अजय सिंह ‘एकल’। पेयजल शुद्धिकरण और इसका वितरण प्रबंधन काम चलाऊ और अनौपचारिक प्रशिक्षण द्वारा किया जा रहा है। आज भी वर्षों पुरानी तकनीक का प्रयोग पानी के शुद्धिकरण और वितरण के लिए की जा रही है। पानी और हवा ऐसे प्राकृतिक संसाधन हैं जिनके बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। आज के युग में शुद्ध हवा और शुद्ध पानी दोनों ही मिलना मुश्किल हो गया है। आज से बीस -पच्चीस साल पहले तक जब बोतल वाला पानी और आरओ इत्यादि उपलब्ध नहीं था तो नलों में सप्लाई होने वाला पानी सभी लोग निश्चिंत होकर पी लेते थे। परंतु अब जो लोग आर्थिक रूप से संपन्न है, उनकी कोशिश रहती है कि बोतलबंद पानी से ही गला तर किया जाए। पिछले बीस-तीस साल में देश ने तकनीकी क्षेत्र में बहुत उन्नति की है। खासतौर पर सॉफ्टवेयर, अंतरिक्ष, ऑटोमोबाइल इत्यादि में भारत ने विश्व में अपना स्थान बनाया है। किंतु कुछ सेक्टर जैसे कृषि, ऊर्जा इत्यादि में हम उस मुकाबले में उन्नति नहीं कर पाए हैं।

पिछड़ गए महत्वपूर्ण क्षेत्र

हवा, पानी जैसे कई अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र तो बिलकुल ही पिछड़ गए हैं। नतीजा, पर्यावरण और शुद्ध पानी की समस्या ने विकराल रूप धारण कर लिया है। भारत सरकार ने अब इसके लिए नए सिरे से युद्धस्तर पर प्रयास शुरू कर दिया है। पानी स्वास्थ्य के लिए तो महत्वपूर्ण है ही, इस क्षेत्र में रोजगार की भी असीम संभावनाएं हैं। उपयुक्त रणनीतिक योजना बनाकर काम करने से अगले पांच साल में दस लाख से ज्यादा रोजगार एवं दस हजार से ज्यादा उद्यम इस क्षेत्र में स्थापित हो सकते हैं। यह प्रयास अर्थव्यवस्था के फाइव ट्रिलियन के लक्ष्य के साथ ही संयुक्त राष्ट्र के एसडीजी गोल 2030 को भी प्राप्त करने में सहायक होगा। 

हर घर में नल’ पहुंचाने की योजना 

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल में लाल किले की प्राचीर से स्वतंत्रता दिवस के भाषण में जल मंत्रालय द्वारा किए जाने वाली एक अति महत्वाकांक्षी योजना 2024 तक ‘हर घर में नल’ पहुंचाने की घोषणा की है और इसके लिए तीन लाख पचास हजार करोड़ का बजट भी दे दिया है। इन लक्ष्यों की तय समय में प्राप्ति हो इसके लिए योजनाबद्ध तरीके से सभी आवश्यक पहलुओं पर काम करना होगा। यह जरूरी है कि जब हर घर में नल पहुंचे तो उसमें निकलने वाला पानी पीने लायक हो। यह बहुत बड़ा काम है जिसको अंजाम देने के लिए कुशल एवं प्रशिक्षित लोगों की बड़ी टीम की जरूरत पूरे देश में होगी। अभी देश में पानी के क्षेत्र में कौशल विकास प्रशिक्षण का बहुत अभाव है।

2014 में हुआ काम शुरू 

2014 में मोदी सरकार के आने के बाद से ही इस दिशा में काम करना शुरू हुआ। राष्ट्रीय कौशल विकास निगम सहित बड़े व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल के साथ प्रधानमंत्री मोदी ने 2015 में फ्रांस, जर्मनी, कनाडा और अमेरिका की यात्रा की। इस यात्रा में पानी के प्रतिष्ठित प्रशिक्षण केंद्र कनाडा के प्रसिद्ध फ्लेमिंग कॉलेज के साथ एक एमओयू हस्ताक्षर हुआ। पानी से संबंधित तकनीक के लिए कनाडा दुनिया का अग्रणी देश है। दुर्भाग्य से पांच साल बीत जाने के बाद भी इसमें कोई प्रगति नहीं हुई।

टास्‍क फोर्स की जरूरत 

अब समय आ गया है कि इस दिशा में योजना बद्ध तरीके से कार्य किया जाये। इसके लिए एक कार्य दल (टास्क फोर्स) बनाकर पानी के क्षेत्र में किए जाने वाले सभी कामों की सूची बनाई जाए। उन कामों को करने के लिए जिस तरह के कौशल विकास की आवश्यकता है उसका निर्धारण किया जाए। काम को ठीक ढंग से अंजाम देने के लिए पूर्व योग्यता का निर्धारण और इंडस्ट्री के साथ मिलकर पाठ्यक्रम बनाना कार्यदल का प्रथम कार्य होगा। इसके बाद कौशल प्रशिक्षण के लिए विशेषज्ञ शिक्षक तैयार करना और हर प्रदेश में आवश्यक प्रयोगशालाओं का निर्माण एवं प्रबंधन करना होगा।

पारदर्शिता के साथ काम

प्रशिक्षकों की सहायता से पूरे देश की नगर पालिकाओं और जल विभाग के अधिकारिओं का प्रशिक्षित करके नियमित रूप से इनका समय-समय पर ऑडिट करके पूरी पारदर्शिता के साथ इस सूचना का वेबसाइट पर डालने की जिम्मेदारी भी कार्यदल की होनी चाहिए। प्रक्रिया से जुड़े सभी स्तर के अधिकारियों की जवाबदेही तय करने पर ही आम आदमी का व्यवस्था में विश्वास बहाल होगा। इससे ही देश की नगर पालिकाओं द्वारा वितरित पानी पीकर लोगों का स्वास्थ्य सुनिश्चित किया जा सकेगा। 

(लेखक जल विशेषज्ञ हैं)

यह भी पढ़ें:- 

84 फीसद ग्रामीण घरों में आज भी नहीं पहुंचता पानी, 70 फीसद से ज्यादा जल संसाधन दूषित

दिल्‍ली समेत कई राज्‍यों में प्रदुषित पानी की समस्‍या लेकिन जानें कैसे इन देशों ने पाया पार

विडंबना! एक तो पानी है नहीं, जो थोड़ी मात्रा में बचा है तो वो भी है प्रदूषित, कैसे चलेगा काम