यह अच्छा है कि चुनाव आयोग बिहार के बाद देश भर में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण अर्थात एसआइआर के लिए अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त कर रहा है। चुनाव आयोग की ओर से मिले संकेतों के अनुसार वह अगले माह से मतदाता सूचियों के सत्यापन का देशव्यापी अभियान चला सकता है।

जो भी हो, आवश्यकता इस बात की है कि यह अभियान प्रभावी ढंग से चलाया जाए, भले ही इसमें कुछ विलंब हो। बिहार के अनुभव ने इस आवश्यकता पर और अधिक बल दिया है कि पूरे देश में मतदाता सूचियों का सत्यापन होना चाहिए। सच तो यह है कि यह कार्य एक निश्चित अंतराल के बाद होते ही रहना चाहिए।

यह ठीक नहीं कि बिहार में 2003 के बाद अब जाकर मतदाता सूची के सत्यापन करने की प्रक्रिया शुरू की जा सकी। चुनाव आयोग को देशव्यापी एसआइआर करते समय इसके लिए भी तैयार रहना होगा कि उसे विपक्षी दलों और साथ ही स्वयं को लोकतंत्र का स्वयंभू पैरोकार बताने वाले लोगों के विरोध और दुष्प्रचार का सामना करना पड़ सकता है।

इसका अंदेशा इसलिए है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट की ओर से बिहार में मतदाता सूची के सत्यापन की प्रक्रिया को हरी झंडी दिखाए जाने के बावजूद विपक्षी दल अपने बेजा विरोध से बाज नहीं आ रहे हैं। इसकी भी अनदेखी नहीं की जा सकती कि पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी मतदाता सूची के सत्यापन की संभावित प्रक्रिया के खिलाफ खड़ी हो गई हैं।

इस राज्य में चुनाव आयोग को एसआइआर की प्रक्रिया आगे बढ़ाने में सत्तारूढ़ दल के असहयोग के साथ अन्य चुनौतियों का भी सामना करना पड़ सकता है। एक बड़ी चुनौती उन दस्तावेजों के सत्यापन की हो सकती है, जिनके आधार पर कोई अपना नाम मतदाता सूची में दर्ज करा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग द्वारा तय किए गए दस्तावेजों में आधार को भी शामिल कर लिया है और यह किसी से छिपा नहीं कि बंगाल में सर्वाधिक नकली अथवा फर्जी दस्तावेजों के सहारे आधार से लैस लोगों की संख्या सबसे अधिक होने की आशंका है।

यह कोई हैरानी की बात नहीं कि बांग्लादेश से अवैध तरीके से आए लोगों ने मतदाता पहचान पत्र के साथ आधार और अन्य अनेक वे दस्तावेज हासिल कर लिए हैं, जिनसे सरकारी योजनाओं का लाभ उठाया जा सकता है और साथ ही खुद को भारतीय नागरिक बताया जा सकता है।

यह कोई अच्छी स्थिति नहीं कि अभारतीय नागरिक फर्जी प्रमाण पत्रों अथवा गलत जानकारी के आधार पर भारतीय नागरिक होने के पहचान पत्र हासिल कर लें और अंतत: मतदाता भी बन जाएं। ऐसे लोग केवल भारतीय लोकतंत्र के साथ छल करने वाले ही नहीं, बल्कि देश की सुरक्षा के लिए खतरा भी हो सकते हैं। कोई भी चुनाव हो, उसमें मतदान करने का अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को ही मिलना चाहिए।