इससे शर्मनाक और कुछ नहीं हो सकता कि आतंक पैदा करने वाली अराजकता के चलते लोग अपने ही देश में अन्यत्र शरण लेने के लिए बाध्य हों। दुर्भाग्य से बंगाल में ऐसा ही हो रहा है।

मुर्शिदाबाद में जिस तरह हिंदुओं को चुन-चुनकर निशाना बनाया गया और उनके घरों के साथ मंदिरों पर हमले किए गए, उससे यही स्पष्ट हो रहा है कि नए वक्फ कानून का विरोध करने वाले न केवल सांप्रदायिक घृणा में डूबे हैं, बल्कि उन्हें यह भरोसा भी है कि ममता बनर्जी की सरकार और उनकी पुलिस उनके खिलाफ कुछ नहीं करने वाली।

वक्फ कानून का विरोध करने सड़क पर उतरे तत्वों के दुस्साहस का पता इससे चलता है कि वे सीमा सुरक्षा बल के जवानों को भी निशाना बनाने से नहीं हिचक रहे हैं। उनके इसी दुस्साहस के चलते मुर्शिदाबाद के हिंदुओं ने खुद को असहाय पाया और वे पड़ोसी जिलों और यहां तक कि झारखंड में भी पलायन के लिए विवश हुए।

यह भयावह स्थिति यही बताती है कि बंगाल में कानून के शासन ने सुनियोजित हिंसा के दुष्चक्र के समक्ष एक बार फिर समर्पण कर दिया। बंगाल में इसके पहले भी ऐसा हो चुका है।

मई 2021 में विधानसभा चुनावों के बाद वहां तृणमूल समर्थक तत्वों ने अपने राजनीतिक विरोधियों को इतना आतंकित किया था कि वे जान बचाने के लिए असम में शरण लेने को मजबूर हुए थे। तब भी वहां पुलिस मूकदर्शक बनी हुई थी।

यह बंगाल पुलिस के नाकारापन का ही दुष्परिणाम है कि मुर्शिदाबाद के साथ ही अन्य शहरों में भी वक्फ कानून के विरोध की आड़ में हिंसा हो रही है। खतरनाक यह है कि इस दौरान हिंदुओं को जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है।

इससे संतुष्ट नहीं हुआ जा सकता कि कलकत्ता उच्च न्यायालय ने वक्फ कानून विरोधियों की अराजकता से उपजे हालात का संज्ञान लिया और उसने हिंसा ग्रस्त इलाकों में केंद्रीय सुरक्षा बल तैनात करने का आदेश दिया, क्योंकि राज्य सरकार और उसके नेता यह झूठ देश के गले में उतारने में लगे हुए हैं कि बंगाल में स्थितियां नियंत्रण में हैं।

हद तो यह है कि तृणमूल कांग्रेस के कुछ नेता हिंसा के लिए बीएसएफ को दोष देने में लगे हुए हैं। आखिर ऐसे में इसकी आशा कैसे की जाए कि उपद्रवी तत्वों पर लगाम लगेगी और उनकी हिंसा से पीड़ित लोगों को न्याय मिलेगा? आश्चर्य नहीं कि पलायन करने के लिए मजबूर लोग फिर कभी अपने घरों को न लौट पाएं।

आवश्यक केवल यह नहीं है कि केंद्र सरकार अराजकता में डूबे बंगाल में हस्तक्षेप करने के लिए आगे आए, बल्कि यह भी है कि सुप्रीम कोर्ट वहां के हालात का स्वतः संज्ञान ले। उसे वक्फ कानून विरोधी हिंसक तत्वों के उपद्रव के लिए ममता सरकार को जवाबदेह बनाना ही होगा।