विचार: सशक्त भारत के शिल्पकार मोदी- अमित शाह
मोदी जी ने भारत को आर्थिक और राजनीतिक रूप से ही नहीं अपितु मानसिक-सांस्कृतिक रूप से भी सशक्त बनाया है। उन्होंने हर भारतीय में विश्वास जगाया है कि हम विश्व में किसी से कम नहीं हैं। पिछले 11 वर्षों में उनके नेतृत्व में देश ने आत्मसम्मान आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास की नई ऊंचाइयां छुई हैं जो मेरी नजर में ऐतिहासिक भी है और अद्वितीय भी।
अमित शाह। 17 सितंबर का दिन कई कारणों से महत्वपूर्ण है। इस दिन सभी शिल्पकार एवं कामगार विश्वकर्मा जयंती मनाते हैं। इसी दिन हैदराबाद को क्रूर निजाम एवं रजाकारों से मुक्ति मिली थी और आज के ही दिन एक ऐसे जनसेवक का भी जन्म हुआ, जिन्होंने अपना पूरा जीवन देश और देशवासियों को समर्पित कर दिया-हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी।
मोदी जी का यह जन्मदिन विशेष है, क्योंकि यह उनका 75वां जन्मदिन है। मैं 140 करोड़ देशवासियों की ओर से उन्हें मनपूर्वक जन्मदिन की बधाई देता हूं और ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि भारत के मजबूत भविष्य के निमित्त वे उन्हें लंबी आयु, ऊर्जा और स्वास्थ्य प्रदान करें।
प्रधानमंत्री मोदी के साथ दशकों से कार्य करते हुए मैंने यह अनुभव किया है कि उनका व्यक्तित्व राजनेता से बढ़कर राष्ट्रहित को समर्पित एक ध्येयनिष्ठ नेतृत्वकर्ता का है। उनके नेतृत्व की विशेषता है कि वे अपने शासन में समाज के सभी वर्गों की भागीदारी सुनिश्चित करने की दृष्टि रखते हैं। यही कारण है कि उनकी सरकार में गरीब-कल्याण को केंद्र में रखकर अनेक योजनाएं न केवल शुरू हुईं, अपितु सफलतापूर्वक अपने लक्ष्यों को प्राप्त भी कर रही हैं।
हम देख सकते हैं कि जनधन योजना ने 50 करोड़ से अधिक लोगों को बैंकिंग व्यवस्था से जोड़ते हुए वित्तीय समावेशन की नई इबारत लिखी, उज्ज्वला योजना ने घर-घर तक धुएं से मुक्ति और सम्मानजनक जीवन का संदेश पहुंचाया, आयुष्मान भारत ने गरीबों को स्वास्थ्य की सुरक्षा दी, तो वहीं प्रधानमंत्री आवास योजना ने गरीब वर्ग को अपने घर का सपना पूरा करने का अवसर दिया। जब भी मैं ऐसी योजनाओं के किसी लाभार्थी की आंखों में संतोष और भरोसा देखता हूं, तो समझ में आता है कि मोदी जी का शासन किस प्रकार जनकल्याण के उद्देश्य को धरातल पर साकार कर रहा है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रूप में उन्होंने देश के अनेक हिस्सों में समाज के हर वर्ग के साथ संवाद किया। यह वह दौर था, जिसमें उन्होंने देश के आत्मा को नजदीकी से न सिर्फ देखा, बल्कि वे उसकी आंतरिक शक्ति से परिचित हुए। संघ प्रचारक के रूप में ही मोदी जी ने संगठन कला के गुण सीखे और बाद में भाजपा के संगठन शिल्पी के रूप में उन्होंने संगठन कार्य को युगानुकूल बनाने के लिए अनेक सफल नवाचार और प्रयोग किए। मैं स्वयं को सौभाग्यशाली मानता हूं कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रूप में मुझे उनके मार्गदर्शन एवं उनके संगठनात्मक अनुभव को राष्ट्रीय स्तर पर अमल में लाने का अवसर मिला।
कठिन परिस्थितियों में निर्णय लेने की क्षमता से ही मजबूत नेतृत्व की पहचान होती है। इस मामले में मोदी जी की नेतृत्व क्षमता अलग ही लोहे से बनी है। वे हर परिस्थिति में असाधारण धैर्य और स्पष्ट दृष्टि रखते हैं। 2014 के बाद ऐसे अनेक अवसर आए, जब देश को बड़े और कड़े निर्णयों की आवश्यकता थी। ऐसे अवसरों पर मोदी जी ने नेतृत्व के सूत्रों को पूरी दृढ़ता और कुशलता से थामे रखा और राष्ट्रहित के अनुरूप निर्णय लिए।
