पानी है अनमोल
यह सार्वभौमिक सत्य है कि जल ही जीवन का आधार है। पानी के बिना जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती। लगातार घटते भूजलस्तर से हर वर्ग चिंतित है, ऐसे में सबसे जरूरी है पानी का मोल पहचानने और उसका संरक्षण करने की। पानी के अभाव में सूखा पड़ सकता है व कई प्रकार की आपदाएं डोलनी पड़ सकती हैं। सवाल यह है कि जल संरक्षण के महायज्ञ में आहुति कौन डाले? और क्या इसके लिए किसी औपचारिक आमंत्रण की आवश्यकता है? लोग पानी की महत्ता समडों, बूंद-बूंद पानी को सहेजें तो यह संभव है। जल संरक्षण की दिशा में वर्षा जल संग्रहण अहम कड़ी साबित हो सकती है। बारिश का पानी क्यों बर्बाद होने दिया जाए? बारिश का पानी सिंचाई, भवन निर्माण एवं अन्य कार्यो में प्रयोग लाया जा सकता है। वर्षा जल संग्रहण जल संकट की दिशा में अहम प्रयास है, जिसके सार्थक नतीजे भी सामने आ रहे हैं। जल के दुरुपयोग को रोकने के लिए भी जागरूक होना होगा। इससे परिवार व परिचितों को प्रोत्साहित किया जा सकता है। वाहन धोने व जानवरों को नहलाने के लिए पेयजल के दुरुपयोग से बचना होगा। जल संरक्षण के लिए आवश्यक है कि पारंपरिक स्त्रोतों की भी सुध ली जाए। जीर्ण-शीर्ण हो चुके पारंपरिक जलस्नोतों के दोबारा निर्माण के साथ व्यर्थ बह रहे पानी को एकत्रित करने के लिए भंडारण टैंकों के निर्माण में और तेजी लाई जानी चाहिए ताकि गर्मियों के मौसम में पानी की किल्लत से न जूझना पड़े। इसके अलावा तालाबों व चैकडैमों के जरिये भी पानी का संरक्षण किया जाना चाहिए। प्रशासन को चाहिए कि लोगों को जल संरक्षण के प्रति जागरूक करने के लिए विशेष अभियान चलाए जाएं। लोगों को पानी का महत्व समझाया जाए ताकि वे इसे व्यर्थ न बहाएं। स्कूलों व विभिन्न संस्थानों में जल संरक्षण के प्रति जागरूकता अभियान शुरू हों। रैलियों व सेमिनारों का आयोजन कर जल संरक्षण का संदेश आम जनता तक दिया जाए। जनता का भी कर्तव्य है कि पानी का संरक्षण करे। जब हर किसी को पानी नसीब होगा, तभी खुशहाल समाज की कल्पना की जा सकती है। सामाजिक परिवेश नदियों का मित्र बने। स्वयंसेवी संगठनों के प्रयास इस दिशा में विशेष उपयोगी हो सकते हैं। बच्चों के पाठ्यक्रम का एक अंग जल संरक्षण क्यों नहीं हो सकता? जरूरत है पानी का मोल समझते हुए उसका अपव्यय रोकने की, उसके संचय की और संरक्षण की.आखिर बिन पानी सब सून होता है।
[स्थानीय संपादकीय, हिमाचल प्रदेश]
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