यह अच्छा है कि सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षित यातायात की आवश्यकता पर ध्यान दिया और राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेश की सरकारों को निर्देश दिया कि वे सड़क सुरक्षा के नियम तय करें और ऐसा करते समय पैदल यात्रियों एवं गैर मोटर चालित वाहनों की आवाजाही को स्पष्ट तौर पर रेखांकित करें।

हालांकि अभी ऐसे नियम हैं तो, लेकिन पैदल यात्रियों और गैर मशीनी वाहनों की सुरक्षा और सुविधा प्राथमिकता से बाहर हैं। सरकारों को सबकी सुरक्षा और सुविधा को प्राथमिकता इसलिए देनी होगी, क्योंकि असुरक्षित यातायात के चलते हर वर्ष जो लाखों लोग जान गंवाते और गंभीर रूप से घायल होते हैं, उनमें एक बड़ी संख्या पैदल यात्रियों और गैर मोटर चालित वाहन चालकों या उनमें बैठे लोगों की होती है।

वैसे मोटर चालित वाहनों की सुरक्षा की भी स्थिति बहुत अच्छी नहीं। भारत में सड़क दुर्घटना में मरने और घायल होने वालों की संख्या विश्व में सबसे अधिक है। यह इसलिए कहीं अधिक चिंताजनक है, क्योंकि देश में विश्व के कई देशों की तुलना में कहीं कम वाहन हैं। यदि इसके बाद भी सड़क दुर्घटनाओं में मरने वाले लोगों की संख्या के मामले में देश शीर्ष पर है तो इसका कारण है सरकारों, यातायात पुलिस और आम लोगों की ओर से सुरक्षित यातायात को महत्व न दिया जाना।

इससे संतुष्ट नहीं हुआ जा सकता कि राज्य सरकारें और उनका स्थानीय प्रशासन सुरक्षित यातायात को लेकर आयोजन करता रहता है। कभी हेलमेट, सीट बेल्ट पहनने, सावधानी से सड़क पार करने के लिए लोगों को जागरूक किया जाता है और कभी यातायात का उल्लंघन करने वालों के साथ सख्ती की जाती है, लेकिन सब जानते हैं कि ऐसी पहल कुछ ही दिन अपना प्रभाव दिखाती है।

जैसे ही यातायात पुलिस की सख्ती थमती है, यातायात अव्यवस्थित एवं अराजक हो जाता है। इस अराजकता का सबसे अधिक शिकार बनते हैं साइकिल, रिक्शा चालक और पैदल यात्री। इसका कारण यह है कि अनेक स्थानों पर तो साइकिल चालकों और पैदल यात्रियों के लिए सड़क पर चलने की गुंजाइश ही नहीं होती। अपने देश में सामान्य सड़कों की बात कौन करे, राजमार्गों पर भी हर तरह के वाहन चलते दिखते हैं। इस कारण भी सड़क दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ती है।

सड़क दुर्घटनाओं का कारण केवल यातायात नियमों की अनदेखी ही नहीं, सड़कों के रखरखाव में कमी भी है। रही-सही कसर यातायात नियमों का पालन न करने की प्रवृत्ति और यातायात संकेतकों के अभाव या फिर उनके सही तरह से काम न करने से पूरी हो जाती है।

यह ध्यान रखा जाए कि यातायात तब सुरक्षित होगा, जब यातायात नियमों का हर कोई पालन करेगा। सुरक्षित यातायात को लेकर किसी खास दिन, सप्ताह या पखवाड़े में ही नहीं, हर दिन सतर्क रहा जाना चाहिए।