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    'क्रोनी कैपिटलिज्म के विरोध की वजह से राजन पर निशाना'

    By Manish NegiEdited By:
    Updated: Mon, 13 Jun 2016 03:30 AM (IST)

    रघुराम राजन के साथी लुइगी जिंगेल्स ने कहा है कि राजन को बैंकिंग प्रणाली की अक्षमता से भिड़ने और क्रोनी कैपिटलिज्म यानी सांठ-गांठ वाले पूंजीवाद को चुनौती देने के कारण निशाना बनाया जा रहा है।

    न्यूयॉर्क, (पीटीआई)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के गवर्नर रघुराम राजन पर हमले के बचाव में उनके साथी भी उतरने लगे हैं। शिकागो यूनिवर्सिटी में सहकर्मी रहे लुइगी जिंगेल्स ने कहा है कि राजन को बैंकिंग प्रणाली की अक्षमता से भिड़ने और क्रोनी कैपिटलिज्म यानी सांठ-गांठ वाले पूंजीवाद को चुनौती देने के कारण निशाना बनाया जा रहा है। रघुराम का तीन साल का कार्यकाल इस साल चार सितंबर को खत्म हो रहा है। इसके बाद उन्हें सेवा विस्तार दिया जाए या नहीं, इसको लेकर भारत में जोरदार बहस छिड़ी हुई है। भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने तो उन्हें पद से हटाने की भी मांग कर डाली है।

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    जिंगेल्स ने इस बहस के बीच एक लेख में कहा है कि सरकारें पहले घिसे-पिटे नौकरशाहों को आरबीआइ गवर्नर नियुक्त करती थी। ये नौकरशाह कोई असर नहीं छोड़ पाते थे। मगर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठा प्राप्त राजन नए भारत का सपना हैं। वह युवा और काबिल हैं। वह अपने कौशल की बदौलत भारत के केंद्रीय बैंक के शीर्ष पद पर पहुंचे हैं, न कि राजनीतिक पहुंच के बल पर। फाइनेंस के प्रोफेसर लुइगी ने राजन के साथ मिलकर एक किताब भी लिखी है।

    राजन अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष यानी आइएमएफ के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री रह चुके हैं। आरबीआइ गवर्नर बनने से पहले वह शिकागो यूनिवर्सिटी के बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस में फाइनेंस के प्रोफेसर थे। फिलहाल वह यहां से छुट्टी लेकर गवर्नर का पद संभाले हुए हैं। हाल ही में स्वामी ने राजन पर हमला बोलते हुए कहा था कि गवर्नर के तौर पर उनका कार्यकाल पूरी तरह विफल रहा है। वह अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए ब्याज दरों में प्रभावी कटौतियां नहीं कर पाए हैं। उन्हें निशाना बनाए जाने की यह एक बड़ी वजह रही है।

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    दूसरे देश में होते तो दूसरा कार्यकाल था पक्का

    जिंगेल्स ने कहा है कि कोई और देश होता तो केंद्रीय बैंकर के रूप में उनके कामकाज को देखते हुए दूसरे कार्यकाल की पक्की गारंटी होती। राजन तीन साल में खुदरा महंगाई की दर को 11 से घटाकर पांच फीसद के करीब ले आए हैं। अपने कार्यकाल में उन्होंने भारत की आर्थिक विकास दर को करीब पांच फीसद से लगभग आठ प्रतिशत तक पहुंचाने वाला माहौल बनाया है।

    अलबत्ता जिंगेल्स ने माना है कि लंबे समय तक सहयोगी रहने के कारण वह राजन का पक्ष ले सकते हैं। मगर राष्ट्रीयता पर सवाल खड़े करने समेत तमाम आरोपों को राजन के विरोधियों की बेहद घटिया हरकत करार दिया। लुइगी ने ऐसा करने वालों को क्रोनी कैपिटलिज्म का कारिंदा बताया है।

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