डा. जयंतीलाल भंडारी : हाल में सरकार ने लोकसभा में बताया कि बीते आठ वर्षों में 22.05 करोड़ लोगों ने केंद्र सरकार की विभिन्न नौकरियों के लिए आवेदन किए और इनमें से 7.22 लाख लोगों को नौकरी मिली है। साफ है करोड़ों लोगों को सरकारी नौकरियां मिलना संभव नहीं है, लेकिन नई डिजिटल अर्थव्यवस्था (digital economy) में यह संभव है। विश्व प्रसिद्ध मैकिंजी ग्लोबल इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के मुताबिक 2025 तक डिजिटल अर्थव्यवस्था के तहत करीब 6.5 करोड़ रोजगार भारत की नई पीढ़ी को मिल सकते हैं। इनमें कई ऐसी नौकरियां होंगी, जिनसे हम परिचित नहीं। हालांकि इसके लिए कुछ बातों पर ध्यान देना होगा। सरकार द्वारा चलाई जा रही रोजगार और स्वरोजगार की विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से रोजगार के अधिक मौके बढ़ाने होंगे। करोड़ों युवाओं को नए कौशल प्रशिक्षण के साथ मैन्यूफैक्चरिंग सहित डिजिटल अर्थव्यवस्था के नए रोजगार के लिए तैयार करना होगा। विदेश में अनुकूल रोजगार के मौकों को हाथ में लेना होगा और अस्थायी या ठेके पर काम करने वाले श्रमिकों (गिग वर्कर्स) के काम की दशाएं और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करके इस क्षेत्र में रोजगार बढ़ाना होगा।

यह ध्यान रहे कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने केंद्र सरकार के मंत्रालयों एवं विभागों में डेढ़ साल के भीतर 10 लाख नियुक्ति का निर्देश दिया है। यह महत्वपूर्ण है कि देश में बड़ी संख्या में युवा सरकारी नौकरियों में करियर बनाना अपनी पहली पसंद मानते हैं। ऐसे में केंद्र सरकार द्वारा बड़ी संख्या में नौकरियों की घोषणा ऐसे युवाओं के लिए बड़ा राहतकारी फैसला है, लेकिन केवल इसी से देश में रोजगार की बढ़ी हुई चुनौतियों का सामना नहीं हो सकेगा। इसके लिए कई रणनीतिक कदमों की आवश्यकता है।

कोरोना काल में सरकार ने उद्योग-कारोबार से घटते हुए रोजगार को बचाने के लिए कई कदम उठाए हैं। जैसे कि आत्मनिर्भर भारत योजना शुरू की गई है। इससे स्वरोजगार के साथ रोजगार को बढ़ावा मिला है। उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआइ) योजनाएं शुरू की गई हैं। इन पर पांच वर्षों में 1.97 लाख करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इनमें 60 लाख नए रोजगार सृजित करने की क्षमता है।

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना को स्वरोजगार की सुविधा के लिए लागू किया गया है, जिसके तहत 10 लाख रुपये लोन दिया जाता है। इस ऋण से सूक्ष्म एवं लघु व्यवसाय उद्यमों और व्यक्तियों को उनकी व्यावसायिक गतिविधियों को स्थापित करने या उनका विस्तार करने में सक्षम बनाने का प्रयास किया जा रहा है। इससे जून 2022 तक 53.23 लाख लोगों को लाभ मिला है। इनके अलावा मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्मार्ट सिटी मिशन, प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम, शहरी परिवर्तन के लिए अटल मिशन, मनरेगा, दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्या मिशन, राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन आदि योजनाओं से भी रोजगार के अवसर बढ़े हैं।

यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि देश ही नहीं, पूरी दुनिया में अब निजी क्षेत्र रोजगार के मामले में सरकारी क्षेत्र से बहुत आगे है। सरकारी क्षेत्र की तुलना में स्वरोजगार, उद्यमिता और स्टार्टअप में रोजगार के अवसर कई गुना अधिक हैं। मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में रोजगार के मौके सबसे अधिक हैं। भारत के मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) तेजी से बढ़ रहा है। वित्त वर्ष 2021-22 में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में 1.66 लाख करोड़ रुपये का एफडीआइ प्राप्त हुआ, जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 76 प्रतिशत ज्यादा है।

आइटी, टेलीकाम सहित विभिन्न क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर एफडीआइ के साथ रोजगार के मौके भी बढ़ रहे हैं। वस्तुत: अब देश और दुनिया में परंपरागत रोजगारों के समक्ष चुनौतियां बढ़ गई हैं और डिजिटल रोजगार तेजी से बढ़ते हुए दिखाई दे रहे हैं। महामारी कोविड-19 के बाद कंप्यूटर और इंटरनेट पर आधारित डिजिटल अर्थव्यवस्था ने नए अवसर पैदा किए हैं। ज्यादातर कारोबार गतिविधियां अब आनलाइन हो गई हैं। वर्क फ्राम होम की व्यापक तौर पर स्वीकार्यता से आउटसोर्सिंग को बढ़ावा मिला है।

आटोमेशन, रोबोटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के चलते डिजिटल अर्थव्यवस्था के तहत देश की नई पीढ़ी दुनिया के कोने-कोने से रोजगार के अवसर का लाभ लेते हुए दिखाई दे रही है। इसके साथ-साथ अस्थायी और ठेके पर काम करने वाले कामगारों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। नीति आयोग की इंडियाज बूमिंग गिग एंड प्लेटफार्म रिपोर्ट-2022 के मुताबिक इस समय देश में करीब 77 लाख गिग वर्कर हैं। ज्यादातर गिग वर्कर रिटेल, ट्रेड, सेल्स, ट्रांसपोर्टेशन सेक्टर, निर्माण बीमा और फाइनेंस सेक्टर से जुड़े हैं। रिपोर्ट के अनुसार भारत में साल 2029-30 तक लगभग 2.35 करोड़ कामगार अर्थव्यवस्था से जुड़ जाएंगे। ऐसे में गिग वर्करों और उनके परिजनों की सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करके इस क्षेत्र में रोजगार के अवसरों को आकर्षित किया जा सकता है।

हम उम्मीद करें कि नई डिजिटल अर्थव्यवस्था में रोजगार के अपार अवसरों को ध्यान में रखकर सरकार देश की नई पीढ़ी को एआइ, क्लाउड कंप्यूटिंग, मशीन लर्निंग एवं अन्य नए डिजिटल कौशल के साथ अच्छी अंग्रेजी, कंप्यूटर दक्षता की योग्यताओं से सुसज्जित करने के लिए हरसंभव प्रयास करेगी। ऐसे प्रयासों से जहां देश की नई पीढ़ी के चेहरे पर मुस्कुराहट आ सकेगी, वहीं इससे अर्थव्यवस्था भी तेज गति से आगे बढ़ती हुई दिखाई देगी।

(लेखक एक्रोपोलिस इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट स्टडीज एंड रिसर्च, इंदौर के निदेशक हैं)