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    आखिर RBI गवर्नर राजन ने क्यों कहा- मैं वही करता हूं, जो मेरा मन करता है

    By anand rajEdited By:
    Updated: Sun, 19 Jun 2016 11:19 AM (IST)

    अपनी बेबाक अंदाज के लिए जाने जाने वाले रघुराम राजन ने भारतीय अर्थव्यवस्था को 'अंधों में काना राजा' बताया था।

    नई दिल्ली (प्रेट्र)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के गवर्नर रघुराम राजन अपनी बेबाकी के लिए जाने जाते हैं। वे बिना किसी लाग-लपेटे के सीधी बात कहने से नहीं हिचकते हैं। एक बार जेम्स बांड स्टाइल में उन्होंने खुद के बारे में कहा था, 'मेरा नाम राजन है और मुझे जो करना है, मैं वही करता हूं। अपने दूसरे कार्यकाल को लेकर उठ रहे तमाम अटकलों को समाप्त करते हुए शनिवार को उन्होंने साफ कह दिया कि वो अब दूसरा कार्यकाल नहीं चाहते। हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि वह महंगाई पर रोक लगाने और बैंकों के रेकॉर्ड को साफ करने के अपने अधूरे काम को देखने के लिए तैयार हैं।

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    राजन ने हाल ही में भारतीय अर्थव्यवस्था को 'अंधों में काना राजा' बताया था। इस बयान से सरकार से जुड़े लोग खासे नाराज हुए, क्योंकि वे ग्रोथ रेट को देखकर सरकार की वाहवाही करने में लगे हुए थे। असहिष्णुता को लेकर उनके बयान से भी सरकार असहज हुई थी।

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    सरकार से नहीं मिले थे संकेत

    हालांकि सरकार की ओर से किसी भी स्तर पर ऐसे कोई संकेत नहीं दिए गए थे कि वह राजन का कार्यकाल बढ़ाने की इच्छुक अथवा अनिच्छुक है। राजन के दूसरे कार्यकाल को लेकर अटकलें इसलिए बढ़ गई थीं, क्योंकि भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने कई तरह के आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि राजन के कई फैसलों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती दी है। जिसका वो स्वागत करते हैं। हालांकि राजन द्वारा लिखी गयी चिठ्ठी पर विपक्षी दलों और उद्योग जगत ने निराशा जताई। कांग्रेस के कद्दावर नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि भाजपा के नेता पिछले एक साल से राजन को निशाना बनाते रहे हैं।ये दुख की बात है कि भाजपा सरकार भी ये नहीं चाहती है कि उन्हें दूसरा टर्म मिले।

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    चलाया एनपीए सफाई अभियान

    रघुराम राजन ने बैंकों की बैलेंस शीट दुरुस्त करने के लिए असेट क्वॉलिटी रिव्यू के तहत फंसे कर्जो (एनपीए) की सफाई का अभियान चला रखा है। अपने पत्र में उन्होंने लिखा है कि इस वजह से भारतीय बैंकिंग तंत्र की विश्वसनीयता बढ़ी है। यह काम अभी जारी है।

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    बताईं कार्यकाल की उपलब्धियां

    भारतीय अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए बतौर आरबीआइ गवर्नर उनकी दुनिया भर में तारीफ की जाती है। राजन ने अपने सहयोगियों को लिखी चिट्ठी में बताया कि उन्होंने 2013 में पदभार संभाला था, उस वक्त हालात मुश्किल थे। रुपया रोज लुढ़क रहा था। महंगाई की दर काफी ऊंची थी। भारत प्रमुख देशों में 'पांच कमजोर' अर्थव्यवस्थाओं में शुमार हो रहा था। मगर आज हम सबसे तेज रफ्तार अर्थव्यवस्था हैं। देश के पास 360 अरब डॉलर से बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार है। उन्होंने महंगाई के लक्ष्य हासिल करने, नए किस्म के बैंक बनाने और पुराने बैंकों की असेट क्वॉलिटी सुधारने जैसे कदमों का भी जिक्र किया है।

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    मंदी की भविष्यवाणी कर हुए थे चर्चित

    जाने-माने अर्थशास्त्री रघुराम काफी पहले वर्ष 2008 की ग्लोबल आर्थिक मंदी की भविष्यवाणी करके खासतौर पर चर्चा में आए थे। 53 वर्षीय राजन को पिछली संप्रग सरकार ने सितंबर, 2013 में रिजर्व बैंक का 23वां गवर्नर नियुक्त किया था। इससे पहले वह वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार बन चुके थे।

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    शिकागो यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर हैं राजन

    राजन शिकागो यूनिवर्सिटी के बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस में प्रोफेसर हैं। फिलहाल वह यहां से छुट्टी लेकर गवर्नर का पद संभाल रहे हैं। वह 2003 से 2006 के बीच अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के मुख्य अर्थशास्त्री थे। वह इस पद पर पहुंचने वाले सबसे युवा व्यक्ति थे।

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    मध्य प्रदेश में जन्म थे राजन

    भोपाल में जन्मे राजन ने आइआइटी दिल्ली से बीटेक व आइआइएम अहमदाबाद से मास्टर डिग्री और अमेरिका के एमआइटी से पीएचडी हासिल की है। वह कई अंतराष्ट्रीय संस्थाओं के सदस्य हैं। उन्हें विश्व के सर्वश्रेष्ठ केंद्रीय बैंक गवर्नर समेत कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है।

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