आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन का बड़ा बयान- नहीं चाहिए दूसरा कार्यकाल
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि वह दूसरे कार्यकाल की इच्छा नहीं रखते है। उनका कहना है कि वह तय समय पर रिटायर होकर शिक्षा के क्षेत्र में काम करेंगे।
मुंबई (रॉयटर)। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने साफ कर दिया है कि वह रिजर्व बैंक के गवर्नर के तौर पर दूसरे कार्यकाल की इच्छा नहीं रखते हैं। उनके मुताबिक वह अब शिक्षा के क्षेत्र में काम करेंगे। उन्होंने आरबीआई के अपने सहयोगियों को एक पत्र लिखकर कहा है कि वह सितंबर में रिटायर हो रहे हैं और अब वह शिक्षा के क्षेत्र में काम करेंगे। उन्होंने कहा कि वह यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो से छुट्टी लेकर यहां आए थे अब उनका कार्यकाल खत्म हो रहा है।
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आरबीआई गवर्नर ने कहा कि मुद्रास्फीति नियंत्रण, बैंकों बही-खातों की सफाई का काम पूरा नहीं हुआ है, लेकिन उन्होंने सरकार के साथ विचार-विमर्श और परामर्श के बाद कार्यकाल पूरा होने पर जाने का फैसला किया है। इस दौरान उन्होंने अपनी कई उपलब्धियां भी बताईं। उन्होंने कहा कि वह यहां से रिटायर होने के बाद वापस शिक्षा के क्षेत्र में अपनी पुरानी टीम के पास लौट जाएंगे। गौरतलब है कि राजन इससे पहले यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो में पढ़ाते थे।
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राजन ने कहा कि वह देश की सेवा के लिए हमेशा उपलब्ध होंगे, भरोसा है कि मेरे उत्तराधिकारी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को नई ऊंचाइयों तक ले जाएंगे। उनका यह बयान काफी बड़ा माना जा रहा है। वह भी उस समय जब भाजपा के सांसद सुब्रहमण्यम स्वामी सरकार से उन्हें पद से तुरंत हटाने की मांग पर अड़े हुए थे। यहां तक कि स्वामी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर आरबीआई गवर्नर के खिलाफ सीबीआई के अंतर्गत बनाई गई एसआईटी से जांच की मांग भी कर चुके हैं।
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स्वामी ने राजन पर आरोप लगाया कि आरबीआई ने स्माल फाइनेंस बैंक (एसएफबी) को लाइसेंस देने में धांधली की है। स्वामी का कहना था कि सरकारी नीति के तहत जिन संस्थाओं ने बैंक लाइसेंस के लिए आवेदन किया और उनमें से जिन संस्थाओं को लाइसेंस दिए गए उनमें से किसी ने भी तय शर्तों को पूरा नहीं किया है। इसके बावजूद इन्हें लाइसेंस दे दिए गए। स्वामी का कहना था कि इससे यह पता लगता है कि लाइसेंस देने में नियमों की अनदेखी की गई है और इससे इरादों पर शक होता है।
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