नोटबंदी और जीएसटी जैसे कदमों ने आर्थिक सुधारों को गति देते हुए हमारी अर्थव्यवस्था में नया अध्याय जोड़ा। अनुच्छेद-370 का ऐतिहासिक उन्मूलन तो सदियों तक याद रखी जाने वाली घटना है। यह निर्णय केवल राजनीतिक साहस को ही नहीं, अपितु राष्ट्रीय एकता और अखंडता के प्रति मोदी जी की अटूट आस्था को भी दर्शाता है।
तीन तलाक जैसी सामाजिक कुरीति पर रोक लगाने का निर्णय महिलाओं के सम्मान और अधिकारों की रक्षा का साहसिक कदम था। ये निर्णय आसान नहीं थे। इनमें से कई निर्णयों का विरोध भी हुआ, लेकिन प्रधानमंत्री कभी विचलित नहीं हुए। उनके भीतर यह दृढ़ विश्वास था कि यदि राष्ट्रहित में कोई कार्य आवश्यक है, तो उसे विरोध और आलोचना की परवाह किए बिना हर परिस्थिति में पूरा किया जाना चाहिए।
जब कोविड महामारी ने पूरी दुनिया को झकझोर दिया था। तब ऐसे कठिन समय में भी मोदी जी ने न केवल जनता को आश्वस्त किया, अपितु देश के उद्योगों, विज्ञानियों और युवाओं को आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर किया। विश्व यह सोच रहा था कि इस महामारी में भारत का क्या हाल होगा, लेकिन यह हमारे नेतृत्व की कुशलता का ही कमाल था कि देश में न केवल रिकार्ड समय में वैक्सीन का निर्माण हुआ, अपितु तकनीक से संचालित निःशुल्क टीकाकरण अभियान के माध्यम से हमने दुनिया के सामने कोविड प्रबंधन का अनुकरणीय माडल प्रस्तुत किया।
मोदी जी के नेतृत्व में भारत ने बार-बार यह सिद्ध किया है कि राष्ट्रीय सुरक्षा और आत्मसम्मान से कोई समझौता संभव नहीं। उड़ी हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक ने दुनिया को दिखा दिया कि भारत अब आतंकवाद का मूकदर्शक नहीं रहेगा। पुलवामा की घटना के पश्चात हुई बालाकोट एयर-स्ट्राइक ने इस संकल्प को और भी सुदृढ़ किया।
पहलगाम में आतंकी हमले के जवाब में ‘आपरेशन सिंदूर’ ने इस नीति को निर्णायक रूप से स्थापित किया कि जब-जब देश की अस्मिता और नागरिकों की सुरक्षा पर चोट पहुंचेगी, भारत पूरे साहस एवं दृढ़ता से उसका प्रत्युत्तर देगा। इन कार्रवाइयों ने विश्व को भी यह संदेश दिया कि नया भारत अपने हितों की रक्षा के लिए हर परिस्थिति का सामना करने को तैयार है। विदेश नीति में भी मोदी जी की कार्यशैली अद्वितीय है। चाहे पेरिस जलवायु समझौता हो, जी-20 सम्मेलन हो या संयुक्त राष्ट्र में दिया गया संबोधन-हर जगह उनका आत्मविश्वास भारत की बढ़ती शक्ति और गौरव का प्रतीक रहा है।
मोदी जी को जितना मैंने जाना है, उस आधार पर यही कहूंगा कि उनका व्यक्तित्व नीतियों-कार्यक्रमों तक सीमित नहीं है। उनके भीतर एक विशेष करिश्मा है, जिससे वे सीधे जनता से जुड़ जाते हैं। उनकी वाणी में सहजता-सरलता का वह कौशल है, जो उन्हें सीधे जनता के मन तक पहुंचा देता है। वे जब रेडियो पर ‘मन की बात’ करते हैं, तो करोड़ों लोग महसूस करते हैं कि प्रधानमंत्री सीधे उनसे संवाद कर रहे हैं। किसान, छात्र या गृहिणी, हर कोई उनसे आत्मीयता का अनुभव करने लगता है।
मोदी जी ने भारत को आर्थिक और राजनीतिक रूप से ही नहीं, अपितु मानसिक-सांस्कृतिक रूप से भी सशक्त बनाया है। उन्होंने हर भारतीय में विश्वास जगाया है कि हम विश्व में किसी से कम नहीं हैं। पिछले 11 वर्षों में उनके नेतृत्व में देश ने आत्मसम्मान, आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास की नई ऊंचाइयां छुई हैं, जो मेरी नजर में ऐतिहासिक भी है और अद्वितीय भी। वस्तुतः सच्चा नेतृत्व वही होता है, जो हर क्षण राष्ट्र को समर्पित हो और जिसकी दृष्टि वर्तमान से कहीं आगे भविष्य तक देखती हो। मोदी जी का यही व्यक्तित्व आज भारत की सबसे बड़ी शक्ति है।
(लेखक केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री हैं)
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