दृष्टिकोण: एआई में कुशलता की जरूरी राह, सबसे बड़ी आर्थिकी बनाने में अहम भूमिका
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पेरिस में गत दिनों आयोजित एआइ एक्शन शिखर सम्मेलन 2025 की सह-अध्यक्षता करते हुए कहा था कि यद्यपि दुनिया में यह आशंका है कि एआइ की वजह से नौकरियां खत्म होंगी लेकिन इतिहास गवाह है कि प्रौद्योगिकी के कारण नौकरियां खत्म नहीं होतीं बल्कि उनकी प्रकृति बदल जाती है और नई तरह की नौकरियां सृजित होती हैं।
डॉ . जयंतीलाल भंडारी। इन दिनों विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि भारत के तेज आर्थिक विकास में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) की भूमिका प्रभावी होने वाली है। इसके साथ-साथ भारतीय एआइ पेशेवरों की जरूरत भी देश और दुनिया में तेजी से बढ़ रही है। हाल में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक तरह से इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के मुताबिक एआइ को अपनाने वाले उद्योग भारत को 2028 तक विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने में अहम भूमिका निभाएंगे।
इसी तरह केंद्रीय इलेक्ट्रानिक्स एवं आइटी मंत्रालय की ‘भारत की एआइ क्रांति, विकसित भारत के लिए एक रोडमैप’ नामक रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2047 तक भारत को 23-25 ट्रिलियन (लाख करोड़) डालर की अर्थव्यवस्था बनाने में देश के एआइ पेशेवरों की अहम भूमिका होगी। सरकार का अनुमान है कि इसके लिए देश को अगले साल तक करीब 10 लाख एआइ पेशेवरों की जरूरत होगी। इसके अलावा गूगल की ‘एआइ अवसर एजेंडा’ नामक रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘इस समय तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था, तकनीकी प्रतिभा और जीवंत स्टार्टअप इकोसिस्टम के चलते भारत एआइ से लाभान्वित होने की बेहतर स्थिति में है।
भारत में एआइ प्रौद्योगिकी को अपनाए जाने से उत्पादकता में धीरे-धीरे वृद्धि हो रही है। उद्योग, कृषि, स्वास्थ्य, सेवा एवं अन्य क्षेत्रों में एआइ के अधिक उपयोग से भारत को 2030 तक 33.8 लाख करोड़ रुपये का आर्थिक लाभ हो सकता है। ऐसे में एआइ के प्रति एक व्यापक और जिम्मेदार दृष्टिकोण भारत में आर्थिक और सामाजिक प्रगति को संभव बना सकता है।’ वहीं ओपन एआइ के सीईओ सैम आल्टमैन के मुताबिक एआइ के लिए दुनिया में भारत दूसरा सबसे बड़ा बाजार है। गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई के मुताबिक भारत एआइ के क्षेत्र में दुनिया का नेतृत्व कर सकता है। माइक्रोसाफ्ट के सीईओ सत्या नडेला के मुताबिक भारत की गणित में दक्ष नई पीढ़ी के लिए एआइ के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं।
इसमें कोई दो मत नहीं है कि भारत की नई पीढ़ी एआइ के क्षेत्र में लगातार अपना योगदान बढ़ा रही है। यह बात भी महत्वपूर्ण है कि एआइ में कुशल कार्यबल के सरल और किफायती रूप से उपलब्ध होने के कारण भारत में बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों का आगमन तेजी से बढ़ा है। इसके कारण देश का सेवा निर्यात तेजी से बढ़ रहा है। इससे भारत विदेशी मुद्रा की बड़ी कमाई करने वाली आर्थिक शक्ति के रूप में भी उभर रहा है।
पिछले दिनों प्रकाशित विश्व आर्थिक मंच की रिपोर्ट “भविष्य की नौकरियों” में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर वर्ष 2030 तक एआइ के क्षेत्र में 17 करोड़ नौकरियां सृजित होंगी, जबकि 9.2 करोड़ परंपरागत नौकरियां समाप्त होने का अनुमान है।
तकनीकी उन्नति, जनसांख्यिकीय बदलाव, भू-आर्थिक तनाव और आर्थिक दबाव के कारण एआइ के क्षेत्र में नौकरियों को रफ्तार मिलेगी और इससे दुनिया भर में उद्योगों और व्यवसायों को नया रूप मिलेगा। रिपोर्ट कहती है कि जिन नौकरियों की मांग तेज होगी, उनमें एआइ डाटा विशेषज्ञ, मशीन लर्निंग विशेषज्ञ और साइबर सुरक्षा प्रबंधन विशेषज्ञ प्रमुख रूप से शामिल हैं।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पेरिस में गत दिनों आयोजित एआइ एक्शन शिखर सम्मेलन, 2025 की सह-अध्यक्षता करते हुए कहा था कि यद्यपि दुनिया में यह आशंका है कि एआइ की वजह से नौकरियां खत्म होंगी, लेकिन इतिहास गवाह है कि प्रौद्योगिकी के कारण नौकरियां खत्म नहीं होतीं, बल्कि उनकी प्रकृति बदल जाती है और नई तरह की नौकरियां सृजित होती हैं।
इसलिए हमें एआइ संचालित भविष्य के लिए अपने लोगों को कुशल बनाते हुए नए काम के तरीकों के लिए उन्हें तैयार करने में निवेश करने की जरूरत है। यह अच्छी बात है कि देश एआइ मिशन के तहत एआइ स्किल्ड मैनपावर खड़ा करने के लिए कदम बढ़ा रहा है। इसके लिए इस साल के आम बजट में युवाओं को एआइ में कुशल बनाने की दिशा में सरकार ने कुछ कदम उठाए हैं।
इसके बावजूद यह भी सच है कि अब तक भारत में उत्पादकता उतनी तेजी से नहीं बढ़ी है जितनी तेजी से विकास करने की महत्वाकांक्षा है। इसको गति देने के लिए उन क्षेत्रों की पहचान की जानी चाहिए जहां सरकार और निजी क्षेत्र साथ मिलकर एआइ का उपयोग कर सकें।
यद्यपि देश में भारतजेन, देविका, सूत्र, ऐरावत, सर्वम-1, चित्रलेखा, एवरेस्ट-1 जैसे कई एआइ माडल्स काम कर रहे हैं, पर अब भारत को शीघ्रतापूर्वक खुद का जेनरेटिव एआइ माडल विकसित करना चाहिए। इसके अलावा कंप्यूटर विज्ञान, एआइ, मशीन लर्निंग, साइबर सुरक्षा, डाटा विज्ञान, क्लाउड कंप्यूटिंग और ब्लाकचेन जैसे संबंधित क्षेत्रों के लिए बड़ी संख्या में दक्ष इंजीनियर तैयार करने होंगे, ताकि एआइ संचालित नए दौर के नौकरी बाजार की मांगों को पूरा किया जा सके। इसके लिए उच्च शिक्षा खासकर इंजीनियरिंग शिक्षा में बड़ा बदलाव किया जाना चाहिए।
उम्मीद है कि सरकार दुनिया की सर्वाधिक युवा आबादी वाले भारत में नई पीढ़ी को एआइ कौशल से सुसज्जित करने की डगर पर तेजी से आगे बढ़ेगी, क्योंकि एआइ की शक्ति से सुसज्जित पीढ़ी के बल पर ही हम दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था और विकसित राष्ट्र बनाने का सपना साकार कर सकेंगे।
(लेखक अर्थशास्त्री हैं)
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