बद्री नारायण। देश के लगभग सभी राजभवनों में कुलपतियों एवं शैक्षिक संस्थानों के प्रमुखों की हाल में कार्यशालाएं आयोजित की गईं। इन कार्यशालाओं को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्चुअल माध्यम से संबोधित किया। इसका उद्देश्य 2047 तक विकसित भारत के जिस अभियान पर भारत सरकार कार्यरत है, उसे रचने एवं विकसित करने में युवाओं एवं छात्रों के विचारों और सुझावों के संकलन के लिए एक नए अभियान का सूत्रपात करना है। इसके लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की पहल पर कुलपतियों एवं शिक्षा संस्थानों के प्रमुखों की यह कार्यशाला आयोजित की गई, ताकि संस्थान प्रमुख इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए अपनी कार्ययोजनाएं बना सकें। ये कार्ययोजनाएं शिक्षा संस्थानों के परिसरों में विमर्श सभा, विचार गोष्ठी एवं कार्यशालाओं के आयोजन की दिशा में संयोजित की जाएंगी।

छात्रों एवं युवाओं को इन आयोजनों के माध्यम से इसके लिए प्रेरित किया जाएगा, ताकि वे अपने सुझाव सरकार तक पहुंचा सकें। यह एक प्रकार से विकसित भारत की योजना, विचार एवं अंतर्दृष्टि के निर्माण एवं विकास के क्षेत्र में जनभागीदारी सुनिश्चित करने का एक महाअभियान है। इन सुझावों से देश के छात्र एवं युवा ‘2047 तक विकसित भारत’ के अभियान में योगदान दे पाएंगे। इन सुझावों से भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे विकसित भारत के अभियान को गति एवं शक्ति भी मिलेगी। जनभागीदारी के इस अभियान में भारत की युवा शक्ति को केंद्र में रखा गया है।

करीब 140 करोड़ की आबादी वाला भारत आज सर्वाधिक युवा आबादी वाला देश है। 29 वर्ष की आयु वाले युवाओं की सर्वाधिक आबादी यहां बसती है। केंद्रीय सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट ‘भारत में युवा-2022’ के अनुसार 2011 में भारत में युवा आबादी 33.34 करोड़ थी, जिसके 2036 तक 34.55 करोड़ हो जाने की संभावना है। 2020 तक भारत की आबादी का 50 प्रतिशत उन युवाओं का रहा, जिनकी उम्र 25 वर्ष से कम थी। भारत की 65 प्रतिशत आबादी 35 वर्ष से कम के युवाओं की है। यह जानना रोचक है कि इनमें अधिकांश आबादी उन छात्रों की है, जो देश के विश्वविद्यालयों एवं कालेजों में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इनमें अनेक उच्च शिक्षा के संस्थानों में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। एक आंकड़े के अनुसार इनकी संख्या 4.33 करोड़ है, जो देश में स्थित 1,113 विश्वविद्यालयों एवं विश्वविद्यालय स्तर के संस्थानों, 43,796 कालेजों और 11,296 अन्य उच्च शिक्षा संस्थानों में शिक्षा प्राप्त करने में लगे हुए हैं।

प्रधानमंत्री ने शिक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित कार्यशाला में शिक्षा संस्थान प्रमुखों से आग्रह किया कि वे अपने-अपने संस्थानों में छात्रों के साथ संवाद आयोजित कर आगामी 25 वर्ष में विकसित भारत की रूपरेखा बनाएं। विकसित भारत के प्रमुख लक्ष्यों में भारत को जल्द ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के साथ ही मानवीय विकास के प्रत्येक सूचकांक में देश के प्रदर्शन को सुधारना भी है। वर्ष 2047 तक समाज के हरेक स्तर तक विकास की धारा पहुंचे, इसमें भारत सरकार अपने अनेक मंत्रालयों एवं राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम कर रही है। इसमें विकसित भारत से संबंधित विचार एवं अंतर्दृष्टि संकलन के ये प्रयास गांव-गिरांव एवं समाज के निचले तलों तक पहुंच पाए, इसके लिए सरकार अनेक नई संवाद शृंखलाओं की योजना पर काम कर रही है।

सचमुच विकसित भारत का यह अभियान किसी एक मंत्रालय, किसी एक सरकार के ही प्रयास से पूरा नहीं हो सकता, इसमें समाज के हरेक तल, हर स्तर, हर समुदाय एवं जन-जन का जुड़ाव निर्मित करने की जरूरत है। चूंकि छात्र एवं युवा किसी भी समाज में नए विचारों का प्रतिनिधित्व करते हैं इसलिए यही अपेक्षा की जा रही है कि उनकी ओर से दिए जाने वाले सुझाव भारत को विकसित बनाने की राह में उपयोगी सिद्ध होंगे।

प्रधानमंत्री मोदी लगातार ‘भविष्य के भारत’ की अपनी संकल्पना पर काम कर रहे हैं। उनके मनो-मस्तिष्क में न केवल 25 वर्ष का भारत, अपितु आगामी सदी के भारत की परिकल्पना भी है। इसे वह समय-समय पर अपने व्याख्यानों में विमर्श का मुद्दा बनाते रहते हैं। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर भी लाल किले से दिए अपने संबोधन में उन्होंने भविष्य के भारत की संकल्पना को लेकर अपने विचार साझा किए थे।

भविष्य के भारत के निर्माण में विचार शक्ति एवं ज्ञान शक्ति की बड़ी भूमिका होने जा रही है। इस हेतु उच्च शिक्षा संस्थान, उसमें कार्यरत विद्वत समाज एवं छात्र मिलकर विकसित भारत की रूपरेखा रेखांकित कर अगर सरकार के समक्ष प्रस्तुत करें तो इस मिशन को पूरा करने में बहुत मदद मिलेगी। चूंकि इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान एवं उनके अधिकारियों की एक टीम इस दिशा में लगातार सक्रिय है, इसलिए अपेक्षित परिणाम मिलने की संभावना है।

राष्ट्र निर्माण जैसे मिशन की सफलता में बौद्धिकों एवं ज्ञान-विज्ञान से जुड़े समूहों से प्राप्त विचार अगर आधार का काम कर सकें तो विकसित भारत बनाने का संकल्प सिद्ध करना संभव हो सकेगा। विकसित भारत-युवा आवाज जैसे कार्यक्रमों की शृंखला अगर इसमें कुछ जोड़ पाएगी तो इस मिशन को काफी लाभ होगा। विकसित भारत अभियान विकास के नए विचार का भी अभियान है और यही नए विचार भारत के विकास के प्रयासों को दुनिया के अन्य देशों के विकास के तौर-तरीकों से अलग एवं विशिष्ट स्वरूप दे सकते हैं। भारत की जनसांख्यिकी की शक्ति नए विचारों की शक्ति से जुड़ती है। जरूरत है कि जनता के इन विविध समूहों से नए विचारों को सामने आने का माहौल बनाया जाए।

(लेखक जीबी पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान, प्रयागराज के निदेशक हैं)