलमंत्र बनाएंगे। इससे देश मजबूत घरेलू खपत के साथ आत्मनिर्भरता की डगर पर तेजी से आगे बढ़ता हुआ दिखाई देगा। आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच लगातार आगे बढ़ रहे भारत में घरेलू खपत तथा प्रति व्यक्ति आय में और तेजी से वृद्धि होगी और इससे अर्थव्यवस्था के साथ आम आदमी की मुस्कुराहट भी बढ़ती हुई दिखाई देगी।

(लेखक अर्थशास्त्री हैं)