डा. सुरजीत सिंह: अक्षय ऊर्जा के कुशल उपयोग को बढ़ाने के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट में हरित ईंधन, हरित ऊर्जा, हरित खेती, हरित गतिशीलता, हरित भवन और हरित उपस्कर से संबंधित अनेक कार्यक्रमों की घोषणा की है। बजट की सात प्रमुख प्राथमिकताओं में अक्षय ऊर्जा को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है, जो पर्यावरण के प्रति सरकार की संवेदनशीलता को दिखाता है। हम जानते हैं कि जनसंख्या बढ़ने के साथ-साथ ऊर्जा की मांग भी बढ़ती जा रही है। एक अनुमान के अनुसार 2040 तक देश की बिजली खपत 1,280 टेरावाट प्रति घंटा हो जाएगी। दूसरी ओर पर्यावरण प्रदूषण और पारिस्थितिकी विनाश की गंभीर होती स्थिति एक चुनौती के रूप में हमारे सामने है। सीमित जीवाश्म-ईंधन आधारित ऊर्जा स्रोत हमारी भविष्य की इस मांग को पूरा करने में सक्षम नहीं हैं, इसलिए अक्षय ऊर्जा को भविष्य के विकास के आधार के रूप में सरकार निरंतर प्रोत्साहन दे रही है।

सरकार का 2030 तक ऊर्जा की कुल मांग का 40 प्रतिशत उत्पादन अक्षय स्रोतों से करने का लक्ष्य है। 2030 तक 500 गीगावाट अक्षय ऊर्जा की क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ एक अरब टन कार्बन डाईआक्साइड को कम करने का लक्ष्य भी रखा गया है। ज्ञातव्य है कि ग्लासगो शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2070 तक शुद्ध-शून्य कार्बन उत्सर्जन करने की बात कही थी। आज अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में भारत विश्व में चौथे स्थान पर है, जिसमें 36 प्रतिशत से अधिक सोलर, 31 प्रतिशत जलविद्युत एवं 25 प्रतिशत पवन ऊर्जा का योगदान है। इसके बावजूद यह क्षमता मात्र 166.4 गीगावाट है। अक्षय ऊर्जा क्षेत्र की असीमित उत्पादन की क्षमताओं एवं बड़े बाजार की संभावनाओं के कारण वित्त मंत्री ने बजट में हरित विकास के माडल को प्रमुखता से स्थान देते हुए भविष्य की रूपरेखा प्रस्तुत की है। इस बजट के माध्यम से सरकार ने नागरिकों के लिए सस्ती, सुरक्षित और टिकाऊ ऊर्जा उपलब्ध कराने के लिए एक विजन प्रस्तुत किया है, जिससे हरित ऊर्जा लोगों के जीवन का एक हिस्सा बन सके।

वित्त मंत्री ने अक्षय ऊर्जा के संबंध में पंजीकरण और व्यापार की प्रक्रिया को सरल बनाया है, जिसके परिणामस्वरूप अक्षय ऊर्जा के अंतर्गत बिजली के उत्पादन और खपत के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव आएगा। सोलर पैनल द्वारा अपनी खुद की बिजली का उत्पादन और उपभोग को बहुत बढ़ावा मिलेगा। अक्षय ऊर्जा आधारित मिनी-ग्रिड लाखों छोटे व्यवसायों और सामाजिक उद्यमियों को स्थानीय रोजगार सृजित करने तथा स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं का निर्माण करने के लिए प्रोत्साहन देंगे। इस ऊर्जा का उपयोग करके स्थानीय सरकारें ग्रामीण समुदायों और क्षेत्रों की मदद कर लोगों के जीवन स्तर में गुणात्मक सुधार भी ला पाएंगी। महिला सशक्तीकरण, बेहतर स्वास्थ्य और शिक्षा की स्थिति में सुधार आने से गरीबी और बेरोजगारी जैसी चुनौतियों का हल भी निकाला जा सकेगा।

लद्दाख में 13 हजार मेगावाट क्षमता की परियोजना की स्वीकृति से स्पष्ट है कि सरकार अक्षय ऊर्जा उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के लिए गंभीर है। वहीं दूसरी ओर अक्षय ऊर्जा के संदर्भ में संचालित कार्यक्रमों पर बल देने के लिए नीतिगत उपाय भी किए गए हैं। देश में ही हरित हाइड्रोजन के उत्पादन और उपयोग को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन पर फोकस किया गया है, जिसके लिए 19,744 करोड़ रुपये के परिव्यय को बजट में स्वीकृत किया है। इसी तरह इलेक्ट्रिक एवं हाइड्रोजन वाहन देश में एक नए युग की शुरुआत करेंगे।

इलेक्ट्रानिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए वित्त मंत्री द्वारा एक विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत की गई है। इसके अतिरिक्त सौर सेल, लिथियम बैटरी, इलेक्ट्रिक वाहनों और चार्जिंग बुनियादी ढांचे के लिए विशाल विनिर्माण संयंत्र स्थापित करने को प्रोत्साहन देने के लिए आवश्यक पूंजीगत वस्तुओं और मशीनरी के आयात पर सीमा शुल्क में छूट दी गई है। अक्षय ऊर्जा में प्रयुक्त उपकरणों की कीमत कम होने से इसके बाजार को भी विस्तार मिलेगा। इसमें प्रयुक्त उपकरणों की लागत को और कम करने के लिए बजट में अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी पर विशेष फोकस किया गया है। उल्लेखनीय है कि अक्षय ऊर्जा के बाजार को 2030 तक लगभग पांच अरब डालर और 2050 तक 31 अरब डालर करने का लक्ष्य रखा गया है।

बजट में ग्रामीण क्षेत्रों में हरित विकास को बढ़ावा देते हुए अगले तीन वर्षों में एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने के लिए 10,000 जैव-इनपुट संसाधन केंद्र स्थापित करना, वैकल्पिक उर्वरकों और रासायनिक उर्वरकों के संतुलित उपयोग को बढ़ावा देने के लिए पीएम प्रणाम कार्यक्रम, चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए गोबर धन योजना, वनीकरण को बढ़ावा देने के लिए मिश्टी एवं अमृत धरोहर कार्यक्रम पर विशेष फोकस किया गया है। इससे जैव-विविधता, पर्यटन के अवसरों और आय सृजन को प्रोत्साहन मिलेगा।

प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए 15 साल पुराने सभी सरकारी वाहनों की अनिवार्य रूप से स्क्रैपिंग के लिए राज्यों को आर्थिक मदद दी जाएगी। इंस्टीट्यूट आफ एनर्जी इकोनमिक्स एंड फाइनेंशियल एनालिसिस के अनुसार भारत के अक्षय ऊर्जा क्षेत्र के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए 500 से 700 अरब डालर के नए निवेश की आवश्यकता होगी। उम्मीद है कि बजट में किए गए नीतिगत बदलावों से सार्वजनिक-निजी क्षेत्र की सहभागिता एवं विदेशी निवेश के बढ़ने से आधारिक संरचना मजबूत होगी।

कुल मिलाकर पर्यावरण के साथ जीवनशैली के दृष्टिकोण पर बल देने वाला बजट यह स्पष्ट संदेश देता है कि आने वाले समय में भारत दुनिया की सबसे महत्वाकांक्षी अक्षय ऊर्जा परिवर्तनों का नेतृत्व करने के लिए तैयार है, जिसका मार्ग गांवों से होकर जाता है।

(लेखक अर्थशास्त्र के प्रोफेसर हैं)